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बाबा बंसी वाले ने सौराना में 1986 में किया था पहला भंडारा

धर्म का प्रचार करने वाले संत शिरोमणि बाबा बंसी वाले ब्रह्मलीन हो गए अब वह शारीरिक रूप से हमारे बीच नहीं रहे। आधी रात से ही भक्तजन उनके अंतिम दर्शन के लिए गांव सौराना पहुंचने लगे थे।

By JagranEdited By: Updated: Thu, 08 Jul 2021 11:26 PM (IST)
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बाबा बंसी वाले ने सौराना में 1986 में किया था पहला भंडारा

सहारनपुर, जेएनएन। धर्म का प्रचार करने वाले संत शिरोमणि बाबा बंसी वाले ब्रह्मलीन हो गए अब वह शारीरिक रूप से हमारे बीच नहीं रहे। आधी रात से ही भक्तजन उनके अंतिम दर्शन के लिए गांव सौराना पहुंचने लगे थे। बड़ी संख्या में हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, यूपी सहित विभिन्न राज्यों के भक्तों ने उनके अंतिम दर्शन किए। अंतिम संस्कार शाम करीब छह बजे यमुना के किनारे किया गया।

बाबा बंसी वाले करीब 40 साल पहले सहारनपुर आए थे और यहां इन्होंने यमुना के किनारे अपना डेरा डाला था। इसके बाद वह सौराना गांव में आ गए, जहां इन्होंने ग्रामीणों को भक्ति का संदेश देते हुए ताउम्र धर्म का प्रचार किया। सौराना गांव हनुमान जी की विशाल प्रतिमा स्थापित कराई। इनके बारे में कहा जाता है कि वर्ष 1986 में उन्होंने सौराना गांव में पहला भंडारा किया था। इसके लिए युवाओं ने गांव से चंदा एकत्र किया था। ग्रामीण बताते हैं कि उसके बाद बाबाजी लगातार भंडारे करते रहे लेकिन कभी किसी से कुछ नहीं लिया। भक्तजनों ने उनकी झोली में जो डाल दिया उससे ही वह भंडारे का आयोजन करते थे। उनके अन्नपूर्णा भंडारे में भोजन की कभी कोई कमी नहीं आई। प्रतिवर्ष सावन और फागुन के महीने में शिवपुराण कथा कराते हुए अखंड भंडारे करते थे। बाबा बंशी वाले के सानिध्य में बडी संख्या में उनके भक्तों ने देश के सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों के दर्शन किये। बाबा बंसी वाले प्रतिवर्ष किसी न किसी धाम पर जाकर भागवत कथा व भंडारे करते थे। बाबाजी ने बडी संख्या में सामूहिक रूप से निर्धन कन्याओं के विवाह भी कराए थे।

कथा कराने को पहले से लेते थे समय

बाबा बंशी वाले के बारे में कभी कोई कुछ नहीं जान पाया कि बाबाजी कहां से आए थे वह कौन थे और कहां के रहने वाले थे। सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए वह कथाएं कराते थे। बाबा जी के सानिध्य में कथा कराने के लिए भक्तजन उनसे एक-एक साल पहले समय लेते थे। इस साल श्रावण मास में बाबा जी के सानिध्य में 26 जुलाई से सरसावा के श्री बनखंड़ी महादेव मंदिर पर कथा होनी है। मल्हीपुर रोड पर हाइवे के किनारे सिद्धेश्वर ट्रस्ट पर भी बाबा जी के सानिध्य में कथा का पहले से समय लिया हुआ है।

इन्होंने भी किए अंतिम दर्शन

नकुड़ विधानसभा से विधायक एवं प्रदेश सरकार में आयुष मंत्री डा. धर्म सिंह सैनी, पूर्व सांसद राघव लखनपाल शर्मा, पूर्व विधायक मनोज चौधरी व राजीव गुंबर, सरसावा नगर पालिका के चेयरमैन बिजेंद्र मोगा, राकेश चौधरी, चौधरी मोहकम सिंह, चौधरी महेंद्र मंहगी, चौधरी नरेशपाल व उमेशपाल गुर्जर, चौधरी सुभाष चंद्र, आदि ने भी गांव में पहुंच उनके दर्शन किये।

यमुना के तट व पुल पर रही भक्तों की भीड़

सौराना धर्मशाला से उनकी अंतिम शव यात्रा शुरू हुई जिसमें ट्रैक्टर ट्राली पर उनके पार्थिव शरीर को रखा गया अंतिम शवयात्रा में सर्वधर्म के लोग शामिल रहे। यमुना नदी के किनारे उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान यमुना के घाट पर बडी संख्या में हरियाणा, पंजाब आदि राज्यों के लोग मौजूद थे तो वहीं यमुना के पुल के ऊपर भी महिला भक्तों की भीड़ जुटी थी।

बाबा का निधन धर्मक्षेत्र की बड़ी क्षति : स्वामी कालेंद्रानंद

महाशक्ति पीठ वैष्णवी महाकाली मंदिर राधा विहार के स्वामी कालेंद्रानंद महाराज ने कहा कि बाबा बंसीवाले का बैकुंठ गमन धर्मक्षेत्र के लिए बड़ी क्षति है। अपनी पूरी जीवन यात्रा को बाबा ने धर्म हेतु समर्पित किया और देश के चारों कोने बद्रीनारायण, रामेश्वरम, जगन्नाथ एवं द्वारिका तक श्री मद् भागवत कथा अखंड भंडारों से जन-जन की सेवा की। उन्होंने धर्म क्षेत्र में नारायण सेवा को चरितार्थ कर महान आध्यात्मिक मार्ग प्रशस्त किया। उनका जाना धर्म क्षेत्र में कभी भी पूरी न होने वाली हानि है।

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