संतकबीरनगर में केले की खेती से संवर रही किसानों की तकदीर, 25 से अधिक गांवों से दूसरे जिलों में भेजी जा रही फसल
जिले में 25 से अधिक गांवों में लगभग डेढ़ सौ एकड़ भूमि में केले की खेती किसानों की किस्मत संवार रही है। 2018 में प्रगतिशील किसान ग्राम कटया निवासी अनिल चौधरी ने क्षेत्र में केले के खेती शुरू किया था।
By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Fri, 19 May 2023 04:35 PM (IST)
संतकबीर नगर, जागरण संवाददाता। धनघटा क्षेत्र में केले की खेती का रकबा प्रति वर्ष बढ़ता जा रहा है। क्षेत्र के 25 से अधिक गांवों में लगभग डेढ़ सौ एकड़ भूमि में केले की खेती किसानों की किस्मत संवार रही है। केले की खेती से जुड़े किसान प्रतिवर्ष लाखों रुपये का लाभ कमा रहे हैं। क्षेत्र में केले के खेती की शुरुआत प्रगतिशील किसान ग्राम कटया निवासी अनिल चौधरी ने वर्ष 2018 में शुरू किया। अनिल चौधरी की प्रेरणा से गांव के 12 से अधिक किसानों ने केले की खेती करना शुरू कर दी। अनिल ने बताया कि हमने परंपरागत खेती को छोड़ कर वर्ष 2018 में केले की खेती की शुरुआत की थी। केले की पौध महाराष्ट्र प्रदेश के जलगांव से मंगाया। अच्छी आय मिलनी शुरू हुई तो पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
केले की खेती का बढ़ा रकबा
कटया गांव में प्रेरित होकर 12 से अधिक किसान केले की खेती अपनाकर आर्थिक स्थित को मजबूत बन रहे है। गांव के किसान दिग्विजय चौहान ने एक एकड़ खेत में केले की फसल उगा रहे हैं। वही राजू पंडित एक एकड़, मस्तराम चौहान एक एकड़, देवानन्द चौधरी दो एकड़, अलीउल्लाह तीन एकड़, जियाउल हक दो एकड़, पप्पू चौधरी एक एकड़, भालचंद चौधरी एक एकड़, लालबहादुर दो एकड़, रामधारी एक एकड़, परम हुसैन एक एकड़ में केली खेती कर आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहे हैं।
यहां भी केले की खेती का हो रहा विस्तार
धनघटा क्षेत्र में मलौली, परसा, गोपीपुर, मुंडेरा, सेमरडाड़ी, बेलौरा, पौली ब्लाक के उमरिया पांडेय आदि गांवों में बड़े पैमाने पर केले की खेती करने का सिलसिला जारी है। क्षेत्र में प्रति वर्ष केले की खेती का रकबा बढ़ता जा रहा है। आसपास गांवों के किसानों ने परंपरागत खेती छोड़ केले की खेती अपना रहे हैं।गैर जनपद में होती है केले की सप्लाई
किसान अनिल चौधरी ने बताया कि केले की सप्लाई आंबेडकरनगर, आजमगढ़, बस्ती, गोरखपुर आदि जिलों में होती है। व्यापारी खेत में पहुंचकर केले की खरीदारी करते हैं। किसान को अपनी फसल बेचने के लिए मंडी का चक्कर नहीं लगाना पड़ता है।
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