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Saharanpur News: मधुमक्खी का जहर भी देता है जीवन...कीमत दो करोड़ रुपये किलो, पढ़िए यह खास रिपोर्ट

Bee venom in Saharanpur सहारनपुर में मधुमक्खी के जहर का मूल्य अंतरराष्ट्रीय बाजार में दो करोड़ रुपये प्रति किलो तक है जिसके उत्पादन में सहारनपुर नए अध्याय लिख रहा है। 1700 बक्सों से सालभर में मधुमक्खी से प्राप्त होता है एक किलो जहर।

By Ashwani KumarEdited By: PREM DUTT BHATTUpdated: Sun, 09 Oct 2022 10:43 AM (IST)
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Bee venom सहारनपुर से आइआइटी, एम्स दिल्ली के अलावा कनाडा, स्पेन तक भेजा जाता है वेनम।

अश्वनी त्रिपाठी, सहारनपुर। Bee venom मधुमक्खी का शहद अगर स्वादिष्ट और अत्यंत गुणकारी है तो इसके डंक से निकला जहर भी जीवनरक्षक गुणधर्मों से लैस है। इस जहर का मूल्य अंतरराष्ट्रीय बाजार में दो करोड़ रुपये प्रति किलो तक है, जिसके उत्पादन में सहारनपुर नए अध्याय लिख रहा है।

बड़ी सफलता हासिल की

गंगोह क्षेत्र के गांव बीराखेड़ी में मधुमक्खी पालक साधुराम शर्मा ने अपनी बनाई तकनीक से बी-वेनम के उत्पादन में बड़ी सफलता हासिल की। यहां से वेनम आइआइटी रुड़की, एम्स दिल्ली के अलावा कनाडा, स्पेन, अफगानिस्तान तक भेजा जा रहा। दुनियाभर की कंपनियां मधुमक्खी के जहर से एडस, ब्रेस्ट कैंसर, गठिया एवं अन्य जटिल बीमारियों की दवा बना रही हैं।

मधमुक्खी पालन में कमाई का डबल डोज

उप्र में शहद उत्पादन में सहारनपुर पहले पायदान पर है। बीराखेड़ी के मधुमक्खी पालक साधुराम शर्मा ने पुत्र देवव्रत शर्मा तथा प्रियव्रत शर्मा के साथ मिलकर मधुमक्खी के जहर का उत्पादन शुरू किया। इसकी शोध संस्थानों में भारी डिमांड है। सहारनपुर से बी-वेनम यानी जहर आइआइटी रुड़की, एम्स दिल्ली के अलावा कनाडा, स्पेन, अफगानिस्तान तक भेजा जा रहा है।

गंभीर बीमारियों की दवा

इससे नर्वस सिस्टम समेत दर्जनों अन्य गंभीर बीमारियों की दवा बनाई जाती है। एक डिब्बे में करीब 25 हजार मधुमक्खियां होती हैं। करीब 1700 डिब्बों से साल भर में एक किलो जहर मिल जाता है, जो महंगी कीमत पर कई देशों में फार्मा कंपनियों को निर्यात किया जा रहा है। वो अन्य मधुमुक्खी पालकों को भी बी-वेनम निकालने के लिए प्रशिक्षित कर उन्हें असीमित आय का गणित बताते हैं।

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डंक में करंट लगते ही निकलता है जहर

मधुमक्खी का जहर निकालने के लिए वेनम कलेक्टर संयंत्र का प्रयोग होता है। इसमें प्लेट के ऊपर बिजली का तार बिछा होता है। यह नौ वोल्ट की बैटरी से जुड़ा रहता है। मधुमक्खी इस संयंत्र पर डंक मारती है, तभी बैट्री से मधुमक्खी के डंक में झटका लगता है और डंक से जहर का स्राव हो जाता है। इसे खरोंचकर सूखा जहर एकत्र कर लिया जाता है। इसे डी-फ्रीज करने के बाद निर्यात किया जाता है।

विष में दर्जनों रसायन

मधुमक्खी के विष ग्रंथि में से डंक के जरिए एक बार में 0.01 से 0.03 मिलीग्राम तक विष निकलता है। डंक से क्षारीय और अम्लीय स्राव करने वाली दो ग्रंथियां जुड़ी होती है। मौनविष इन ग्रंथियों से आता है। मधुमक्खी के जहर में मुख्यतया मेलिटिन नामक प्रोटीन होता है, जिसमें 26 प्रकार के अमीनो एसिड होते हैं, यह विष की कुल संरचना में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है।

अपामिन प्रोटीन

इसके अलावा विष में अपामिन प्रोटीन होता है, जिसमें 18 तरह के अमीनो एसिड होते हैं, यह विष में तीन प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है। फास्फोलिपेज एंजाइंम सूखे जहर में 14 प्रतिशत तक शामिल होता है। इसके अलावा ह्यालूरोनिडेस, हिस्टामाइन व कई अन्य अमीनो एसिड, मिनरल्स भी जहर में शामिल होते हैं।

अपना वेनम कलेक्टर बनाकर निभाया मेक इन इंडिया का धर्म

प्रियव्रत बताते हैं कि वेनम कलेक्टरों से सफलता न मिलने पर चार साल के परिश्रम से अपनी तकनीक से उपकरण बनाया गया। बाजार में उपलब्ध वेनम कलेक्टर की कीमत 15 से 20 हजार रुपये थी, जबकि उन्होंने इसे स्वदेशी तकनीक से सात हजार में बना लिया। 

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