Chandausi: विवाहिता को जिंदा जलाने के मामले में पति को दस व सास-ससुर को सात साल कैद की सजा, तीनों पर दस-दस हजार रुपये का अर्थदंड
बरेली जनपद के आंवला थाना क्षेत्र में आने वाले ग्राम महमूदपुर निवासी सुखलाल की विधवा पत्नी मूंगा देवी ने वर्ष 2017 में अपनी पुत्री गीता की शादी चंदौसी कोतवाली क्षेत्र के ग्राम असालतपुर जारई निवासी चंद्रसेन के पुत्र सिंटू के साथ हिंदू रीति रिवाज से की थी। दहेज के लालची पति सिंटू ससुर चंद्रसेन व सास राजेश्वरी ने चार जून की शाम गीता को मिट्टी का तेल डालकर जला दिया।
By Om Prakash ShankhdharEdited By: Vinay SaxenaUpdated: Wed, 20 Dec 2023 04:51 PM (IST)
जागरण संवाददाता, चंदौसी। दहेज के लिए विवाहिता को जिंदा जलाने वाले पति को दस साल की कठोर कैद व दस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई, जबकि सास व ससुर को सात-सात साल कारावास व दस-दस हजार रुपये अर्थदंड की सजा अदालत ने सुनाई है। जुर्माने की धनराशि जमा न करने पर सभी को छह माह का अतिरिक्त कारावास भोगना पड़ेगा।
बरेली जनपद के आंवला थाना क्षेत्र में आने वाले ग्राम महमूदपुर निवासी सुखलाल की विधवा पत्नी मूंगा देवी ने वर्ष 2017 में अपनी पुत्री गीता की शादी चंदौसी कोतवाली क्षेत्र के ग्राम असालतपुर जारई निवासी चंद्रसेन के पुत्र सिंटू के साथ हिंदू रीति रिवाज से की थी। अपनी हैसियत के अनुसार दान दहेज भी दिया था। इसके बाद भी ससुराल वाले संतुष्ट नहीं थे, वह कभी मोबाइल, कभी नकदी और कूलर की मांग करते थे। इसको लेकर वह गीता को प्रताड़ित करते थे।
दहेज के लालची पति सिंटू, ससुर चंद्रसेन व सास राजेश्वरी ने चार जून की शाम गीता को मिट्टी का तेल डालकर जला दिया। जिसकी उपचार को मुरादाबाद ले जाते समय रास्ते में ही मौत हो गई। घटना की सूचना मिलने पर गीता की मां मूंगा देवी व बनियाठेर थाना क्षेत्र के ग्राम अजीमगंज निवासी मामा राजपाल अन्य परिवार वालों के साथ गीता की ससुराल पहुंचे। शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस मामले में राजपाल की ओर चंदौसी कोतवाली में गीता के पति व सास-ससुर के खिलाफ दहेज के लालच में गीता की हत्या करने की रिपोर्ट दर्ज कराई।
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घटना की प्राथमिकी दर्ज करने के बाद पुलिस ने जांच की और तीनों के खिलाफ आरोप पत्र अदालत में दाखिल कर दिया। न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश, विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट अशोक कुमार यादव की अदालत में मुकदमा चलाया गया।
विद्वान न्यायाधीश ने पत्रावली का गंभीरता से अध्ययन करने और गवाहों के बयानों को सुनने के साथ ही बचाव पक्ष के अधिवक्ता एवं सहायक शासकीय अधिवक्ता हरिओमप्रकाश उर्फ हरीश सैनी की दलीलों को सुनने के मृतका के पति सिंटू को दस साल की कठोर कैद व दस हजार रुपये अर्थदंड, सास राजेश्वरी व ससुर चंद्रसेन को सात-सात साल के सश्रम कारावास और दस-दस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माने की धनराशि जमा न करने पर छह-छह महीने का अतिरिक्त कारावास भोगना पड़ेगा।
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