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यूपी के किसानों के लिए आ गई बड़ी खुशखबरी, अबकी बार इस तरह होगी आलू की खरीद- किसानों को होगा फायदा ही फायदा

जिले के लिए इस बार सरकारी स्तर से ही 1000 क्विंटल आलू का बीज मिला था जबकि मुरादाबाद जिले को मात्र 300 क्विंटल अमरोहा को 200 रामपुर को 200 और बिजनौर को केवल 100 क्विंटल बीज ही शासन स्तर से दिया गया था। इसके अलावा लोगों ने अपने पास स्टोर किया गया आलू या अन्य माध्यमों खरीद कर बीज लगाया था।

By Om Prakash Shankhdhar Edited By: Mohammed Ammar Updated: Thu, 18 Jan 2024 09:20 PM (IST)
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यूपी के किसानों के लिए आ गई बड़ी खुशखबरी, अबकी बार इस तरह होगी आलू की खरीद

जासं, चंदौसी: पिछले वर्ष मिट्टी के मोल बिक रहे आलू को लेकर जब किसान संगठनों ने हाय-तौबा की तो शासन स्तर से मिले आदेश के बाद आलू की खरीद के लिए क्रय केंद्र स्थापित किए गए। इन क्रय केंद्रों पर आलू बेचने के मानक ऐसे रखे गए कि किसान जाने की हिम्मत ही न जुटा सके।

नतीजा यह हुआ कि एक महीने के लिए खोले गए क्रय केंद्र पर एक भी आलू नहीं आया और क्रय केंद्र बंद कर दिए गए। इस बार आलू खरीद के लिए केंद्र बनाए जाने के कोई आदेश नहीं आए हैं।

इस बार भी आलू की पैदावार में संभल जिला पूरे मंडल में टाप पर है। इसे राज्य स्तर पर भी प्राथमिकता देते हुए उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा मंडल के हर जिले से कई गुणा अधिक आलू का बीज दिया था। इस बार भी करीब 22 हजार हेक्टेअर में आलू की फसल लगाई गई।

जिले के लिए इस बार सरकारी स्तर से ही 1000 क्विंटल आलू का बीज मिला था, जबकि मुरादाबाद जिले को मात्र 300 क्विंटल, अमरोहा को 200, रामपुर को 200 और बिजनौर को केवल 100 क्विंटल बीज ही शासन स्तर से दिया गया था। इसके अलावा लोगों ने अपने पास स्टोर किया गया आलू या अन्य माध्यमों खरीद कर बीज लगाया था।

बता दें कि इस बार आलू की फसल की बंपर पैदावार होने के कारण इसके दाम बहुत अधिक ऊपर जाने की उम्मीद नहीं है। फिलहाल कच्चा आलू मंडी समित में 300 से 350 रुपये बोरी तक बिक रहा है। अभी केवल कच्चे आलू की खोदाई हो रही है। इस आलू का बीज भी ऐसा होता है कि इसे कच्चे में ही खोदने में फायदा रहता है।

पकने के बाद फरवरी के अंत में या फिर मार्च में आलू की खोदाई शुरू होगी, जिसको स्टोर किया जाएगा। पिछले वर्ष सरकार ने आलू क्रय केंद्र खोलने का आदेश कृषि उत्पादन मंडी समितियों को दिया था। इस क्रम में बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत चंदौसी मंडी समिति में भी एक आलू क्रय केंद्र गत शुरू किया गया था।

एक महीने तक खोले गए इस क्रय केंद्र पर अंत तक कोई किसान आलू लेकर नहीं पहुंचा। गत वर्ष क्रय केंद्रों पर आलू न पहुंचने की सबसे बड़ी वजह शासन द्वारा तय किए गए मानक रहे। इसमें सबसे अहम यह था कि आलू का साइज 45 से 85 मिमी होना चाहिए।

इसके साथ ही आलू कटा-फटा, हरा, रोग ग्रस्त और अंडर या ओवर साइज नहीं होना चाहिए। ऐसी स्थिति में किसानों के पास आलू की छटनी करने का न तो समय था और न ही बचे आलू को कोई व्यापारी खरीदने वाला था। कुल मिलाकर ऐसी शर्तें लगाई गईं कि आलू क्रय केंद्रों तक नहीं पहुंच सका। इन्हीं कारणों को देखते हुए इस बार सरकार ने आलू क्रय केंद्र खोलने संबंधी कोई आदेश जारी नहीं किया है।

पिछले वर्ष की तरह इस बार भी आलू का रकबा काफी अधिक है। उत्पादन भी बेहतर नजर आ रहा है। इस बार सरकार ने क्रय केंद्रों के माध्यम से आलू खरीद का कोई आदेश जारी नहीं किया है। किसान की रुचि भी क्रय केंद्रों पर आलू बेचने की नहीं रहती है।

-सुघर सिंह, जिला उद्यान अधिकारी संभल।

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