दशहरे के पावन पर्व पर जहाँ अधर्म के प्रतीक रावण का अंत होता है वहीं शामली जिले की समस्याओं का अंत कब होगा? परिवहन व्यवस्था वायु प्रदूषण जल प्रदूषण बकाया गन्ना भुगतान आवारा कुत्ते बंदर बेसहारा गोवंश अपराध स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली बेरोजगारी परिवहन की दुर्दशा जाम और गंदगी जैसे मुद्दे जिलेवासियों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं।
जागरण संवाददाता, शामली। जिलेभर में आज अधर्म के प्रतीक रावण का तो अंत हो जाएगा, लेकिन जिले की समस्याओं का अंत कब होगा? जिले में भी रावण रूपी बुराइयां कम नहीं हैं। जनसुविधाओं को लें तो परिवहन व्यवस्था चौपट है। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और बकाया गन्ना भुगतान रूपी मुश्किलों से लोग बेहाल हैं। अनेकों गांवों व कस्बों में जलभराव, आवारा कुत्ते, बंदर और बेसहारा गोवंश मुश्किलें बढ़ा रहे हैं।
आपराध, स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली, बेरोजगारी, परिवहन की दुदर्शा, जाम का झाम और गंदगी का अंबार परेशानियों का सबब है। विजय दशमी पर्व याद दिलाता है कि भले हीं बुराई या समस्याएं कितनी शक्तिशाली हो। एक न एक दिन अंत निश्चित ही होगा। इसलिए शत प्रतिशत विश्वास है कि जिले की धरा से रावण रूपी इन बुराइयों का अंत निश्चित तौर पर किया जाएगा।
चौपट परिवहन व्यवस्था
जिला बनने के 13 साल बाद भी शामली में परिवहन व्यवस्था पूरी तरह चौपहट है। महज 43 अनुबंधित बसों के सहारे जैसे तैसे व्यवस्था चल रही है। शाम ढलने के बाद यहां हाइवों पर बसों का न मिलना काफी कष्टदायक है। 13 साल बाद न वर्कशाप बन सका है, न डिपो को अपनी जमीन मिल सकी। ओर तो और यहां हाइटेक रोडवेज बस स्टेशन सपना ही बना है। रेलवे में लंबी दूरी की ट्रेने न होने के कारण मुश्किल है। लखऊन, इलाहाबाद, वैष्णो देवी जाने के लिए गैर जनपद दौड़ लगानी पड़ती है।
टूटी सड़के, पानी में डूबे रहते अंडरपास
जिले में शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्य एवं संपर्क मार्ग की 50 से अधिक सड़कें क्षतिग्रस्त हैं। टूटी सड़कों पर न केवल दुर्घटना में लाेगों की जान जा रही है, बल्कि रेलवे लाइन पर शामली, थानाभवन, गोहरनी रोड, भैंसवालव जलालाबाद समेत कई स्थानों पर अंडरपास में पानी भरने से लोगों की समस्या रहती है।
जाम के झाम से शहर हलकान
जिले में जाम से हरेक वाकिफ है। चीनी मिल चलने के दौरान तो पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है। त्योहारी सीजन में बाजारों तक पहुंचना लोगों के लिए मुसीबत बन जाता है। अक्सर एंबुलेंस व बच्चों की बसे भी फंस जाती है। इसके पीछे वजह है कि यहां अतिक्रमण की भरमार है। अतिक्रमण हटवाने में प्रशासन हमेशा फेल रहा है।
सिर पर दौड़ रही मौत
जिले में अनेकों स्थानों पर लाइनों के तार जर्जर हैं, जिन्हें बदलवाने की चिंता नहीं। हालांकि काफी स्थानों गांव व कस्बों में एरियल बंच कंडक्टर से लाइन बनाई है। लेकिन इसके बावजूद काफी लाइनों को यूहीं छोड़ दिया गया है। अनेकों स्थानों पर बिजली न पहुंचने से लोग बेहाल है। खुले में रखे ट्रांसफार्मरों में कब आग लग जाए। कोई नहीं जानता है।
