Sant Kabir Nagar Lok Sabha Chunav Result 2024: संतकबीर नगर में प्रवीण की हार का कारण आया सामने, इस वजह से थी नाराजगी
प्रदेश सरकार के मंत्री होने के बाद भी सिर्फ सजातीय मतों पर केंद्रित रहने को लेकर अन्य वर्ग के लोगों में उनके प्रति आक्रोश भी रहा। सपा ने प्रवीण के सामने लक्ष्मीकांत उर्फ पप्पू निषाद को टिकट देकर निषाद मतदाताओं में सेंधमारी की रणनीति बनाई। निषाद पार्टी के मुखिया सजातीय मतों को पूरी तरह प्रवीण के पक्ष में मान रहे थे।
राज नारायण मिश्र, जागरण संतकबीर नगर। लोकसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी प्रवीण निषाद की हार का कारण क्षेत्र में कम उपस्थिति और उनके पिता एवं निषाद पार्टी के मुखिया की कार्यप्रणाली रही। निषाद मतों को अपने पक्ष में एकतरफा होने का दावा करने वाले प्रवीण निषाद और उनके पिता इस वर्ग के मतदाताओं को अपने खेमे में नहीं कर पाए।
निषाद मतदाता बंटकर सपा के भी पक्ष में चले गए। संतकबीर नगर लोकसभा क्षेत्र में निषाद मतदाताओं की संख्या करीब ढाई लाख है। निषाद पार्टी के मुखिया और प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री संजय निषाद अपने पुत्र प्रवीण निषाद को दोबारा सांसद बनाने के लिए सिर्फ निषाद मतों को ही सहेजने की कवायद में लगे रहे।
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प्रदेश सरकार के मंत्री होने के बाद भी सिर्फ सजातीय मतों पर केंद्रित रहने को लेकर अन्य वर्ग के लोगों में उनके प्रति आक्रोश भी रहा। सपा ने प्रवीण के सामने लक्ष्मीकांत उर्फ पप्पू निषाद को टिकट देकर निषाद मतदाताओं में सेंधमारी की रणनीति बनाई।
निषाद पार्टी के मुखिया सजातीय मतों को पूरी तरह प्रवीण के पक्ष में मान रहे थे। निषाद मतदाताओं ने उनकी तुलना में सपा के पप्पू को अधिक तरजीह देते हुए वोट किया। दूसरे वर्ग के लोग उनसे कम जुड़े और निषाद मतदाता भी बंट गए, इससे भाजपा उम्मीदवार को दोहरा नुकसान हुआ।
चुनाव के दौरान खलीलाबाद के संजय निषाद का मोहम्मदपुर कठार में मारपीट की घटना समेत कुछ अन्य स्थानों पर हुए विवादों को लेकर पनपे असंतोष का लाभ भी सपा को मिला। बसपा की कमजोर चुनौती से भाजपाई रणनीतिकारों को अनुसूचित मतों को अपने पक्ष में आने की उम्मीद थी। यहां भी उलटा हुआ।
इसे भी पढ़ें-गोरखपुर-बस्ती मंडल में निर्दलियों से आगे रहा 'नोटा', छह सीटों पर हैरान करने वाला स्थान किया हासिलबड़ी संख्या में अनुसूचित मत सपा के पक्ष में चले गए। पिछले चुनाव में कांग्रेस के भालचंद्र यादव ने यादव व मुस्लिम मतों में बंटवारा करके प्रवीण की राह को आसान किया था। विपरीत मौसम होने से भाजपा के परंपरागत मतदाताओं का बूथों तक कम पहुंचना भी एक प्रमुख कारण रहा।
अंदरूनी विरोध से हुआ नुकसान भाजपा उम्मीदवार प्रवीण के पिता संजय निषाद ने चुनाव की कमान खुद संभाली थी। उन्होंने दूसरे दल के लोगों को भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के विरोध के बाद भी पार्टी में शामिल करवाया। उनकी इस कार्यशैली को लेकर कार्यकर्ताओं में अंदरूनी तौर पर नाराजगी रही।
भाजपा के प्रवासी कार्यकर्ताओं को मनाने की जतन किया तो जरूर परंतु सफलता नहीं मिली। यहां खुले तौर पर विरोध के स्वर तो सामने नहीं आए परंतु चुनाव के दौरान पार्टी के अनेक जिम्मेदार कार्यकर्ता उदासीन रहे। अंदरूनी विरोध का भी सामना करना पड़ा।
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