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सिद्धार्थनगर में असलहा फैक्ट्री का पर्दाफाश, पुलिस ने घेराबंदी कर बदमाश को भी दबोचा; भारी मात्रा में हथियार बरामद

एसओजी टीम के प्रभारी शेषनाथ यादव त्रिलोकपुर थाना प्रभारी चंदन कुमार व सर्विलांस सेल प्रभारी सुरेंद्र सिंह अपनी टीम के साथ थानाध्यक्ष त्रिलोकपुर में अपराधियों को पकड़ने की योजना बना रहे थे। इसी दौरान सूचना मिली कि गांव के पास बाग में एक छप्पर डालकर उसमें असलहा बनाया जा रहा है। टीम ने दबिश दी तो पुलिस टीम मौके पर पहुंची और छप्पर को चारों तरफ से घेर लिया।

By Jagran News Edited By: Riya Pandey Updated: Sat, 27 Apr 2024 08:46 PM (IST)
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सिद्धार्थनगर में असलहा फैक्ट्री का पर्दाफाश (फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, सिद्धार्थनगर। पुलिस टीम ने शुक्रवार की रात में त्रिलोकपुर थाना क्षेत्र के बहादुर गांव के बाग के पास संचालित असलहा बनाने की फैक्ट्री पकड़ी गई। पुलिस टीम ने मौके से एक बदमाश को पांच जिंदा व छह अर्धनिर्मित असलहा के साथ गिरफ्तार किया है।

आरोपित का नाम सलीम पुत्र वसीम निवासी जबजौवा थाना डुमरियागंज जिला सिद्धार्थनगर है। यह जानकारी एसपी प्राची सिंह ने शनिवार को दी। वह अपने कार्यालय में पत्रकाराें से वार्ता कर रही थीं।

एसपी ने बताया कि एसओजी टीम के प्रभारी शेषनाथ यादव, त्रिलोकपुर थाना प्रभारी चंदन कुमार व सर्विलांस सेल प्रभारी सुरेंद्र सिंह अपनी टीम के साथ थानाध्यक्ष त्रिलोकपुर में अपराधियों को पकड़ने की योजना बना रहे थे। इसी दौरान सूचना मिली कि गांव के पास बाग में एक छप्पर डालकर उसमें असलहा बनाया जा रहा है।

पुलिस ने घेराबंदी कर दबोचा

टीम ने दबिश दी तो पुलिस टीम मौके पर पहुंची और छप्पर को चारो तरफ से घेर लिया। पुलिस को देख छप्पर से एक व्यक्ति भागने लगा। टीम के सदस्यों ने उसे दौड़ाकर पकड़ लिया। तलाशी के दाैरान छप्पर के अंदर से पांच असलहा बरामद किया। इसमें तीन 12 बोर और दो 315 बोर का असलहा शामिल था। इसके अलावा छह नाल, दो जिंदा कारतूस, असलहा बनाने का उपकरण, बरामद किया।

ये लोग रहे शामिल

बदमाश के खिलाफ डुमरियागंज थाने में गैंगस्टर, आर्म्स एक्ट समेत कुल आठ मामले दर्ज हैं। गिरफ्तारी टीम में बिस्कोहर चौकी प्रभारी राकेश त्रिपाठी, मुख्य आरक्षी दिलीप कुमार, राजीव शुक्ला आशुतोष धर दूबे, विरेन्द्र त्रिपाठी समेत अन्य पुलिसकर्मी शामिल रहे।

नेपाल सीमा पर बेचता था असलहा

पकड़े गए बदमाश ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि वह असलहा को बनाकर नेपाल बार्डर से सटे गांवों एवं कस्बों में इसे पांच से दस हजार रुपये में बेचता है। मिले पैसे से वह अपना खर्च चलाता है।

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