BJP-RLD गठंबधन के बाद जयंत के सामने खड़ी हुई नई चुनौती, ‘रुठे’ अपनो को मनाने में जुटे रालोद चीफ
लोकसभा चुनावों को देखते हुए बीजेपी-आरएलडी के बीच गठबंधन तो हो गया लेकिन इस कवायद ने कई जाट-मुस्लिम नेताओं को नाराज कर दिया। इस चुनावी मौसम में इन नेताओं की नाराजगी जयतं चौधरी के लिए नई चुनौती बन गई है। शामली में बीजेपी प्रत्याशी के स्वागत का कार्यक्रम रखा गया था। जहां कई बड़े नेता नहीं पहुंचे। इन नेताओं की गैरमौजूदगी का संदेश राष्ट्रीय स्तर के नेताओं तक गया।
आकाश शर्मा, शामली। भाजपा-रालोद गठबंधन में बड़े मंच पर तो दोनों पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्षों की मुलाकात हो गई, लेकिन जमीनी स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं में दूरी देखी जा रही है। इसमें रालोद कार्यकर्ता अधिक नाराज बताए जा रहे हैं, और उनको मनाने का कार्य चल रहा है।
बुधवार को जयन्त चौधरी शामली में चार परिवारों को सांत्वना देने पहुंचे थे। उन्होंने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं से बातचीत की। उनके बारे में कहा कि यह मेरे हैं, मैं मना लूंगा। उनको मंत्र दिया कि सभी को चुनाव में एनडीए के प्रत्याशी के साथ रहकर जिताना है।
लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही भाजपा-रालोद का गठबंधन हो गया था, लेकिन गठबंधन के बाद रालोद से जुड़े जाट और मुस्लिम समाज के नेता नाखुश दिखाई दे रहे थे। रविवार को शामली के रालोद कार्यालय पर भाजपा सांसद और कैराना लोकसभा से एनडीए प्रत्याशी का स्वागत समारोह हुआ था।
पार्टी के बड़े मुस्लिम नेता और जिले में दो बड़े राजनीतिक घरानों से संबंध रखने वाले नेताजी नहीं पहुंचे थे। इसका संदेश पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के नेताओं तक गया था। ऐसे में निचले स्तर के कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए रालोद के बड़े नेता लगातार कार्य कर रहे हैं।
बुधवार को जयन्त चौधरी शामली में चार परिवारों में सांत्वना देने पहुंचे थे। इस दौरान पार्टी के रुठे नेताओं को भी उनके साथ देखा गया और उन्होंने नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को मनाया। साथ ही गठबंधन प्रत्याशी को जिताने के लिए मेहनत करने की बात कही। कुछ समाज के लोग भी उनसे नाराज दिखाई दिए। उन्होंने कहा कि मैं अपनों को मना लूंगा, कुछ उनकी मान लूंगा।
...तो चाचा एनडीए प्रत्याशी का देंगे साथ या भतीजी को मिलेगा आशीर्वाद
शामली पहुंचे जयन्त चौधरी के साथ हसन परिवार से रालोद नेता और सपा प्रत्याशी इकरा हसन के चाचा कंवर हसन को भी देखा गया। कंवर हसन लंबे समय से रालोद में हैं। अब भाजपा-रोलाद का गठबंधन हो चुका है। ऐसे में देखना होगा कि वह पार्टी हित में एनडीए प्रत्याशी प्रदीप चौधरी का समर्थन करेंगे या अपनी भतीजी के लिए चुनाव में मदद करेंगे।
उनपर राजनीतिक लोगों की निगाहे है। हालांकि मुनव्वर हसन के बाद कंवर हसन और नाहिद हसन की ज्यादा बनी नहीं। दोनों ही परिवार एक-दूसरे के खिलाफ कई बार चुनाव मैदान में आमने-सामने आ चुके हैं। उन्होंने साल 2018 में लोकसभा उपचुनाव, 2019 लाेकसभा और 2022 में हसन परिवार से प्रत्याशी का साथ दिया था।
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