UP News: जिसका शिलान्यास करके गए हैं पीएम मोदी, जानिए आखिर कल्कि धाम मंदिर की क्या है विशेषता, सीमेंट-सरिया नहीं लगेगा
श्रीमद्भागवत-महापुराण के 12वे स्कंद के अनुसार- ‘संबल ग्राम मुख्यस्य ब्राह्मणस्य महात्मनः भवने विष्णु यशसः कल्किः प्रादुर्भविष्यति’... इसमें स्पष्ट रूप से सबकुछ कह दिया गया है। यानी संबल ग्राम (नगरी) में विष्णुयश नामक श्रेष्ठ ब्राह्मण के पुत्र के रूप में भगवान कल्कि का जन्म होगा। वह देवदत्त नामक घोड़े पर आरूढ़ होकर अपनी कराल करवाल (तलवार) से दुष्टों पापियों का संहार करेंगे तभी सतयुग का प्रारंभ होगा।
जागरण संवाददाता, संभल। 118 फीट ऊंचे कल्कि धाम मंदिर में राजस्थान के गुलाबी पत्थर का इस्तेमाल होगा। सोमपुरा परिवार ने इसकी डिजाइन बनाई है। इन्हीं पत्थरों से अयोध्या में श्रीराम का मंदिर बना। इसमें 10 गर्भगृह होंगे। यह सभी अवतार से जुड़ा है।
मुख्य गर्भगृह भगवान श्रीकल्कि का होगा। इसके प्रांगण में 68 तीर्थ स्थापित होंगे। कल्कि धाम मंदिर में न तो सीमेंट का इस्तेमाल होगा और न ही सरिया का। यह पांच साल में बनकर तैयार होगा।
श्रीविष्णु के दसवें अवतार होंगे
आचार्य प्रमोद कृष्णम कहते हैं कि वह भगवान श्रीविष्णु के दसवें अवतार होंगे। श्रीकल्कि के अवतरण की गाथा तो हजारों साल पहले धार्मिक ग्रंथों में आ चुकी है। जगह के रूप में संबल ग्रामस्य का भी उल्लेख है। हालांकि यह जगह कहां हो सकती है, यह बाद का विषय है।कल्कि पुराण, हिंदुओं के विभिन्न धार्मिक एवं पौराणिक ग्रंथों में से एक है। यह एक उपपुराण है। इसमें भगवान विष्णु के दसवें तथा अंतिम अवतार की भविष्यवाणी की गई है। कहा गया है कि विष्णु का अगला अवतार (महाअवतार) कल्कि अवतार होगा।
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कल्कि जन्म से ही 64 कलाओं से युक्त होंगे
कल्कि जन्म से ही 64 कलाओं से युक्त होंगे। स्पष्ट है कि उनके जन्म के समय सभी ग्रह उच्च अवस्था में या मूल त्रिकोण में होंगे। वैष्णव ब्रह्मांड विज्ञान के अनुसार अंतहीन चक्र वाले चार कालों में से अंतिम, यानी कलयुग के अंत में भगवान विष्णु के दसवें अवतार भगवान कल्कि देवदत्त नाम के घोड़े पर आरूढ़ होकर तलवार से दुष्टों का संहार करेंगे, इसके बाद सतयुग का प्रारंभ होगा।
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