Move to Jagran APP

UP News: और बेघर हो गए 80 परिवार...बहजोई में कांच फैक्ट्री की विवादित 17 बीघा जमीन पर बने घर कराए खाली, PHOTOS

बहजोई में कांच फैक्ट्री की विवादित भूमि पर रहने वाले 80 परिवारों को आखिरकार अपने घरों को छोड़ना पड़ा। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर पुलिस प्रशासन ने संयुक्त कार्रवाई की और सभी को पहले से दी गई चेतावनी के चलते बुधवार को घरों से सामान निकलवा दिया। जिन लोगों को 16 अक्टूबर 2024 तक घर खाली करने की सूचना दी गई थी वे बेघर हो गए हैं।

By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Wed, 16 Oct 2024 03:56 PM (IST)
Hero Image
बहजोई में मकानों को खाली कराने के दौरान डीएम और एसपी के साथ प्रशासनिक अधिकारी।

संवाद सहयोगी, जागरण, बहजोई/संभल। कांच फैक्ट्री की विवादित भूमि पर रहने वाले 80 परिवारों को आखिरकार घर खाली करने पड़े हैं। सभी परिवार मुस्लिम समुदाय से आते हैं। जिसमें उच्च न्यायालय के आदेश पर पुलिस प्रशासन ने संयुक्त कार्रवाई की और सभी को पहले से दी गई चेतावनी के चलते बुधवार को घरों से सामान निकलवा दिया। जिन्हें 16 अक्टूबर 2024 तक घर खाली करने की सूचना दी गई थी।

बेघर हुए लोग अपने सामान को भरकर अन्यत्र स्थान पर ले गए। जहां लोगों ने बताया कि परिवार अपने सगे संबंधियों के मकान में चले गए तो कुछ किराए के मकान में गए। मौके पर तनावपूर्ण स्थिति के बीच महिलाओं के से पुलिस की कहासुनी भी हुई।

अवैध रूप से बनाए गए थे मकान

  • विदित रहे कि तहसील चंदौसी के अंतर्गत बहजोई क्षेत्र के बाहर चुंगी में गाटा संख्या 674 का मामला इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चल रहा है।
  • बहजोई के ही पुरुषोत्तम दयाल वार्ष्णेय और अन्य के द्वारा 13 जुलाई 1994 को एक बाद दायर किया था जिसमें कांच फैक्ट्री की भूमि पर अवैध रूप से बनाए गए मकान को कब्जा मुक्त करने की मांग की गई थी।
  • 11 अगस्त 2024 को न्यायालय ने जिला प्रशासन की रिपोर्ट का अवलोकन करते हुए आदेश दिया था कि इस भूमि को चार सितंबर तक कब्जा मुक्त कराकर रिपोर्ट प्रेषित की जाए।
  • चार सितंबर को भी चंदौसी के तहसीलदार और पुलिस बहजोई के मोहल्ला बाग फैक्ट्री कॉलोनी में पहुंची थी, जहां लोगों को सूचना दी गई थी कि वह जल्द से जल्द अपने घर खाली करें और खाली पड़े मकान में ताला लगाकर सील करने की कार्रवाई भी की गई थी।
  • न्यायालय ने इस मामले में अग्रिम तिथि पर सुनवाई की और 16 अक्टूबर तक सभी मकानों को खाली करने का निर्देश दिया था।
  • सात अक्टूबर को डीएम डा.राजेंद्र पैंसिया भी मौके पर पहुंचे थे, जिन्होंने लोगों से बात करते हुए कहा था कि इन मकानों को जल्द से जल्द खाली कराया जाए क्योंकि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन करना जरूरी है।

पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार विश्नोई भारी पुलिस वालों के साथ मौके पर पहुंचे, उनके साथ एडीएम प्रदीप वर्मा, एसडीएम चंदौसी नीतू रानी, तहसीलदार धीरेंद्र सिंह के, डिप्टी कलेक्टर निधि पटेल और सीओ दीपक तिवारी के नेतृत्व में सभी 80 घरों को खाली करने का अभियान चलाया गया। एक के बाद एक सभी अपने घरों से सामान निकाला और सड़क पर रख लिया।

लाेगाें के विरोध के चलते तैनात पुलिसकर्मी।

लोगों ने जताया आक्रोश

कुछ ने गलियों में रख लिया तो कुछ अपने वाहनों में भरकर दूसरे स्थान पर ले जाने लगे। लोगों ने इस दौरान आक्रोश भी जताया और पुलिस के साथ महिलाओं की कहासुनी हुई, हालांकि पुलिस ने सख्ती बरतते हुए अपनी कार्रवाई को जारी रखी। सुबह 10 बजे शुरू हुई कार्रवाई का सिलसिला तीन बजे के बाद तक भी जारी रहा। जितने मकान खाली होते गए उन्हें बाहर से ताला लगाकर सील लगाने की कार्रवाई भी टीम के द्वारा की जाती रही।

