संतकबीरनगर में नई रेल लाइन की दिशा में बढ़े कदम, प्रभावित किसानों को मिला मुआवजा; अगले साल शुरू होगा काम
New Railway Line खलीलाबाद-बहराइच नई रेललाइन परियोजना के लिए प्रभावित किसानों को मुआवजा वितरण का कार्य शुरू हो गया है। खलीलाबाद तहसील के किसानों को उनकी भूमि अधिग्रहित करने के लिए करीब 40 करोड़ रुपये मुआवजा वितरित कर दिए गए हैं। इस महत्वपूर्ण परियोजना के लिए वर्ष 2023 में रेलवे से इस जिले को चार अरब 10 करोड़ रुपये मिले हैं।
जागरण संवाददाता, संतकबीर नगर। खलीलाबाद-बहराइच नई रेललाइन के लिए प्रभावित किसानों में मुआवजा वितरण का कार्य शुरू हो गया है। खलीलाबाद तहसील के किसानों को उनकी भूमि अधिग्रहित करने के लिए करीब 40 करोड़ रुपये मुआवजा वितरित कर दिए गए हैं। शेष अन्य गांवों के किसानों के लिए कागजी कार्यवाही तेजी से चल रही है।
इस नई रेल लाइन के लिए खलीलाबाद व मेंहदावल दो तहसीलों के 56 गांवों के चिह्नित किसानों की भूमि अधिग्रहित की जानी है। उम्मीद है कि नए वर्ष में रेल पटरी बिछाने का काम शुरू हो जाएगा।
इन गांवों के किसानों को मिला है मुआवजा
खलीलाबाद तहसील के हारापट्टी, करसड़ी, लोरीबारी आदि चार गांवों के 50 प्रभावित किसानों को मुआवजा मिला है। खलीलाबाद व मेंहदावल दो तहसीलों में एसडीएम के निर्देश पर तहसीलदार, नायब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक, हल्का लेखपाल चिह्नित 56 गांवों के किसानों के अंश निर्धारण में लगे हैं।अधिग्रहित भूमि पर रेलवे करेगा पटरी बिछाने को यह कार्य
जैसे-जैसे किसानों में मुआवजा वितरित होता जाएगा, वैसे-वैसे संबंधित तहसील प्रशासन संबंधित किसानों की भूमि को अधिग्रहित करता जाएगा। यह कार्य शत-प्रतिशत संपन्न हो जाने पर जिला प्रशासन के स्तर से भूमि अधिग्रहण से संबंधित पत्र जारी होगा। इसके बाद रेलवे अधिग्रहित भूमि पर पटरी बिछाने के लिए धरातल से कुछ ऊंचाई तक मिट्टी व गिट्टी डालने का कार्य प्रारंभ करेगा। इसके पश्चात रेल की पटरी बिछाने का काम शुरू होगा।
रेल अधिनियम-1989 के तहत नये सिरे से काम हो रहा है। इसमें खलीलाबाद के 31 व मेंहदावल के 25 इन दो तहसील के 56 गांवों का चयन हुआ है। रेलवे अधिनियम की धारा-'20 ए' के तहत बीते छह जून को प्रारंभिक अधिसूचना जारी की गयी थी।
रेलवे अधिनियम की धारा-'20 ई' के तहत बीते पांच अगस्त को अंतिम अधिसूचना जारी की गयी थी। इन दोनों तहसील के एसडीएम, तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक, लेखपाल संबंधित गांवों के प्रभावित किसानों की भूमि के साथ ही उसमें मकान, पेड़ आदि का अंश निर्धारण करने में लगे हैं।
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