Weather Update: रुहेलखंड सहित पश्चिमी यूपी से मानसून की विदाई, दिसम्बर तक क्या है मौसम का अनुमान, देखें अपडेट
पश्चमी उत्तर प्रदेश में आने वाले 33 जिलों में गत वर्ष के सापेक्ष 48.3 मिमी अधिक वर्षा का रिकॉर्ड दर्ज हुआ है। बंगाल की खाड़ी से नम हवाओं के थमने और प्रति चक्रवात के बनने पर विशेषज्ञों ने मानसून विदाई की घोषणा की है। अब दिसंबर तक सामान्य से अधिक वर्षा के आसार का पूर्वानुमान मौसम विभाग कर रहा है।
जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर। चार माह वर्षा से तर करने के बाद मानसून रुहेलखंड समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश से विदा हो गया है। बंगाल की खाड़ी से नम हवाओं के थमने तथा प्रति चक्रवात के बनने पर मौसम विज्ञानियों ने भी मानसून विदाई की घोषणा कर दी है।इससे वायुमंडल में नमी घटने लगी है। पछुआ हवाओं का क्रम भी शुरू हो गया है।
जून से सितंबर तक चार माह में मानसुनी वर्षा की परिस्थितियां बनी रहती हैं। इस वर्ष जून से 30 सितंबर तक प्रदेश में 125 मिमी अधिक वर्षा हुई।
इन जिलों में वर्षा की रिकॉर्ड
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आने वाले बरेली, मुरादाबाद, मेरठ समेत 33 जिलों में गत वर्ष के सापेक्ष 48.3 मिमी अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के 42 जिलों में भी गत वर्ष के सापेक्ष 178.7 मिमी अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई है, लेकिन मौसम विज्ञानियों ने पूर्वी उत्तर प्रदेश से अभी मानसून विदाई की एलान नहीं किया है।अभी पूर्वी यूपी में बारिश के आसार
राज्य कृषि मौसम केंद्र के राज्य प्रभारी डा. अतुल सिंह ने कहा कि शाहजहांपुर समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दक्षिण-पश्चिम मानसून का प्रभावी पूरी तरह खत्म हो गया है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष मानसून ऋतु जून से सितम्बर तक प्रदेश में 744.3 मिमी वर्षा दर्ज की गई जो सामान्य के लगभग बराबर है, जबकि गत वर्ष इसी अवधि के दौरान 17 प्रतिशत कम वर्षा हुई थी।
यूपी के इन जिलों में कम वर्षा
राज्य प्रभारी डॉक्टर अतुल सिंह ने बताया एटा, औरैया, हाथरस, फिरोजाबाद में सामान्य से 60 प्रतिशत अधिक वर्षा रिकार्ड की गई है, जबकि शामली व गौतमबुद्ध नगर में सामान्य से 60 प्रतिशत कम वर्षा हुई है। 14 जिलों में सामान्य से अधिक 20 से 59 प्रतिशत तक तथा 19 जिलों में सामान्य से 20 से 59 प्रतिशत तक कम वर्षा दर्ज की गई है। 36 जिलों में दीर्घकालिक औसत 19 प्रतिशत कम व ज्यादा वर्षा हुई है। शाहजहांपुर जनपद में इस वर्ष 762.5 मिमी के दीर्घावधि औसत के सापेक्ष 18 प्रतिशत कम 623.5 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई है।दिसंबर तक सामान्य से अधिक वर्षा के असार
मौसम विज्ञानी डा. अतुल सिंह ने अक्टूबर से दिसंबर तक सामान्य से अधिक वर्षा के संकेत दिए हैं। कहा कि भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र पर तटस्थ अल-नीनो स्थितियों के मानसून ऋतु के बाद धीरे-धीरे ला-निना परिस्थितयां बन गई हैं। इस कारण मानसून वापसी में भी आंशिक विलंब हुआ। नतीजतन अक्टूबर से दिसंबर तक मानसून के बाद कुल समेकित वर्षा सामान्य से अधिक होने संभावना है। इस दौरान वार्षिक औसत के सापेक्ष मात्र तीन प्रतिशत ही वर्षा होती है। मौसम विज्ञानी ने तीन माह के बीच अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहने के भी संकेत दिए है।
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- 694.5 मिमी हुई थी गत वर्ष पश्चिमी उप्र. के 33 जिलों में मानसूनी वर्षा
- 742.8 मिमी मानसूनी वर्षा हुई वर्ष 2024 में जून से सितंबर के बीच
- 623.5 मिमी मानसूनी वर्षा हुई इस बार जनपद में, गत वर्ष 635.4 मिमी दर्ज हुआ था आंकड़ा
- 472.8 मिमी मंडल में सबसे कम वर्षा दर्ज हुई इस बार भी पीलीभीत में