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मरीज सरकारी एंबुलेंस पर करते हैं कॉल, मगर प्राइवेट होस्पिटल में हो जाते हैं भर्ती; खुलेआम चल रहा बड़ा खेल!

सरकारी एंबुलेंस पर रिटायर्ड कर्मचारी का नंबर डालकर मरीजों के साथ छल किया जा रहा है। मरीज जब सरकारी एंबुलेंस पर लिखे नंबर पर काल करते हैं तो उक्त व्यक्ति उन्हें सरकारी एंबुलेंस के बजाय अपनी निजी एम्बुलेंस से भिजवाता है। निजी अस्पताल में भर्ती कराकर कमीशन वसूलता है। सीएमओ से लेकर सीएमएस तक इस ओर से आंखें मूंदे हुए हैं। जानिए पूरी खबर।

By Brijmohan Moga Edited By: Aysha Sheikh Updated: Tue, 22 Oct 2024 03:44 PM (IST)
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सरकारी एंबुलेंस पर प्राइवेट नंबर, महीनों से चल रहा खेल - प्रतीकात्मक तस्वीर।
विश्व प्रताप, सहारनपुर। जिला अस्पताल में एक सरकारी एंबुलेंस पर रिटायर्ड हो चुके कर्मचारी का नंबर डालकर मरीज और तीमारदारों के साथ छल किया जा रहा है। मरीज जब सरकारी एंबुलेंस पर लिखे नंबर पर काल करते हैं तो उक्त व्यक्ति उन्हें सरकारी एंबुलेंस के बजाय अपनी निजी एम्बुलेंस से भिजवाता है। गंभीर रोगियों को प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराकर कमीशन वसूला जाता है और मरीजों से भी अच्छी खासी रकम ऐंठ ली जाती है।

मरीजों की जेब पर खुलेआम डाका डाला जा रहा है। सीएमओ से लेकर सीएमएस तक इस ओर से आंखें मूंदे हुए हैं।  सेठ बलदेव दास बाजोरिया जिला अस्पताल में एंबुलेंस सर्विस के नाम पर मरीजों के साथ छल किया जा रहा है। उन्हें पता भी नहीं चलता कि कब सरकारी एंबुलेंस के बजाय उन्हें निजी एंबुलेंस के जरिए निजी अस्पताल में भिजवाकर कमीशन वसूला जा रहा है।

एंबुलेंस पर अभी भी सेवानिवृत्त कर्मचारी का ही नंबर अंकित

सरकारी एंबुलेंस पर तैनात जयभगवान करीब छह माह पहले सेवानिवृत्त हुए थे। अभी इस गाड़ी पर टिंकू नामक युवक तैनात है, लेकिन साठगांठ के चलते एंबुलेंस पर अभी भी सेवानिवृत्त कर्मचारी का ही नंबर अंकित है। बताया जा रहा है कि जयभगवान अभी भी सरकारी अस्पताल में ही घूमता रहता है, जबकि उसे किसी पद पर नियुक्त नहीं किया गया है। वह अपनी प्राइवेट एंबुलेंस गाड़ियां चलवा रखी हैं।

जब तीमारदार किसी मरीज को जिला अस्पताल से कहीं और उपचार के लिए ले जाने के लिए एंबुलेंस की सेवा लेना चाहते हैं तो इमरजेंसी के आसपास घूम रहे निजी एंबुलेंस संचालक के एजेंट उन्हें उक्त एंबुलेंस पर लिखे नंबर पर काल करने की सलाह देते हैं। जिसके बाद उन्हें उक्त एंबुलेंस खराब होने की बात कहकर निजी एंबुलेंस के जरिए निजी अस्पताल में पहुंचाया जाता है। इसकी एवज में निजी अस्पताल से उन्हें मोटा कमीशन दिया जाता है। वहीं निजी अस्पताल मरीजों से इसका खर्च वसूलते हैं।

विवादों में रहा है उक्त कर्मचारी

जयभगवान जिला अस्पताल में कार्यरत रहने के दौरान खुद को सीएमओ का चालक बताकर रौब दिखाता था और मनमानी करता था। जिला अस्पताल के बाहर एंबुलेंस लगाने वालों से भी वसूली करता था। एक व्यक्ति ने उसपर एंबुलेंस लगवाने के नामपर 50 हजार रुपये मांगने का आरोप लगाते हुए थाना जनकपुरी में शिकायत भी की थी। वहां तत्कालीन थाना प्रभारी सनुज यादव ने मामले की जांच के आदेश दिए थे, लेकिन विवेचक ने लीपापोती कर दी थी।

मामला संज्ञान में नहीं है। अगर ऐसा है तो यह गंभीर मामला है। इसकी जांच कराकर नियमानुसार कार्रवाई कराई जाएगी।  -डा. रामानंद, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक

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