हरियाणा में 'हारी हुई बाजी' के 'बाजीगर' बने पश्चिमी यूपी के दिग्गज नेता; जीत में निभाई अहम भूमिका
UP News सुरेश राणा मोहित बेनीवाल डा. संजीव बालियान डा. सत्यपाल सिंह से लेकर राघव लखनपाल शर्मा तक हरियाणा के चुनावी मैदान में डटे थे। भाजपा ने हरियाणा में तीसरी बार लगातार सरकार बनाने का रिकॉर्ड बनाया। भाजपा के वेस्ट यूपी के दिग्गज नेताओं को सौंपी जिम्मेदारी उन्होंने बखूबी निभाई। पिछले चुनाव में हारी कई सीटों पर इन नेताओं ने कमल खिलवाने में भूमिका निभाई।
अभिषेक कौशिक, जागरण, शामली। दीपावली से पहले हरियाणा के विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दिग्गजों की चमक और निखार दी है। पूरे चुनाव के दौरान यमुना किनारे के नेताओं की कारगर रणनीति ने जहां हर तरफ कमल खिला दिया है, वहीं उनकी मेहनत और लगातार जूझने के जज्बे ने पिछले चुनाव में हारी हुई सीटों पर भी जीत दिला दी।
उधर, हरियाणा में हैट्रिक का जश्न पश्चिम में भी धूमधाम से मनाया गया। लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं था। इसके बाद हरियाणा विधानसभा के चुनाव का ऐलान हुआ, तो भाजपा ने जीत के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी।
स्टार प्रचारक भी डटे रहे दिन−रात
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दिग्गज नेताओं को जिम्मेदारी देकर चुनावी समर में उतार दिया गया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह तक ने चुनावी सभाओं को संबोधित कर डबल इंजन की सरकार को जिताने की अपील की थी। स्टार प्रचारक भी रात-दिन डटे हुए थे।
लगातार करते रहे कैंपेन
शामली निवासी पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा के साथ ही एमएलसी और भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष मोहित बनीवाल, पूर्व सांसद प्रदीप चौधरी व पिछड़ा आयोग के सदस्य प्रमोद अट्टा डटे हुए थे। इसी तरह से सहारनपुर के पूर्व सांसद राघव लखनपाल शर्मा, नकुड़ विधायक मुकेश चौधरी, गंगोह विधायक किरत सिंह, विधायक राजीव गुंबर के साथ ही राज्यमंत्री ब्रजेश सिंह भी हरियाणा में कैंपेन कर रहे थे। मुजफ्फरनगर से पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. संजीव बालियान स्टार प्रचारकों की सूची में थे। वह चुनाव के दौरान पूरे हरियाणा में घूमे थे।
जीत का परिणाम सौ फीसदी रहा
पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष एवं एमएलसी मोहित बेनीवाल का 2022 विस समेत कई अन्य चुनावों में प्रबंधन का अनुभव काम आया। बेनीवाल के कार्य दायित्व वाली पानीपत शहर-ग्रामीण, संभालखा और इसराना सभी चारों सीटों पर एकतरफा कमल खिला।
सुरेश राणा।
पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरेश की जिम्मेदारी वाली यमुना नगर सदर के साथ ही असंद, निल्लोखेड़ी, इंद्री और रादौर सीटों पर कमल खिला। जबकि असंद, निल्लोखेड़ी और इंद्री कांग्रेस के पास थी। कैराना के पूर्व सांसद प्रदीप चौधरी मुख्यमंत्री की सीट लड़वा की जिम्मेदारी संभाले हुए थे। वहां भी बड़ी जीत दर्ज हुई। पिछड़ा आयोग के सदस्य प्रमोद अट्टा सफीदो सीट पर मेहनत कर रहे थे। यह सीटी बीजेपी ने पहली बार जीती है।
राघव लखनपाल शर्मा।
राघव के यहां पंजा पड़ा भारी
सहारनपुर से पूर्व सांसद राघव लखनपाल शर्मा लड़वा जनपद के प्रभारी बनाए गए थे, जिसमें चार सीट थी। एक पर जीत मिली, जबकि तीन कांग्रेस के पास चली गई। नकुड़ विधायक मुकेश चौधरी को कालका सीट की जिम्मेदारी थी, जिस पर भाजपा प्रत्याशी शक्ति रानी मौर्य को जीत मिली। गंगोह विधायक किरत सिंह जगाधरी सीट के लिए जुटे हुए थे, वहां पर हार का सामना करना पड़ा। इस सीट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इमरान मसूद ने भी प्रचार किया था। उनकी पार्टी को जीत मिली।
सत्यापल सिंह।
डा. सत्यपाल के क्षेत्र में एक जीत, तीन पर शिकस्त
बागपत के पूर्व सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. सत्यपाल सिंह को कुरुक्षेत्र की जिम्मेदारी मिली थी। इसी क्षेत्र में मुख्यमंत्री की सीट लड़वा भी थी, जिस पर जीत हासिल हुई। इसके अलावा तीन पर मायूसी मिली। साथ ही फरीदाबाद में भी कैंप किया था, जहां अधिकतर सीटों पर कमल खिला।
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