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जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ

वेदप्रकाश गुप्त, संतकबीर नगर जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ, मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बै

By JagranEdited By: Updated: Sun, 16 Apr 2017 10:31 PM (IST)
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जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ

वेदप्रकाश गुप्त, संतकबीर नगर

जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ, मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ। संत कबीरदास की धरती मानों उन्हीं के दोहे को दोहरा रही है। हालांकि दोहे का अर्थ होता है, जो प्रयत्न करते हैं, वे कुछ न कुछ वैसे ही पा ही लेते हैं जैसे कोई मेहनत करने वाला गोताखोर गहरे पानी में जाता है और कुछ ले कर आता है। लेकिन कुछ बेचारे लोग ऐसे भी होते हैं जो डूबने के भय से किनारे पर ही बैठे रह जाते हैं और कुछ नहीं पाते। वादों, दावों के बीच मगहर आज भी विकास के लिए तरस रहा है।

यहां मौजूद रोजगार के संसाधन और यातायात की सुविधा को और बेहतर किए जाए तो यह क्षेत्र विकसित हो सकता है। नगर पंचायत मगहर में महान संत कबीर साहब की परिनिर्वाण स्थली व ऐतिहासिकता के कारण विश्व स्तर पर पहचान है। विकास की बात करें तो इसके बढ़ावा देने के लिये केंद्र और प्रदेश स्तर पर जो भी प्रयास किए गए वह पर्याप्त नहीं है।

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यहां आ रही हैं दिक्कतें

संतकबीर की स्थली पुरातत्व और पर्यटन विभाग के अधीनस्थ होने की वजह से नगर क्षेत्र के अधिकारों से बाहर है, जिससे इसके अंतर्गत किए जाने वाले विकास कार्य केंद्र स्तर की पहल पर ही निर्भर है और नगर के संपूर्ण विकास के लिए जिम्मेदार नगर पंचायत प्रशासन इसके विकास को लेकर कोई पहल नहीं कर सका है। हालांकि इसको बढ़ावा देने के लिए केंद्र और प्रदेश व जिला प्रशासन स्तर पर समय-समय पर प्रयास किए गए, जिसके परिणामस्वरूप कबीर चौरा स्थल पर कबीर शोध संस्थान, परिसर का सुंदरीकरण व परिसर के पास उद्यान आदि की स्थापना की गई। वहीं यहां पर देश विदेश से आने वाले पर्यटकों का जरा भी ध्यान नहीं रखा गया और उनके स्थान तक पहुंचने के यातायात संसाधन, ठहरने का स्थान व उनके रुकने की स्थिति में भोजन, जलपान तक की सुविधा भी मुहैय्या नहीं हो सकी है।

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शोधकर्ताओं की उपेक्षा

महान संत कबीर साहब पर शोध करने के लिए देश के नामचीन विश्वविद्यालय से आने वाले शोध छात्रों और शोधकर्ताओं के लिये संत कबीर शोध संथान में पुस्तकों और व्यवस्था की कमी भी लोगों को निराश करती है।

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उपेक्षित राजकीय संत कबीर उद्यान

उद्यान व खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा संरक्षित स्थली के समीप फल उद्यान की व्यवस्था की गई थी, जिसके तहत केला अमरूद, आम और अन्य वानस्पतिक पौधों को उद्यानीकरण किया जाता रहा है। 2002-3 में माइक्रोमोड़ योजना के बाद इसमें ग्रहण लगा और अलंकृत उद्यान में ही सिमट कर रह गया। यहां से निकले दुर्लभ पौधे पूरे मंडल में भेजे जाते रहे हैं और आय का साधन भी रहे हैं।

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- केंद्र सरकार मगहर के विकास के लिए कृत संकल्पित है। केंद्रीय पर्यटन मंत्री डा. दिनेश शर्मा के कार्यक्रम के बाद हुई घोषणाओं को जल्द अमलीजामा पहनाया जाएगा। पर्यटकों की सुविधा के लिए और योजनाएं लाई जाएंगी।

- शरद त्रिपाठी, सांसद

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मगहर के विकास के लिए कृतसंकल्पित हूं। मैंने कई समस्याओं को संज्ञान में लिया है। जल्द ही उनके निराकरण का प्रयास किया जाएगा।

- दिग्विजय नरायण चतुर्वेदी उर्फ जय चौबे, विधायक, खलीलाबाद

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नगर पंचायत ने पर्यटन स्थली के विकास के लिए काफी काम किया है। नगर को आकर्षक बनाया गया है। सफाई का भी पूरा ख्याल रखा जाता है। यहां ट्रेनों के ठहराव के लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा है। इस संबंध में मैंने रेल राज्यमंत्री से मुलाकात की है।

- अश्विनी कुमार गुप्त, अध्यक्ष, नगर पंचायत मगहर

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