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सिद्धपीठ श्री शाकंभरी देवी मंदिर के कपाट बंद किए

कोरोना वायरस के खतरे को ²ष्टिगत रखते हुये सिद्धपीठ श्री शाकंभरी देवी के कपाट शुक्रवार को दर्शनार्थियों के लिये बंद कर दिये गये हैं। सिद्धपीठ व्यवस्थापक राणा परिवार ने यह निर्णय लेने

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Mar 2020 10:39 PM (IST)Updated: Fri, 20 Mar 2020 10:39 PM (IST)
सिद्धपीठ श्री शाकंभरी देवी मंदिर के कपाट बंद किए

सहारनपुर जेएनएन। कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए सिद्धपीठ श्री शाकंभरी देवी के कपाट शुक्रवार को दर्शनार्थियों के लिए बंद कर दिए गए। सिद्धपीठ व्यवस्थापक राणा परिवार ने यह निर्णय लेने के बाद प्रशासन को भी पत्र लिखकर अवगत करा दिया है। उन्होंने बताया कि प्रथम नवरात्र से लगने वाला चैत्र नवरात्र मेला भी इन परिस्थितियों के चलते नहीं लगेगा।

गौरतलब है कि कोरोना वायरस को दृष्टिगत रखते हुये अब देश के बड़े धार्मिक स्थान बंद होते जा रहे हैं। शुक्रवार को सिद्धपीठ व्यवस्थापक एवं पूर्व विधायक रानी देवलता ने अपने दोनों पुत्रों राणा आदित्य प्रताप सिंह व राणा आतुल्य प्रताप सिंह से मंत्रणा के बाद दर्शनार्थियों के लिये मुख्य मंदिर के कपाट बंद करने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस वैश्विक स्तर पर महामारी का रूप ले चुकी है। इसके चलते परिस्थितियां सामान्य होने तक मंदिर के कपाट बंद रखना श्रद्धालुओं के हित में होगा। उन्होंने बताया कि मंदिर परिसर में आम श्रद्धालु नहीं प्रवेश कर सकेंगे केवल मंदिर के पुजारी एवं कर्मचारी दैनिक पूजा पाठ एवं मंदिर की आंतरिक व्यवस्था सफाई आदि सुचारू रखने के लिये मंदिर परिसर में रहेंगे। इस अवसर पर राणा परिवार ने मंदिर में अपने देश एवं विश्व को इस महामारी से शीघ्र बचाने के लिये मां शाकंभरी देवी से विशेष प्रार्थना की। राणा आदित्य प्रताप सिंह ने जिलाधिकारी को भी एक पत्र लिखा। जिसमें उन्होंने बताया कि चैत्र मास की प्रतिपदा 25 मार्च से नवरात्र मेला शुरू होगा, जो प्रतिवर्ष लगता है। इस बार यह 8 अप्रैल तक लगना था। उन्होंने जिलाधिकारी व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से मांग की कि ऐसे में श्रद्धालु भारी संख्या में मंदिर पहुंच सकते हैं, जबकि मंदिर बंद रहेगा। ऐसी स्थिति में किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो इसके लिये मंदिर प्रबंधन के सहयोग की प्रशासन एवं पुलिस से अपेक्षा की जाती है। शाम 6 बजे थाना प्रभारी मिर्जापुर विरेशपाल गिरी भी सिद्धपीठ पहुंचे और मंदिर कार्यालय में राणा परिवार के साथ बैठक कर व्यवस्थाओं पर चर्चा की।


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