मुलायम परिवार में सब कुछ ठीक? धर्मेंद्र को नहीं लगी टिकट कटने की भनक, शिवपाल को मैदान में उतारने की Inside Story
Lok Sabha Election समाजवादी पार्टी में अंदरखाने क्या चल रहा है इसकी भनक अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव तक को नहीं है। वह मंगलवार की शाम को बदायूं लोकसभा की गुन्नौर विधानसभा के अंतर्गत कस्बा धनारी में संविधान बचाओ रैली कर रहे थे जहां से समर्थकों की नारेबाजी के बीच से निकलने के बाद एक पदाधिकारी की सूचना पर टिकट कटने की जानकारी हुई।
शिवकुमार कुशवाहा, बहजोई। समाजवादी पार्टी में अंदरखाने क्या चल रहा है, इसकी भनक अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव तक को नहीं है। वह मंगलवार की शाम को बदायूं लोकसभा की गुन्नौर विधानसभा के अंतर्गत कस्बा धनारी में संविधान बचाओ रैली कर रहे थे, जहां से समर्थकों की नारेबाजी के बीच से निकलने के बाद एक पदाधिकारी की सूचना पर टिकट कटने की जानकारी हुई। हालांकि, अटकलें लगाई जा रही हैं कि पार्टी में लगातार हो रही टूट के बीच कहीं शिवपाल यादव भी इसका शिकार न हो जाए, इसलिए उन्हें साधने का प्रयास किया गया है।
मुस्लिम बाहुल्य इलाका है बदायूं
दरअसल, बदायूं लोकसभा की विधानसभा सहसवान और गुन्नौर यादव बाहुल्य मतदाताओं के अंतर्गत आती है, जहां से धर्मेंद्र यादव वर्ष 2009 और वर्ष 2014 में चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंचे थे। बदायूं में मुस्लिम मतदाताओं की भी संख्या अधिक होने के चलते इस लोकसभा पर सपा की मजबूती कही जाती है और वर्ष 2019 में एक बार फिर से धर्मेंद्र यादव को ही प्रत्याशी बनाया गया लेकिन वह भाजपा की संघमित्रा मौर्य से चुनाव हार गए थे। बाद में आजमगढ़ से उपचुनाव लड़े लेकिन वहां से भी हार गए।
अब वर्ष 2024 की लोकसभा चुनाव की तैयारी के बीच पार्टी ने उन्हें पहले ही सूची में बदायूं से प्रत्याशी बनाया था। जिसके अंतर्गत वह लगातार तैयारी कर रहे थे करीब एक साल से लगातार भ्रमणशील रहने के साथ-साथ पार्टी समर्थक कार्यकर्ताओं के अलावा जातिगत समीकरण को साधने के प्रयास में लगे हुए थे।
धर्मेंद्र यादव कर रहे थे सभा
धर्मेंद्र यादव मंगलवार को अपने प्रस्तावित कार्यक्रम के अंतर्गत संभल की विधानसभा गुन्नौर के कस्बा धनारी में पहुंचे, जहां उन्होंने संविधान बचाओ, पीडीए रैली को संबोधित किया। इसके बाद वह धनारी में ही अंबेडकर प्रतिमा पर माल्यार्पण करने पहुंचे। तत्पश्चात बहजोई होते हुए बदायूं के लिए रवाना हुए, तब तक इसकी भनक उन्हें नहीं थी कि उनका टिकट काटकर उनके चाचा शिवपाल यादव को दे दिया गया है।
क्या शिवपाल कर पाएंगे धर्मेंद्र की भरपाई
पार्टी के कई दिग्गज और पदाधिकारी का दावा है कि शीर्ष नेतृत्व के द्वारा लिया गया यह निर्णय कितना प्रभावी होगा, यह तो समय ही बताएगा लेकिन जिस प्रकार से धरातल पर उनके द्वारा मेहनत की जा रही थी, उससे कार्यकर्ताओं में मायूसी है क्योंकि तकरीबन 10 साल तक सांसद और वर्ष 2012 से 2017 तक सत्ता में रहने के बाद सक्रिय भूमिका में धर्मेंद्र यादव लोगों से जुड़े रहे, उसकी भरपाई शिवपाल यादव कर पाएंगे, इसको लेकर कार्यकर्ताओं में संशय बरकरार है।
पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव जोकि बदायूं से लोकसभा के प्रत्याशी घोषित किए गए थे, उनके साथ और बाबा साहब वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मिठाई लाल भारती और अन्य पदाधिकारी धनारी में जनसभा कर रहे थे, जहां से निकलने के बाद हमने टीवी पर समाचार देखा कि उनका टिकट कट गया है, यह शीर्ष नेतृत्व का निर्णय है। बदायूं की जनता पहले से ही मुलायम सिंह यादव के परिवार को पसंद करती आई है।
-कृष्ण मुरारी शंखधार, जिला महासचिव, संभल।
पार्टी में उथल पुथल के बीच बदले जा रहे निर्णय
सपा के कई शीर्ष पदाधिकारियों का दावा है कि जिस प्रकार से कई दिग्गजों ने पार्टी को छोड़कर बगावत की है, उसे अंदर खाने संकेत अच्छे नहीं मिल रहे हैं। पहली सूची में टिकट बंटवारे को लेकर भी कई लोगों ने आपत्ति जताई थी।
स्वामी प्रसाद मौर्य के पार्टी छोड़ने के साथी कई के द्वारा विरोध जताने के बाद ऐसा किया गया है। बताया जा रहा है कि कहीं शिवपाल यादव भी पार्टी की टूट का शिकार न हो जाएं, जिसके चलते उन्हें बदायूं से प्रत्याशी बनाया है, जहां सपा इस बार स्वयं को सुरक्षित मान रही है, हालांकि यह निर्णय किस कारण से लिया गया, यह स्वयं धर्मेंद्र यादव भी नहीं जानते हैं जबकि वह अखिलेश यादव के बेहद करीबी माने जाते हैं और जिस वक्त शिवपाल यादव व अखिलेश यादव के बीच तनाव उत्पन्न हुआ था तो वह रामगोपाल और अखिलेश यादव के सबसे करीबी नेताओं में एक रहे थे।
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