दुकान पर नहीं मिला मसूर का बीज, महिलाओं को आ गया गुस्सा- बीच सड़क पर बैठकर लगा दिया जाम
जिला कृषि अधिकारी विकास किशोर ने बताया कि क्षेत्र के विभिन्न गांवों से किसानों के एक साथ आ जाने के कारण दिक्कत हो रही है। उन्होंने बताया कि अब बीज भंडार केंद्रों पर किसानों की न्याय पंचायतवार सूची चस्पा कराई जा रही है। एक दिन में एक न्याय पंचायत के किसानों को बुलाकर वितरण कराया जाएगा ताकि सभी किसानों को खाद मिल जाए।
संवाद सूत्र, निगोही। ब्लाक स्थित राजकीय बीज भंडार पर मसूर के बीज का निश्शुल्क वितरण होने की जानकारी पाकर सोमवार सुबह बड़ी संख्या में किसान पहुंच गए। बीज नहीं मिलने पर महिलाओं ने हंगामा शुरू कर दिया। गोदाम प्रभारी के वहां से चले जाने से नाराज होकर शाहजहांपुर-पीलीभीत राज्य राजमार्ग पर पहुंचकर नारेबाजी करते हुए चक्का जाम कर दिया।
फिंगर प्रिंट मैच नहीं होने पर बीज दिए बिना वापस भेज रहे
पुलिस ने अधिकारियों से वार्ता कर महिलाओं को समझाया। क्षेत्र में पिछले दस दिन से बीज वितरण हो रहा है। तमाम किसान आधार कार्ड के फिंगर प्रिंट मैच नहीं होने पर बीज दिए बिना वापस भेजे जा रहा हैं। ऐसे में बीज के वितरण की जानकारी मिलने पर सुबह फिर से बड़ी संख्या में लोग एकत्र हो गए।
अफरातफरी का माहौल देख गोदाम प्रभारी मनोज कुमार वहां से चले गए। वहीं जिला कृषि अधिकारी विकास किशोर ने बताया कि क्षेत्र के विभिन्न गांवों से किसानों के एक साथ आ जाने के कारण दिक्कत हो रही है। उन्होंने बताया कि अब बीज भंडार केंद्रों पर किसानों की न्याय पंचायतवार सूची चस्पा कराई जा रही है। एक दिन में एक न्याय पंचायत के किसानों को बुलाकर वितरण कराया जाएगा ताकि सभी किसानों को खाद मिल जाए।
टाइगर रिजर्व में पर्यटन से स्थानीय लोगों को मिल रहा आर्थिक लाभपीलीभीत : टाइगर रिजर्व का पर्यटन सत्र शुरू होते ही स्थानीय लोगों को आर्थिक लाभ मिलने लगा है। टूरिस्ट गाइड, जंगल सफारी वाहनों के चालक, कैंटीन संचालन करने वालों से लेकर जंगल के आसपास होम स्टे व रेस्टोरेंट चलाने वालों की आमदनी बढ़ने लगी है। बढ़ते हुए पर्यटन से हजारों लोगों को रोजगार के नए अवसर मिल गए हैं। जैसे जैसे पीलीभीत टाइगर रिजर्व में पर्यटन का विस्तार हुआ है, उसी तरह से क्षेत्रीय लोगों के लिए रोजगार के नए साधन भी तैयार होते गए।
पर्यटन को बढ़ावा मिलने से जंगल से सटे ग्रामीणों को रोजगार के अलावा आस-पास क्षेत्र में व्यापार करने वालों पर भी इसका असर देखने को मिला है। वर्ष 2014 से पहले जंगलों के किनारे रहने वाले ग्रामीण जंगल में घुस कर लकड़ी आदि की बिक्री करके परिवार को पालने का कार्य करते थे। 2014 में पीलीभीत टाइगर रिजर्व घोषित किया गया।कुछ वर्षों तक यहां पर पर्यटकों की संख्या कम ही रहती रही लेकिन फिर धीरे-धीरे पीलीभीत टाइगर रिजर्व प्रशासन ने यहां पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं बनाना शुरू किया। जंगल के किनारे रहने वाले लोगों को जोड़कर ईको विकास समितियां बनाई गई। इन समितियों के माध्यम से ग्रामीणों को रोजगार दिया गया। जिससे ग्रामीणों की जंगल पर निर्भरता कम होती गई। इसी से मानव वन्यजीव संघर्ष में भी कमी आने लगी।
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