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एक पुरानी फोटो आई सामने... यूपी के व्यवसायी के बेटे की शादी में पहुंचे थे रतन टाटा, वर-वधू को दिया था आशीर्वाद

उद्योगपति रतन टाटा (Ratan Tata) का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन से उद्योग जगत के साथ ही हर वर्ग में शोक है। रतन टाटा ने टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और कई सामाजिक कार्यों में भी योगदान दिया। उनके निधन से देश ने एक महान उद्योगपति और समाजसेवी को खो दिया है ।

By Ambuj Kumar Mishra Edited By: Aysha Sheikh Updated: Fri, 11 Oct 2024 03:47 PM (IST)
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शादी समाारोह में सुनील सेठ के बेटे व बहू को आशीर्वाद देने पहुंचे रतन टाटा। सौ. सुनील सेठ
जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर। उद्योगपति रतन टाटा कभी यहां तो नहीं आए, लेकिन कुछ लोगों को उनसे मिलने का अवसर मिला। जिनमें शहर के व्यवसायी सुनील चंद्र सेठ के बेटे की शादी में वह वर व वधू को आशीर्वाद देने पहुंचे थे। दिल्ली में हुए आयोजन में उनकी सरलता व सादगी ने लोगों को प्रभावित किया था।

चौक स्थित घूरनतलैया निवासी व्यवसायी सुनील चंद्र सेठ के बेटे कौस्तुभ सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता हैं। सुनील ने बताया कि 18 अप्रैल 2018 को बेटे की शादी एयर इंडिया में सीनियर मैनेजर के पद पर कार्यरत चांदनी बेरी से हुई थी।

टाटा ट्रस्ट में सीनियर वाइस प्रेसिडेंट थे देवेंद्र कुमार बेरी

चांदनी के पिता देवेंद्र कुमार बेरी टाटा ट्रस्ट में सीनियर वाइस प्रेसिडेंट थे। वह रतन टाटा के साथ लगभग 50 वर्ष से जुड़े थे। उनके आमंत्रण को टाटा मना नहीं कर सके और शादी में शामिल होने के लिए विशेष तौर पर दिल्ली पहुंचे थे। ताज पैलेस में हुए समारोह में उन्होंने वर वधू को अशीर्वाद दिया।

इसके बाद वह बेहद सरलता के साथ सभी से मिले थे। सुनील ने बताया कि उनकी आवाज दमदार थी। उनके परिवार की खूशबू सेठ सहित अन्य सदस्यों का हालचाल जाना था। रतन टाटा लगभग 35 मिनट तक वहां रुके थे। उनके निधन की जानकारी मिली, जिससे मन काफी दुखी है।

रतन टाटा के निधन को निर्यातकों ने बताया उद्योग जगत की अपूरणीय क्षति

मुरादाबाद: भारत के सुप्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा का बुधवार रात निधन हो गया। उनके निधन से उद्योग जगत के साथ ही हर वर्ग में शोक है। समाज के सभी वर्गों में उनका विशेष सम्मान था। मुरादाबाद के उद्यमी भी उनके निधन से स्तब्ध हैं। वरिष्ठ निर्यातक सतपाल पुगला ने बताया कि कभी उनसे मिलने का अवसर तो नहीं मिला पर उनकी दूरगामी सोच हमेशा से प्रभावित करती रही।

शुरुआती जीवन में एक्सपोर्ट का काम शुरू करने से पहले कई काम कहीं सफलता मिली तो कभी नहीं। एक समय रतन टाटा का खूब नाम हुआ करता था। उन्होंने टाटा के परंपरागत कार्यों से आगे निकलते हुए नए क्षेत्रों में काम किया। इसी से आगे बढ़ने की हौसला मिला और एक्सपोर्ट में सफल हुए।

वहीं ईपीसीएच के उपाध्यक्ष नीरज खन्ना का कहना है कि रतन टाटा हमेशा से उद्यमियों के बीच प्रेरक व्यक्तित्व रहे हैं। हजारों युवा उद्यमियों ने उनसे प्रेरणा लेकर अपने अपने क्षेत्र में सफलता प्राप्त की है। वहीं निर्मल मेहता का कहना है कि भारत में भारी उद्योग के क्षेत्र में उनका अतुलनीय योगदान है। वे भारत ही नहीं दुनिया भर में प्रसिद्ध थे। उनका निधन भारतीय उद्योग जगत की अपूरणीय क्षति है।

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