पुलिसकर्मियों ने खून देकर बचाई लखीमपुर के संक्रमित की जान
जेएनएन शाहजहांपुर कोरोना संक्रमण काल में पुलिस की कार्यशैली में भी बदलाव आया है। कोरोना कर्फ्यू में जरूरतमंदों को भोजन देकर उनकी भूख शांत करने का प्रयास कर रही है तो जरूरत पड़ने पर खून देकर भी लोगों की जान बचाने में पीछे नहीं है। ऐसा ही मामला रविवार को देखने को मिला। लखीमपुर खीरी जिले के कोरोना संक्रमित की दो पुलिसकर्मियों ने खून देकर न सिर्फ जान बचाई बल्कि समाज में मानवता की एक मिशाल भी पेश की।
जेएनएन, शाहजहांपुर : कोरोना संक्रमण काल में पुलिस की कार्यशैली में भी बदलाव आया है। कोरोना कर्फ्यू में जरूरतमंदों को भोजन देकर उनकी भूख शांत करने का प्रयास कर रही है तो जरूरत पड़ने पर खून देकर भी लोगों की जान बचाने में पीछे नहीं है। ऐसा ही मामला रविवार को देखने को मिला। लखीमपुर खीरी जिले के कोरोना संक्रमित की दो पुलिसकर्मियों ने खून देकर न सिर्फ जान बचाई बल्कि समाज में मानवता की एक मिशाल भी पेश की।
लखीमपुर खीरी जिले के पसगवां थाना क्षेत्र के किशनपुर जमुनी गांव निवासी ग्रामीण एनिमियां से पीड़ित है। उनके स्वजन ने 21 मई को शाहजहांपुर के राजकीय मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। जहां कोरोना की जांच कराने पर उनकी रिपोर्ट पाजिटिव आई। ऐसे में उन्हें कोविड आइसीयू वार्ड में भर्ती करा दिया गया। रविवार सुबह उनकी तबीयत बिगड़ने पर डॉक्टर ने तत्काल दो यूनिट खून की व्यवस्था करने के लिए कहा। तत्काल खून की व्यवस्था न होने पर उनके दामाद ने एसपी एस आनंद के पीआरओ नीरज कुमार से मदद की गुहार लगाई। इसके बाद पीआरओ ने संपर्क साधा तो रामचंद्र दिलाया। इसके बाद पुलिसकर्मियों से संपर्क साधा तो रामचंद्र मिशन थाने में तैनात कांस्टेबल दीपांशु व नवल चौधरी ने राजकीय मेडिकल कॉलेज पहुंचकर दो यूनिट खून दिया। संकट काल में पुलिसकर्मियों की मदद से बुजुर्ग की जान बच सकी। गत वर्ष भी बचाई थी अंजानों की जान
कोरोना संक्रमण काल में गत वर्ष भी जिले में एसपी के पीआरओ नीरज कुमार समेत करीब 15 पुलिसकर्मियों ने अंजानों की खून देकर जान बचाई थी। इसके अलावा नकद रुपये देकर भी मरीजों का बेहतर उपचार कराया है। बेटो का फर्ज निभा रही बेटियां
कोरोना संक्रमित ग्रामीण के कोई बेटा नहीं है। एक बेटी की शादी हो गई है जबकि दूसरी छोटी है। बीमार होने पर दोनों बेटियां ही उन्हें अस्पताल लेकर पहुंची है। हर जरूरतमंद की पुलिस मदद करने के लिए तैयार है। दोनों कांस्टेबल बधाई के पात्र है जिन्होंने एक घंटे के अंदर ही अस्पताल जाकर खून दिया।
- एस आनंद, एसपी