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UP News: दूध विक्रेता ने दो साल सजा काटी, 14 वर्ष बाद साबित हुआ निर्दोष

Sant Kabir Nagar News 14 साल के लंबे इंतजार के बाद एक ग्वाले को मिला न्याय। दूध में मिलावट के आरोप से बरी किया गया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) कोर्ट ने दो साल की सजा और पांच हजार रुपये के जुर्माने का आदेश दिया था। लेकिन अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने सीजेएम कोर्ट के फैसले को पलट दिया। जानिए पूरी खबर।

By Dilip Pandey Edited By: Vivek Shukla Updated: Fri, 23 Aug 2024 12:34 PM (IST)
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अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने सीजेएम कोर्ट के पारित आदेश को निरस्त किया
जागरण संवाददाता, संतकबीर नगर। आरोपित बनाए गए दूध बेचने वाले को राजकीय प्रयोगशाला की रिपोर्ट के आधार पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) कोर्ट ने दो वर्ष का कारावास व पांच हजार रुपये से दंडित किया था। दो वर्ष की सजा काटने के बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश न्यायालय सीजेएम कोर्ट के आदेश को निरस्त कर आरोपित को दोषमुक्त कर दिया।

तत्कालीन मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी (सीएफएसओ) विनय कुमार सहाय विशेष अभियान के तहत सात सितंबर 2010 को धनघटा थाना के भंडा गांव (हैंसर बाजार मार्ग) पर इसी थाना के मिठना गांव निवासी जयप्रकाश यादव को रोका था। बिक्री के लिए उनके साइकिल पर लदे केन में से दूध का नमूना लिया था। इस नमूने को जांच के लिए राजकीय प्रयोगशाला में भेजा था।

प्रयोगशाला की रिपोर्ट में दूध में मिलावट की पुष्टि हुई थी। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) कोर्ट ने इस मामले में तथ्यों, परिस्थितियों व प्रयोगशाला की रिपोर्ट के आधार पर ग्वाले के खिलाफ 22 फरवरी 2019 को खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम के अपराध में दो वर्ष का कारावास और पांच हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया था।

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सजा काटने के बाद जयप्रकाश ने इस फैसले के विरुद्ध अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश जितेंद्र सिंह द्वितीय विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट प्रथम में अपील दाखिल की थी। इस पर कोर्ट ने सुनवाई शुरु की। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि तत्कालीन सीएफएसओ ने दूध का नमूना लेने, उसे प्रयोगशाला में भेजने की नियमानुसार प्रक्रिया को पूरा नहीं किया है।

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अभियोजन पक्ष के साक्ष्यों, प्रयोगशाला की जांच रिपोर्ट को कार्रवाई के लिए पर्याप्त नहीं पाया। इस पर कोर्ट ने गुरुवार को सीजेएम कोर्ट द्वारा पूर्व में पारित आदेश को निरस्त कर दिया। आरोपित को दोषमुक्त कर दिया।

असुरक्षित खाद्य वस्तु का मुकदमा सीजेएम कोर्ट में होता है दायर

खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग राजकीय प्रयोगशाला से आई जांच रिपोर्ट में किसी खाद्य वस्तु के अधोमानक, मिथ्या छाप आदि मिलने पर एडीएम कोर्ट में वाद दायर करता है। वहीं किसी खाद्य वस्तु के सेहत के लिए असुरक्षित मिलने पर सीजेएम कोर्ट में वाद दायर करता है।

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