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हिंसा से सहम गया है संभल: चौकन्नी निगाहों से माहौल एकदम शांत, करोड़ों का कारोबार हुआ चौपट; संदिग्धों पर कड़ी नजर | 10 बड़ी बातें

संभल में हुए बवाल के बाद शहर में सन्नाटा पसरा हुआ है। जामा मस्जिद के आसपास के इलाके में आगजनी और पथराव के निशान दूसरे दिन भी साफ दिखाई दे रहे हैं। पुलिस बल की भारी तैनाती है और लोग गिरफ्तारी के डर से घरों में दुबके हुए हैं। प्रशासन ने अघोषित कर्फ्यू लगा दिया है। शहर में बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है।

By Shiv Narayan Edited By: Sakshi Gupta Updated: Mon, 25 Nov 2024 07:38 PM (IST)
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संभल में बवाल के बाद दूसरे दिन भी भारी पुलिस बल की तैनाती रही। (तस्वीर जागरण)
संवाद सहयोगी, संभल। जामा मस्जिद बनाम हरिहर मंदिर के विवाद में हुए बवाल से शहर सहम गया है, लोग डरे हुए हैं। जहां हर रोज करोड़ों का कारोबार होता है, वहां बवाल के दूसरे दिन सोमवार को शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के लोग गायब दिखे। जहां लोगों की चहलकदमी हर रोज शहर की गलियां गुलजार करती थीं, आज समझो शहर थम-सा गया है। रैपिड एक्शन फोर्स के अलावा यूपी पुलिस के जवानों की उपस्थिति और उनकी चौकन्नी निगाहों से माहौल एकदम शांत दिखा।

दरअसल, पुलिस और उग्र भीड़ के बीच हुए बवाल के दूसरे दिन दैनिक जागरण की टीम ने शहर के हाल को लेकर लाइव पड़ताल की। सबसे ज्यादा व्यस्त रहने वाले शंकर चौराहे से लेकर तहसील रोड पर सोमवार की सुबह को चहलकदमी न के समान दिखाई दी। हिंदू समुदाय के लोग जरूर दोपहर बाद अपने प्रतिष्ठानों पर पहुंचे। हालांकि मुस्लिमों ने अपने प्रतिष्ठानों को नहीं खोला।

1- बवाल के दूसरे दिन शहर में पसरा सन्नाटा

जहां बवाल हुआ, वहां कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। यहां के जिला अस्पताल में हर रोज खूब भीड़ देखी जाती है, लेकिन घटना के बाद जिला अस्पताल भी सूना नजर आया। बवाल के दूसरे दिन सिर्फ एक-दो मरीज ही दिखाई दिए।

स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि घटना के बाद ज्यादातर लोग डरे और सहमे हुए हैं, जो लोग ओपीडी या अन्य स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आते थे, आज नजर नहीं आए। स्वास्थ्य कर्मी भी खाली बैठे दिखे। शंकर चौराहे के नजदीक में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर भी है, स्वास्थ्य विभाग के करीब पांच कर्मचारी कुर्सियों पर बैठकर आराम फरमा रहे थे।

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2- अस्पताल में एक-दो मरीज ही दिखाई दिए

उन्होंने बताया कि आमतौर पर सोमवार के दिन अस्पताल में सबसे अधिक भीड़ रहती है, क्योंकि शनिवार और रविवार के बाद ओपीडी खुलता है, लेकिन आज कोई चहलकदमी दिखाई नहीं दी। अस्पताल के सामने मेडिकल स्टोर तो खुले, लेकिन अन्य दुकानें बंद थीं।

3- चेंबर में नजर नहीं आए अधिवक्ता

टीम ने जब आगे का रुख किया तो तहसील परिसर में भी सन्नाटा पसरा हुआ था, यहां पर चकबंदी के न्यायालय के अलावा अधिवक्ताओं के भी चेंबर हैं, लेकिन अधिवक्ता भी नजर नहीं आए। टंडन तिराहे से लेकर संभल कोतवाली तक सिर्फ पुलिस ही नजर आती रही और कुछ मीडियाकर्मी घटना की कवरेज करते दिखे।

4- मस्जिद के पास का इलाका सूनसान हुआ

वहीं, जमा मस्जिद वाली गली के आसपास का नजारा बिल्कुल सूनसान दिखाई दिया। घटना के दिन हुई आगजनी और पथराव के निशान दूसरे दिन भी बने हुए हैं। आगजनी के बाद वहां पर राख फैली हुई है। हालांकि एक दिन पहले नगर पालिका के कर्मियों द्वारा मलबे को हटा लिया गया था, बावजूद इसके ईंट और पत्थर फेंके जाने के निशान दीवारों पर लगे हुए हैं। सड़क भी राख से काली नजर आई।

