जिनकी नहीं सुनी कहानी थी, वह रानी रामप्यारी मर्दानी थीं
भारतीय इतिहास के कई नायक गुमनाम हो गए जिनके शौर्य तथा समर्पण की कहानी को नई पीढ़ी कभी नहीं सुन सकी। ऐसी ही एक गुमनाम नायिका हैं सहारनपुर की रामप्यारी गुर्जर। यह वीरांगना 40 हजार महिलाओं की सेना लेकर 1398 ईसवी में तैमूर लंग की सेना पर टूट पड़ी थीं। युद्ध में छाती पर प्रहार से घायल तैमूर को जान बचाकर अपने मुल्क लौटना पड़ा। लेखिका मानोषी सिन्हा ने अपनी पुस्तक सैफरान स्वार्ड्स में भारतीय इतिहास के ऐसे 51 गुमनाम नायकों की तलाश करते हुए रामप्यारी गुर्जर की वीरता का भी उल्लेख विस्तार से किया है।
सहारनपुर, जेएनएम। भारतीय इतिहास के कई नायक गुमनाम हो गए, जिनके शौर्य तथा समर्पण की कहानी को नई पीढ़ी कभी नहीं सुन सकी। ऐसी ही एक गुमनाम नायिका हैं सहारनपुर की रामप्यारी गुर्जर। यह वीरांगना 40 हजार महिलाओं की सेना लेकर 1398 ईसवी में तैमूर लंग की सेना पर टूट पड़ी थीं। युद्ध में छाती पर प्रहार से घायल तैमूर को जान बचाकर अपने मुल्क लौटना पड़ा। लेखिका मानोषी सिन्हा ने अपनी पुस्तक 'सैफरान स्वार्ड्स' में भारतीय इतिहास के ऐसे 51 गुमनाम नायकों की तलाश करते हुए रामप्यारी गुर्जर की वीरता का भी उल्लेख विस्तार से किया है।
लेखिका मानोषी सिन्हा ने लंबे शोध के बाद इन 51 गुमनाम नायकों की जीवनी लिखी है। पुस्तक में पहला अध्याय सहारनपुर की वीरांगना रामप्यारी गुर्जर पर है। इसमें लिखा है कि रामप्यारी का जन्म सहारनपुर में हुआ था। 1398 ईसवी में तैमूर लंग ने दिल्ली पर आक्रमण किया। तैमूर के मेरठ से होकर सहारनपुर पर आक्रमण का खतरा था। तैमूर से जंग के लिए महापंचायत हुई। इसमें महाबली जोगराज सिंह गुर्जर को मुख्य सेनापति चुना गया। 20 वर्षीय रामप्यारी गुर्जर को महिला विग का सेनापति बनाया गया। रामप्यारी गुर्जर ने 40 हजार महिलाओं के साथ महिला सेना का गठन किया। ये महिलाएं सेना को भोजन समेत युद्ध सामग्री पहुंचाती थीं, वहीं, शत्रु की भोजन सामग्री को ये वीरांगनाएं लूट लेती थीं। साहसी पंचायती सेना ने युद्ध में तैमूर के डेढ लाख से अधिक सैनिकों को मारकर उसके भारत विजय की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।