Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    झोलाछाप के क्लीनिक में चल रहा था NICU, सिटी मजिस्ट्रेट ने तीन अस्पतालों को किया सील

    Updated: Wed, 24 Sep 2025 07:06 PM (IST)

    संभल में सिटी मजिस्ट्रेट ने झोलाछापों के खिलाफ अभियान चलाते हुए तीन अस्पतालों को सील कर दिया। एक क्लीनिक में बिना अनुमति एनआईसीयू (नवजात गहन चिकित्सा इकाई) का संचालन हो रहा था। ग्रामीण क्षेत्रों में बिना डिग्री के इलाज करने वालों की बाढ़ आ गई है। एक अस्पताल में गंदगी और बदबू पाई गई।

    Hero Image
    संभल के मोहम्मदपुर टांडा में अवैध क्लीनिक पर संचालक से जानकारी करते सिटी मजिस्ट्रेट सुधीर कुमार सोनी। जागरण

    जागरण संवाददाता, संभल। सिटी मजिस्ट्रेट की ओर से झोलाछाप के खिलाफ चलाया जा रहा अभियान तीसरे दिन भी जारी रहा, जिसमें तीन अस्पतालों को सील किया गया। जहां एक झोलाछाप द्वारा क्लीनिक वाले अस्पताल में बिना अनुमति एनआईसीयू (नवजात गहन चिकित्सा इकाई) को संचालित किया जा रहा था। प्रशासन की इस कार्रवाई की जानकारी से अन्य झोलाछाप में खलबली रही।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ग्रामीण क्षेत्र में बिना किसी डिग्री या शिक्षा के लोगों का इलाज करने वालों की बाढ़ सी आ गई है, जिसके चलते हर गांव या कस्बे में एक दो नहीं बल्कि दर्जन भर झोलाछाप की दुकान मिल जाएंगी। जहां वह लोगों का उपचार करने के साथ ही उन्हें भर्ती भी कर लेते हैं। इतना ही नहीं कई झोलाछाप के क्लीनिक में आईसीयू व एनआईसीयू जैसे केयर यूनिट भी चलाए जा रहे हैं। बुधवार को सिटी मजिस्ट्रेट सुधीर कुमार सोनी टीम के साथ चंदौसी मार्ग स्थित गांव मोहम्मदपुर टांडा पहुंचे। जहां सबसे पहले वह टीम के साथ एमपीएस पोली क्लीनिक पर पहुंचे और वहां क्लीनिक अस्पताल के रूप में संचालित मिला।

    निरीक्षण के दौरान माेहम्मदपुर टांडा निवासी माखनचंद्र महापात्र व उनके बेटे के साथ कई अन्य मिले। मौके पर माखनचंद्र द्वारा लोगों का इलाज किया जा रहा था, जिसके लिए 10-15 मरीज बैठे थे और चार मरीज भर्ती थे। सिटी मजिस्ट्रेट ने बताया कि निरीक्षण के दौरान अस्पताल में बदबू व गंदगी थी। साथ ही मेडिकल भी चलाया जा रहा था, जिसका पंजीकरण दिखाने को कहा तो बताया कि जिसके नाम पंजीकृत है वह बाहर रहती हैं। इस पर मेडिकल की आड़ में अवैध रूप से अस्पताल चलाने की बात सामने आयी, क्योंकि जब उनसे अस्पताल के कागज दिखाने को कहा तो वह उसे भी नहीं दिखा सके। इस पर अस्पताल काे सील कर दिया गया।

    यहां के बाद टीम पास में ही स्थित एएस अस्पताल पहुंची तो वहां संचालक युनुस द्वारा छापेमारी की खबर के बाद मरीजों को भगा दिया गया था, लेकिन अस्पताल के गेट पर ताला लगाने का प्रयास कर रहे थे। जहां रजिस्ट्रेशन पत्र दिखा गया तो उसमें युनुस का नाम दर्ज था। जबकि वह उसको संचालित करने के योग्य नहीं थे और बिना किसी सक्षम चिकित्सक के लोगों को इलाज कर रहे थे। ऐसे में दोनों अस्पताल को सील करते हुए कार्रवाई के निर्देश स्वास्थ्य विभाग को दिए।

    यहां से जब टीम निकली तो सामने की ओर एक मकान में दो दुकान थी, जिसके बारे में लोगों ने बताया कि वहां बच्चों का युनूस द्वारा इलाज किया जाता है। इस पर युनुस को उस मकान को खुलवाने के लिए कहा तो काफी देर बाद उसने उसे खुलवाया। जहां क्लीनिक के साथ मेडिकल भी था। जबकि एक कमरे में एनआईसीयू (नवजात गहन चिकित्सा इकाई) था। इसका भी कोई प्रमाण पत्र वह नहीं दिखा सका तो उसको भी सील करते हुए कार्रवाई के निर्देश क्वैक्स टीम प्रभारी डा. मनोज चौधरी को दिए।

    यह भी पढ़ें- भीषण हादसे में बोलेरो पिकअप के उड़े परखच्चे, अस्पताल ले जाने से पहले चालक ने तोड़ दिया दम