महाभारत काल से लेकर पलायन तक का साक्षी है कैराना, अंगराज कर्ण की नगरी में क्या है सियासी समीकरण; ग्राउंड रिपोर्ट
अंगराज कर्ण की कर्णपुरी कई कारणों से लगातार सुर्खियों में बनी रहती है। कैराना सभी पलायन को लेकर तो राजनीतिक धूप-छांव को लेकर लाइमलाइट में रहता है। कैराना की राजनीतिक विरासत की बात करें तो यहां की धरती से घरानों की दो धाराएं-एक संगीत और दूसरी सियासत। चुनाव की गर्मी को लेकर कैराना में भी तपिश तेज है। दैनिक जागरण की ग्राउंड रिपोर्ट से जानते हैं यहां का सियासी समीकरण...
Kairana constituency UP Lok Sabha Chunav 2024: कैराना की धरती से घरानों की दो धाराएं फूटती हैं। एक संगीत और दूसरी सियासत। दोनों घरानों से निकले चेहरे अपने क्षेत्रों में दूर तक जाने गए। आज चुनावी धूप में कैराना तपने लगा है। मुकाबला कांटे का बताया जा रहा है। दूसरी बार भाजपा के प्रदीप चौधरी हसन परिवार के सामने चुनौती पेश कर रहे हैं। श्रीपाल राणा अपने अंदाज में ताल ठोंक रहे हैं। जीत दोहराई जाएगी या कैराना में बदलाव होगा, इसे लेकर अपने-अपने तर्क हैं... दावे हैं। कैराना में चरम पर पहुंची राजनीतिक सरगर्मी पर समाचार संपादक रवि प्रकाश तिवारी की रिपोर्ट...
यूं तो कैराना का इतिहास पांच हजार साल पीछे से शुरू होता है। कहते हैं अंगराज कर्ण की बसाई कर्णपुरी ही आज का कैराना है। मराठाओं ने इसे छावनी क्षेत्र बनाया। मराठा काल में वजीर रहे रंगीलाल की दान में दी गई भूमि पर बना माता बाला सुंदरी का मंदिर और सामने सरोवर यहां आज भी है। इसकी कोख में पलायन का मुद्दा भी पला।Kairana Lok Sabha election 2024: अंगराज कर्ण की नगरी में क्या है सियासी समीकरण, कैराना मराठा काल से लेकर पलायन तक का है साक्षी; पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट
चुनावी परिदृश्य में कैराना को देखें तों 1962 में बनी कैराना लोकसभा सीट शुरुआत में तो पंजे के कब्जे में रही, लेकिन देश में राजनीतिक परिदृश्य बदला तो कैराना भी उसका सहभागी बना। कैराना के राजनीतिक समीकरण के बारे में कहा यही जाता है कि हिंदू हो या मुस्लिम गुर्जर जिसके साथ...जीतेगा वही।
कैराना में दो चबूतरें हैं राजनीति का अहम केंद्र
वैसे कैराना कस्बे के दो चबूतरे राजनीति के दो अहम केंद्र हैं। एक कलस्यान खाप का तो दूसरा हसन चबूतरा। बाबू हुकुम सिंह के पिता मान सिंह ने हिंदू गुर्जरों को एकजुट कर कलस्यान खाप का चबूतरा बनवाया जो अब चौपाल की शक्ल ले चुका है।ऐसे ही सपा-कांग्रेस की साझा उम्मीदवार इकरा हसन के दादा अख्तर हसन ने हसन चबूतरा स्थापित किया। यहां से मुस्लिम समाज के हक की आवाज उठाते हुए राजनीतिक पहचान बनाई। 1962 में गठित कैराना लोकसभा क्षेत्र में वर्तमान में करीब छह लाख मुस्लिम मतदाता और 11 लाख से अधिक हिंदू मतदाता हैं। इनमें लगभग ढाई लाख दलित समाज, डेढ़ लाख जाट, 1.30 लाख गुर्जर हैं। ओबीसी में सैनी और कश्यप की संख्या सवा-सवा लाख से ज्यादा है।
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