नालों में अटी गंदगी, कागजों में खर्च
जिले में तीन नगरपालिका व सात नगरीय निकाय है। शहर शामली समेत अनेकों स्थानों पर सफाई पर करोड़ों खर्च होते हैं, लेकिन सफाई नजर नहीं आती। शहर में नाले गंदगी से अटे पड़े रहते है। बरसात में शहर टापू बन जाता है, लेकिन समस्या जस की तस है। नालों व आबादी क्षेत्र की सफाई न होने से समस्या बढ़ी है। गांवों में गंदगी का अंबार लगा होने से लोग हलकान हैं।
बकाया गन्ना भुगतान को सड़कों पर किसान
जिले में तीन चीनी मिल शामली, थानाभवन व ऊन स्थापित है। बकाया गन्ना भुगतान को किसान लगातार धरने व प्रदर्शन करते रहते है। बीते सालों में 100 दिनों से ऊपर तक धरने चले। शामली चीनी मिल पर 180 करोड़ बकाया भुगतान न मिलने पर किसान अभी भी धरने पर है। भुगतान की समस्या दूर न होने से किसानों के साथ बाजार, मजदूर और अन्य वर्ग प्रभावित रहता है।
आवारा कुत्ते, बंदर ले रहे जिंदगी
जिले में की बड़ी समस्या आवारा कुत्ते और बंदर भी हैं। कुत्ते व बंदर लोगों पर हमला करते रहते है। रोजाना अस्पतालों में 50 से 60 लोग कुत्ते तथा बंदरों के हमलों से घायल होकर एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाने आते हैं। जिले में कई बच्चों व बड़ों की मौत भी हमलों में हो चुकी है। इसके साथ ही हजारों बेसहारा गोवंश भी सड़कों पर घूमने से हादसें होते रहते हैं।
स्टाफ की कमी से जूझ रहा स्वास्थ्य महकमा
जिले का स्वास्थ्य महकमा अत्याधिक संसाधनों से जूझ रहा है। यहां जिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड, सिटी स्कैन, एक्सरे समेत अनेकों मशीनें है। लेकिन स्टाफ की कमी के कारण यहां लोगों को वेटिंग लिस्ट में रहना पड़ता है। चिकित्सकों की कमी के कारण लोग निजी चिकित्सालयों में महंगा इलाज करवाने को मजबूर है। यहीं नहीं विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी से यह रेफर सेंटर ही बन कर रह गया। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का भी ज्यादा अच्छा हाल नहीं है। मेडिकल कालेज बना नही है।
प्रदूषण बेशुमार, नहीं रोकथाम के इंतजाम
जिले में वायु प्रदूष, जल प्रदूषण से लोग जूझ रहे है। कृष्णा नदी में फैक्ट्रियों के गंदे पानी छोड़ने से यह प्रदूषित है। इसके साथ ही मानक का पालन न होने से यहां सांस की बीमारियों से लोग ग्रसित है। 13 साल बाद भी यहां मुजफ्फरनगर से ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड चल रहा है। इसके कारण रोकथाम का इंतजाम नहीं है। प्रदूषण रोकने काम धरातल के बजाय कागजों पर होना बड़ा कारण है।
प्रतिभाएं कर रही पलायन
शामली जिले के ग्रामीण अंचल में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। यहां के खिलाड़ी प्रदेश से लेकर देश व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमक चुके है, लेकिन खेल सुविधाओं की कमी के कारण यहां के खिलाड़ी हरियाणा, उत्तरखंड या गैर जनपदों को पहुंचकर अभ्यास करते है। खेल स्टेडियम के लिए धनराशि स्वीकृत है, लेकिन सुस्त गति है, जो खेल स्टेडियम है भी उनमें लापरवाही का जंग लगा है।
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