Mulayam Singh Yadav Death: सहारनपुर में काजी रशीद मसूद को राष्ट्रपति का चुनाव लड़वाकर मुलायम ने निभाई थी दोस्ती
Mulayam Singh Yadav Death सपा संरक्षक मुलायम सिंह की यादें सहारनपुर से भी जुड़ीं हैं। काजी रशीद मसूद और मुलायम सिंह यादव ने करीब-करीब एक समय में ही राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। बाद में इमरान मसूद को भी आगे बढ़ाया था।
By Jagran NewsEdited By: PREM DUTT BHATTUpdated: Mon, 10 Oct 2022 10:26 AM (IST)
सहारनपुर, जागरण संवाददाता। Mulayam Singh Yadav मुलायम सिंह यादव अपने रिश्तों और दोस्ताना संबंधों को निभाने के लिए राजनीति में हमेशा जाने गए। कोई किसी भी वक्त अगर मुलायम सिंह के काम आया तो मुलायम सिंह यादव ने उससे कई कदम आगे बढ़कर दोस्ती के रिश्ते को निभाया। ऐसी कई मिसालें हैं। सहारनपुर के काजी रशीद मसूद से उनके रिश्तों की कहानी बजी ऐसी ही है। काजी रसीद मसूद से मुलायम सिंह के बेहद करीब संबंध थे।
एक ही समय में शुरू किया सफर
एक बार जब मुलायम सिंह की नांव डगमगाई तो नैया काजी परिवार ने किनारे लगाई थी। दरअसल काजी रशीद मसूद और मुलायम सिंह यादव ने करीब-करीब एक समय में ही राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। दोनों ही पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की नर्सरी से निकले छात्र थे। दोनों ने साथ काम किया। उस समय चौधरी चरण सिंह, काजी रशीद मसूद से राय मशविरा किया करते थे।
विशाल हृदय के थे मुलायम सिंह
ईश्वर गोयल बताते हैं कि वर्ष 1980 के दौर में मुलायम सिंह यादव पर राजनीतिक संकट आया। तीन बार विधायक रहने के बावजूद मुलायम सिंह 1980 के विधानसभा चुनाव में इटावा से हार गए थे। तब काजी रशीद मसूद ने पैरवी की तो चौधरी चरण सिंह ने 1982 में मुलायम सिंह को एमएलसी बनाकर विधान परिषद में भेज दिया। मुलायम सिंह विशाल हृदय के थे।
समाजवादी जनांदोलन में मुलायम और रामशरण दास की जोड़ी बनी तो कभी नहीं टूटी
मुलायम सिंह यादव सहारनपुर से बेहद लगाव करते थे, इसकी वजह थी यहां के लोगों से उनका करीबी नाता। रामशरण दास पर तो उनका अटूट विश्वास था। सपा की सरकारों में मुलायम सिंह यादव ने रामशरण दास को गन्ना मंत्री तो बनाया ही था, सपा का प्रदेश अध्यक्ष की भी कमान सौंपी हुई थी। मुलायम सिंह यादव की नजदीकी राम शरण दास ने आपातकाल के दौरान हुई।कमी को मुलायम सिंह अक्सर महसूस करते थे
मुलायम सिंह यादव का रामशरण दास पर भरोसा कायम हुआ तो कभी नहीं टूटा। समाजवादी विचारधारा से जुड़े जनांदोलनों में दोनों साथ ताउम्र चलते रहे। राम शरण दास की कमी को मुलायम सिंह अक्सर महसूस करते थे, कई बार इसका उन्होंने जिक्र भी किया था। दरअसल सपा की कामयाबी के पीछे मुलायम सिंह का वह कुशल नेतृत्व था, जिसमें भरोसा और रिश्ते सबसे आगे थे। इन्हीं रिश्तों में बंधे हुए मुलायम के करीबी लोगों ने सपा को इस मुकाम तक पहुंचाया। रामशरण दास भी इनमें से थे।
4 अक्टूबर 1992 को मुलायम सिंह यादव ने पार्टी की स्थापना की। इस पहले सम्मेलन में जिला सहारनपुर की बड़ी भूमिका रही। मंच पर रामशरण दास सपा ले प्रमुख स्तम्भ बनकर मौजूद रहे। मुलायम सिंह यादव ने रामशरण दास को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया। रामशरण दास जी बाएं से पहले हाथ में पर्चा लिए हुए।
-----इमरान मसूद को आगे बढ़ायाउन्होंने काजी रसीद मसूद से जीवन भर अपने रिश्तों को निभाया, काजी रशीद मसूद के भतीजे इमरान मसूद को भी सपा में टिकट दिया। इमरान मसूद को बहुत आगे बढाया। अभी भी इमरान सपा में ही हैं। काजी रशीद मसूद और मुलायम सिंह के बीच संबंध काफी गहरे थे। कई बार राजनीतिक राहें जुदा हुई, परंतु दोनों नेताओं के व्यक्तिगत रिश्तें हमेशा मधुर बने रहे। अगस्त 2007 में जब उप राष्ट्रपति का चुनाव हुआ तो संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की तरफ से मुलायम सिंह ने काजी रशीद मसूद को उप राष्ट्रपति का चुनाव लड़ाकर भी दोस्ती का हक अदा किया।
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