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सहारनपुर सर्राफ सुसाइड केस: गंगा में कूदी मोना की नहीं मिली लाश, हरिद्वार से रुड़की तक तलाश

Saharanpur Couple Suicide Case Update News सौरभ बब्बर नइ बाइक से सहारनपुर से हरिद्वार पहुंचा था। वहां पत्नी मोना के साथ हाथ पकड़कर गंगा में दोनों ने छलांग लगा दी थी। सौरभ की लाश कुछ दूर दलदल में मिली थी वहीं मोना की काफी तलाश के बाद भी लाश नहीं मिली है। कर्ज से परेशान होकर सौरभ ने सुसाइड किया ये नोट में लिखा था।

By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Wed, 14 Aug 2024 01:44 PM (IST)
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Saharanpur News: सौरभ और मोना की आखिरी खींची तस्वीर।
जागरण संवाददाता, सहारनपुर। सराफा कारोबारी सौरभ बब्बर के साथ गंगनहर में कूदी पत्नी मोना बब्बर का दूसरे दिन भी कहीं कोई सुराग नहीं लगा। मंगलवार को भी पुलिस और गोताखोरों की टीम उसकी तलाश में जुटी रही। इस बीच रुड़की में गंगनहर में मोना का शव मिलने की अफवाह भी उड़ती रही। हालांकि स्वजन ने इससे इन्कार किया है।

स्वजन और क्षेत्र के लोगों ने नगर के खेमका सदन में शोकसभा कर सौरभ बब्बर को श्रद्धांजलि दी। स्वजन उसकी 13 वर्षीय बेटी श्रद्धा और सात वर्षीय दिव्यांग बेटे अनमोल को सांत्वना देते रहे। मां-बाप के खोने के गम ने दोनों बच्चों को पूरी तरह से तोड़ दिया है। दोनों बच्चों की आंखों से आंसू नहीं थम रहे थे।

अच्छा होता कि सौरभ कहीं और चला जाता

कर्ज में डूबे सराफा कारोबारी सौरभ बब्बर की पत्नी के साथ आत्महत्या करने के बाद स्वजन जहां गम में डूबे हैं, वहीं उनके पास कमेटी डालने वाले लोग अपना पैसा डूबने को लेकर दुखी हैं। हालांकि उनमें कई लोगों का कहना था कि इससे तो बेहतर होता कि आत्महत्या करने के बजाय सौरभ कहीं और चला जाता।

कई सवाल छोड़ गया सौरभ

कमेटी के खेल में फंसकर आखिर सौरभ बब्बर इतने बड़े कर्ज में कैसे डूबा, यह अभी भी यक्ष प्रश्न बना हुआ है, जिसका जवाब न तो उसके स्वजन के पास है और न ही उसके पास कमेटी डालने वाले लोगों के। सौरभ के पास हर माह दो-दो हजार रुपये की कमेटी (एक तरह की लॉटरी) डालने वाले लोगों की मानें तो हर कमेटी में 200 सदस्य होते थे। यानि प्रत्येक कमेटी में हर माह चार लाख रुपये जमा होते थे।

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लॉटरी निकालकर इसी रकम में से विजेता सदस्यों को सोने-चांदी के आभूषण देकर उन्हें कमेटी से बाहर कर दिया जाता था। शेष सदस्य अगले माह फिर कमेटी जमा कर लाटरी में हिस्सा लेते थे। इस बीच चर्चा है कि सौरभ ने उसके पास गोल्ड कमेटी डालने वालों को सोना देने के लिए शहर के एक प्रतिष्ठित सराफा कारोबारी से सोना बुक किया था और उसने लोगों के जमा रुपयों में से सात करोड़ रुपये भी उक्त कारोबारी को दिए थे।

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तनाव में था सौरभ

बताया जा रहा है कि कुछ दिन पहले उक्त कारोबारी का बेटा रुपये लेकर विदेश भाग गया, जिसके बाद से सौरभ बेहद तनाव में था। उस पर लोगों का दबाव बढ़ रहा था। इसी के चलते उसने पत्नी के साथ आत्महत्या कर ली।

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बेटी की शादी के लिए डाल रहे थे कमेटी

सराफा कारोबारी सौरभ बब्बर की मौत की खबर मिलने पर गंगोह के लखनौती गांव निवासी सदाकत हुसैन भी किशनपुरा स्थित उसके आवास पर पहुंचे। सदाकत ने बताया कि बेटे हैदर अली ने सौरभ के पास गोल्ड कमेटी डाल रखी थी। 16 किस्त जमा कर चुके थे। सोचा था कि कमेटी के पैसों से बेटी की शादी के लिए जेवर मिल जाएंगे, लेकिन सौरभ की मौत से सारी उम्मीदें खत्म हो गईं।

साईं भक्त था परिवार, हर माह करता था भंडारा

आसपास रहने वाले लोगों का कहना है कि सौरभ का परिवार काफी धार्मिक प्रवृत्ति का था तथा शिरडी साईं का भक्त था। वह हर माह भंडारा भी कराता था।

कमेटियों की जांच में जुटी पुलिस

सौरभ और पत्नी के कमेटियों के खेल में फंसकर कर्ज में डूबकर आत्महत्या करने की घटना के बाद पुलिस ने कमेटियों को लेकर जांच-पड़ताल शुरू कर दी है। पुलिस की टीम शहर में चल रही ऐसी कमेटियों का डाटा जुटा रही हैं। 

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