इकरा चौधरी के अनुसार कैराना लोकसभा सीट के लिए उनको प्रत्याशी बनाने को जयंत चौधरी ने अखिलेश को नाम सुझाया था। इकरा बताती है कि अखिलेश यादव ने डेढ़ साल पहले ही उनको टिकट के लिए आश्वासन दे दिया था। इकरा ने कहा कि पार्टी ने जो भरोसा जताया था वह सफल रहा। इससे स्पष्ट है कि इकरा अखिलेश का ही साथ देंगी।
आकाश शर्मा,
शामली। सूबे की महत्वपूर्ण सीट कैराना से सांसद चुनी गई इकरा हसन प्रोफेसर बनना चाहती थीं, लेकिन पारिवारिक परिस्थिति उनको लंदन से भारत खींच लाई। इकरा सियासत में उतरी तो यहां भी अपनी अनोखी छाप छोड़ दी। भाई के चुनाव का सफलता से प्रबंधन किया तो खुद का चुनाव भी सलीके से लड़ा और दमदार जीत दर्ज की। भले ही प्रोफेसर का ख्वाब अधूरा है, लेकिन अब वो विकास, महिला, शिक्षा, गरीबों के लिए कार्य करना चाहती हैं।
करीब छह साल पहले इकरा हसन लंदन में पढ़ाई के लिए गई थी। साल 2022 में वह पीएचडी कर रही थी, तभी इकरा की मां पूर्व सांसद तबस्सुम हसन और भाई विधायक नाहिद हसन पर मुकदमा दर्ज होने के चलते वह पढ़ाई को बीच में छोड़कर लौट आई। इसके बाद पुलिस ने उनके भाई को चुनाव से पहले जेल भेज दिया था।
विधानसभा 2022 में नाहिद हसन को जिताने के लिए इकरा ने पहली बार कैंपेन को लीड किया था। लोगों के बीच में गई और उनके भाई ने जीत दर्ज की। इकरा हसन बताती हैं कि इससे पहले कभी राजनीति में आने की इच्छा नहीं थी, लेकिन फिर जनता का प्यार और आशीर्वाद मिला तो राजनीति में कदम बढ़ाया। उन्होंने बताया कि वह पिछले दो सालों से ही लोकसभा चुनाव के लिए तैयारी कर रही थी।
यही कारण रहा है कि इकरा ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की। इकरा ने कहा कि वह क्षेत्र में बेहतर शिक्षा के लिए कार्य करेंगी, जिससे यहां के छात्र-छात्राओं को कैराना लोकसभा क्षेत्र में रहते हुए ही पढ़ाई की बेहतर सुविधाएं मिल सके। उन्होंने कहा कि प्रयास रहेगा कि बालिकाओं के लिए डिग्री और इंटर कालेज भी बनाए जाएंगे।
डेढ़ साल पहले ही अखिलेश ने दिया था आश्वासन
इकरा चौधरी के अनुसार कैराना लोकसभा सीट के लिए उनको प्रत्याशी बनाने को जयंत चौधरी ने अखिलेश को नाम सुझाया था। इकरा बताती है कि अखिलेश यादव ने डेढ़ साल पहले ही उनको टिकट के लिए आश्वासन दे दिया था। इकरा ने कहा कि पार्टी ने जो भरोसा जताया था वह सफल रहा। इससे स्पष्ट है कि इकरा अखिलेश का ही साथ देंगी।
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