मकान खाली करने के दौरान महिलाएं उदास।

कड़ी चौकसी के साथ पुलिस ने संभाला मोर्चा

80 में से 73 घरों को खाली करने के लिए पुलिस और प्रशासन के समक्ष बड़ी चुनौती थी। एक ओर जहां लोग विरोध कर रहे थे तो वहीं, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देकर प्रशासन और पुलिस भी अपनी मजबूरी बता रही थी। इससे पूर्व संभल के सांसद भी प्रशासन से राहत देने की मांग कर चुके हैं। लेकिन कोई राहत नहीं मिलने के चलते पुलिस गुरुवार को जैसे ही मौके पर पहुंची तो बड़ी सावधानी के साथ कार्य किया और इस मोहल्ले के चारों ओर भारी पुलिस बल को तैनात किया गया। बीच गली में कुछ पुलिसकर्मियों को ड्यूटी पर निगरानी करने के लिए लगाया गया, हालांकि पुलिस अधीक्षक कार्रवाई शुरू करने के बाद अपने कार्यालय वापस लौट आए।

घरों को खाली होता देख महिलाएं परेशान।

कार्रवाई शुरू करने से पहले ड्रोन से की गई निगरानी

घरों को खाली करने की कार्रवाई से पूर्व पुलिस और प्रशासन ने ड्रोन के जरिए सभी मकानों की छतों को चेक किया। जहां किसी भी प्रकार की कोई संदिग्ध व्यक्ति, वस्तु या गतिविधि नहीं मिलने के बाद लोगों को मकान खाली करने के निर्देश दिए गए। ड्रोन की निगरानी लगातार होती रही जब तक कि सभी मकानों पर ताले नहीं लग गए।

बिजली विभाग ने काटे सभी घरों के कनेक्शन

प्रशासन की कार्रवाई होने के बाद बिजली विभाग के एसडीओ अजय कुमार चौरसिया और अवर अभियंता मौके पर पहुंचे, जहां उन्होंने अपने सभी लाइन में लगाकर सभी घरों की विद्युत कनेक्शन को काट दिया। एसडीओ ने बताया कि मकान को खाली होने के बाद सभी के कनेक्शन काटे जा रहे हैं और अब तक जिन उपभोक्ताओं पर बकाया है उनका बिल के भुगतान के लिए कहा जाएगा।

घरों से सामान निकलता देख लिपट लिपट कर लोगे रोने लगे स्वजन

करीब 50 साल से अधिक समय से घर बना कर रह रहे लोगों को अपने घर खाली करने से न केवल परेशानी हो रही थी बल्कि मासूम बच्चों से लेकर नौजवान और बुजुर्ग भी घर से निकालकर सड़क पर आ बैठे सामान की रखवाली कर रहे थे तो बच्चे अपनी किताबों को हाथ में लेकर बाहर निकल रहे थे। महिलाएं विलाप कर रही थी तो बच्चे भी उनके साथ रो रहे थे। किसी ने आक्रोश जाहिर करने का प्रयास किया तो उनका सामना पुलिस से भी हुआ।

आवास की स्वीकृति और पात्रता की होगी जांच

डीएम ने बताया कि जानकारी में आया है कि अवैध रूप से बने इन घरों में कुछ प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत भी लाभार्थी है। इन लाभार्थियों के संबंध में भी जांच कराई जा रही है कि लेखपाल की रिपोर्ट के बाद इन्हें आवास बनाने की अनुमति दी गई। इसके अलावा जिनको योजना के अंतर्गत लाभ दिया गया है, क्या वह इसके लिए पात्र है अथवा नहीं है। इसकी पात्रता की भी जांच होगी।

ये भी पढ़ेंः UP News: शहर कोतवाली में भिड़े दारोगा और हेड मोहर्रर, एसपी अभिषेक झा ने दोनों को किया लाइन हाजिर

ये भी पढ़ेंः Inside Story: 'बेटे का ख्याल न होता तो कर लेती खुदकुशी' बीजेपी नेता के यौन शाेषण की शिकार अभिनेत्री ने बताई कहानी

21 अक्टूबर को सौंपी जाएगी रिपोर्ट 24 को होगी सुनवाई

डीएम ने बताया कि संबंध में 16 अक्टूबर का घर खाली करने की सूचना सभी लोगों को दे दी गई थी। इसमें पुलिस के द्वारा कार्रवाई की गई है। 21 अक्टूबर को इस संबंध में न्यायालय में रिपोर्ट सौंपी जाएगी और हलफनामा भी दाखिल किया जाएगा क्योंकि इस प्रकार में 24 अक्टूबर 2024 को अग्रिम सुनवाई होनी प्रस्तावित है।

मेहनत मजदूरी और निजी कारोबार करते हैं सभी परिवार

मोहल्ला बाग फैक्ट्री कालोनी के अलावा मदीना मस्जिद के नाम पहचान रखने वाले कार्रवाई से प्रभावित सभी 80 परिवार मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और जिसमें कोई आर्थिक रूप से संपन्न भी है तो ज्यादातर परिवार महत्व मजदूरी करने वाले हैं। लोगों का कहना है कि इनके पूर्वजों ने एक व्यक्ति से मौखिक तौर पर प्लांट के रूप में भूमि खरीदी थी। उन्हें इस बात का आभास नहीं था कि यह भूमि फैक्ट्री के नाम दर्ज होगी और बाद में सभी बेघर हो जाएंगे। हालांकि कुछ परिवार यहां से अपने प्लाट बेचकर भी चले गए और उन्होंने नए खरीददारों को अपने बैनामा भी कराए। इतना ही नहीं सभी परिवार नगर पालिका को हाउस टैक्स भी दे रहे थे।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।