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5- बवाल के बाद कई घरों पर ताला लटके

जामा मस्जिद के चारों ओर भारी पुलिस बल की तैनाती से माहौल अघोषित कर्फ्यू जैसा लग रहा है। गलियों में आवागमन बिल्कुल ठप है और आसपास के घरों में ताले लटके हुए हैं। पुलिस का मानना है कि जिस स्थान पर पुलिस के साथ झड़प हुई थी, वहां आसपास के घरों में रहने वाले लोग फरार हो चुके हैं।

यहां से मनोकामना कॉलोनी तक भी माहौल शांत दिखा। उधर, नखासा क्षेत्र में भी पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई से लोग सहमे हुए हैं। हालांकि पुलिस द्वारा लगातार मार्च किया जा रहा है। सिर्फ पुलिस के वाहनों के सायरन की आवाज गूंजती रही। कोतवाली के सामने खड़े एक व्यक्ति ने बताया कि लोग गिरफ्तारी के डर से गायब हैं और यह नजारा अगले कई दिनों तक रहेगा।

6- दंगाइयों पर कार्रवाई करने की उठी मांग

संभल बवाल को लेकर जनक्रांति एकता मंच के प्रतिनिधि मंडल ने राष्ट्रीय संगठन प्रमुख नवनीत गांधी के नेतृत्व में राष्ट्रपति के नाम सात सूत्रीय ज्ञापन तहसीलदार गुन्नौर सराह अशरफ को सौंपते हुए दंगाइयों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष यादव ने कहा कि प्रशासन यदि सख्त कदम नहीं उठाता तो इन दंगाइयों का आक्रोश पूरे संभल शहर को आग में झोंक सकता था।

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7- पत्थरबाजों को सरकारी योजनाओं से वंचित करने की मांग

उन्होंने पत्थरबाजों और दंगाइयों को परिवार सहित चुनावी मतदान और सरकारी योजनाओं से वंचित करने की मांग की। उन्होंने यह भी मांग की कि विवादित मस्जिद में नमाज पढ़ने पर कोर्ट के निर्णय तक रोक लगाई जाए।

8- सोशल मीडिया पर फैले अफवाहों पर ध्यान ना दें- सीओ

इसके अलावा गुन्नौर कोतवाली में पुलिस क्षेत्राधिकारी प्रदीप कुमार की अध्यक्षता में मुस्लिम समुदाय समेत संभ्रांत लोगों के साथ बैठक का आयोजन कर नगर में फ्लैग मार्च निकाला गया। सीओ ने सभी से अपील किया कि सोशल मीडिया पर अफवाहों पर बिल्कुल ध्यान नहीं दें। क्षेत्र में शांति सौहार्द बनाए रखें। अगर किसी भी अराजक तत्व ने विघ्न डालने की कोशिश की तो कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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9- बगैर अनुमति के बाहरी व्यक्ति का प्रवेश प्रतिबंधित

बाहरी तत्वों पर नजर रखने के लिए डीएम ने पाबंदियों का दायरा बढ़ा दिया है। अघोषित कर्फ्यू के साथ-साथ जिले की सीमाओं पर चौकसी के साथ सघन चेकिंग अभियान चलाया गया। जिले में कोई भी बाहरी व्यक्ति, सामाजिक या राजनीतिक संगठन का व्यक्ति बगैर अनुमति के प्रवेश नहीं करेगा। इसके निर्देश जिला मजिस्ट्रेट ने दिए हैं। डीएम ने यह प्रतिबंध भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 की निषेधाज्ञा के अनुसार लगाई है।

इसके अलावा पुलिस ने रात्रि में भी छापेमारी कर दबिश देने का अभियान चलाया। घरों में उन लोगों की तलाश की गई, जिन्हें वीडियो और अन्य साक्ष्य के माध्यम से उग्र भीड़ में बवाल करते हुए चिह्नित किया गया है।

10- शहर में डीआईजी और एसपी अभी भी डटे

उधर, मुरादाबाद के डीआईजी मुनिराज, डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया और एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई के अलावा एडीएम और एएसपी पूरी रात संभल में हालात पर नजर रखते रहे। उन्होंने रात्रि में संभल में ही कैंप किया और डीएम सुबह को बहजोई पहुंचे, फिर कुछ घंटों बाद संभल के लिए रवाना हुए। जबकि डीआईजी और एसपी अभी भी संभल में ही डटे हैं।

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