UP Police : यूपी के शाहजहांपुर में सड़क पर अवैध स्टैंड, पुलिस के नाम पर खुलेआम वसूली का चल रहा गोरखधंधा- इस तरह होती है उगाही
Shahjahanpur Police वसूली करने वाला हाथ में पान मसाला का कागज लेकर घूमता है। जिस पर रुपये देने वाले चालक का नाम व पता दर्ज किया जाता है। जिन स्थानों पर वसूली होती हैं वहां से अशफाक नगर चौकी व महिला थाने की दूरी बमुश्किल 300 मीटर होगी। जबकि कैंट चौकी 700 मीटर की दूरी पर है लेकिन उसके बाद भी पुलिस की इन लोगों पर मेहरबानी बनी हैं।
अजयवीर सिंह, शाहजहांपुर। सीएम साहब आपके आदेश के बाद भी यहां अवैध वाहन स्टैंड बिना किसी रोक टोक के चल रहे हैं। सड़क पर आटो, टेंपो, ईको, मैजिक आदि वाहनों को खड़ा कर सवारियां बैठाई जा रही हैं। ठेके से लेकर पुलिस तक के नाम पर चालकों से वसूली की जाती है। जिसके रेट भी अलग-अलग तय हैं।
सोमवार दोपहर करीब पौने एक बजे रोडवेज वर्कशाप के पास खड़े इको चालक सुरेंद्र ने बताया 100 रुपये ठेके के नाम पर हर दिन एक व्यक्ति लेता है, जिसकी कोई पर्चा भी नहीं मिलती। एक हजार रुपये कैंट चौकी व महिला थाने के नाम पर दो व्यक्ति हर माह लेते हैं। सिंधौली की ओर से टेंपो में 13 सवारी बैठाकर आये अखिलेश से जब इतनी अधिक सवारियां बैठाने का कारण पूछा तो जवाब मिला यह न करें तो परता कैसे आएगा।
उन्होंने बताया कि दो माह पहले टेंपो खरीदा था। अशफाक नगर तिराहे से सिंधौली तक चलाते हैं। 70 रुपये पुवायां मार्ग पर एक व्यक्ति ठेके के नाम पर लेता है, जबकि 700 रुपये हर माह थाने के नाम पर दो युवक ले जाते हैं।
डीजल समेत सभी खर्च निकालकर बमुश्किल 200 रुपये ही हर दिन बच पाते हैं। जिस वजह से मजबूरी में 13 से 15 सवारी बैठानी पड़ रही। उन्होंने बताया कि पुलिस यदि चालान कर दे तो खुद ही जुर्माना भरना पड़ेगा। फिर भला 700 रुपये थाने के नाम पर क्यों वसूले जा रहे हैं। रुपये देने से मना करने पर गालियां मिलती हैं।
यहीं नहीं चालक अनुज को भी इतने ही रुपये देने पड़ते हैं। उन्होंने बताया कि परिवार पालना हैं तो रुपये तो देना ही पड़ेगा नहीं तो इन लोगों से विवाद भला कौन करेगा। इसी तरह तमाम अन्य चालकों से खुलेआम वसूली हो रही है।
यह स्थिति तब है जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई बार अवैध स्टैंड पूरी तरह से खत्म करने के आदेश दे चुके हैं, लेकिन यहां के अधिकारी इस पर अंकुश नहीं लगा पा रहे। बरेली मोड़ पर भी पुलिस पिकेट के पास ही दिनभर आटो व टेंपो सड़क पर ही खड़े कर सवारियां बैठाकर यातायात व्यवस्था को प्रभावित किया जा रहा है।
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