Kedarnath Dham Cloud Burst: 'फरिश्ता बनकर पहुंची NDRF ने दिया जीवनदान', मौत के मुंह से बचकर आए युवाओं ने बताई आपबीती
Kedarnath Dham Cloud Busrt Shamli Youth Update News केदारनाथ में अचानक बादल फटने से यात्री फंस गए उन्हें रेस्क्यू कर निकाला जा रहा है। शामली जिले के युवा रेस्क्यू टीम का धन्यवाद कर रहे हैं। बादल फटने के कारण बड़े पत्थरों से रास्ता बंद होने पर वे तीन दिन बाद बचाए गए। घर लौटे युवाओं को देखकर स्वजन खुश हैं और ईश्वर का आभार जता रहे हैं।
जागरण संवाददाता, शामली। लोग अपनी जिंदगी के लिए इधर से उधर भाग रहे थे, भागम-भाग में हम लोग पहाड़ों के गिरे मलबे में फंस गए। टेलीफोन, बिजली की लाइनें बर्बाद हो चुकी थी, इसके कारण स्वजन से संपर्क नहीं हो रहा था। एनडीआरएफ हमारे लिए देवदूत की तरह आईं और हमें कड़ी मशक्कत के बाद मलबे से निकाला और वे सकुशल अपने घर पहुंच गए। ये आपबीती शामली के गांव सिलावर के वापिस लौटे युवकों ने सुनाई।
जिले के गांव सिलावर के छह युवक केदारनाथ त्रासदी में मौत के मुहं से बचकर वापस लौटे। बीते शनिवर की देर रात करीब 12 बजे अपने गांव लौटे रवि पुत्र सुशील ने बताया कि वह अपने 13 वर्षीय भाई वंश व चार अन्य दोस्तों अंकित पुत्र सुरेश, सोनू पुत्र सुक्का, विपिन पुत्र सहदेव व कारगिल पुत्र श्रवण के साथ तीन बाइकों पर सवार होकर भगवान शिव को गंगाजल अर्पित करने के लिए शामली से केदारनाथ के लिए निकले थे।
26 जुलाई को वे लोग सबसे पहले हरिद्वार पहुंचे जहां से गंगाजल लेने के बाद वे अपनी-अपनी बाइकों से आगे बढ गए। 28 जुलाई को वे बद्रीनाथ पहुंचे, जहां मौसम साफ था। इसके बाद केदारनाथ के लिए रवाना हुए। 29 जुलाई को केदारनाथ पहुंचे, जहां दर्शन व गंगाजल अर्पित करने के बाद उन्होंने घर वापस लौटने की तैयारी शुरू कर दी। इसके अगले दिन 30 जुलाई को वे केदारनाथ से चल गए, जब वे तीन किलोमीटर आगे निकले तभी अचानक केदारनाथ में बादल फट गया, जिससे वहां बडी मात्रा में पानी व पहाड़ों से पत्थर गिरने लगे।
पत्थर गिरने से मची भगदड़
पहाड़ों से पत्थर गिरने पर रास्ते से गुजर रहे लोगों में भगदड़ मच गईं। युवकों ने बताया कि आलम यह था कि कई लोग पहाड़ों से गिरे पत्थरों के मलबे में दफन हो गए। चारों ओर चीख पुकार मच गई। मलबा गिरने से फोन व बिजली की लाइनें भी पूरी तरह तबाह हो गईं। उन्होंने अपने स्वजन को फोन करने का प्रयास किया लेकिन नेटवर्क नहीं मिल पाया। उनके अलावा अन्य लोग भी वहीं फंस गए।
तीन दिन और दिन रात तक फंसे रहे युवा
करीब तीन दिन व तीन रात तक वे वहीं फंसे रहे। इस दौरान खाने पीने का भी संकट खड़ा हो गया, एक जगह मौजूद लोगों ने अपने साथ लाए गए बिस्कुट, पानी व अन्य खाने पीने की चीजें उन्हें दी। किसी तरह एनडीआरएफ की टीम व स्थानीय लोगों ने कडी मशक्कत के बाद रस्सियों के सहारे उन्हें रेस्क्यू कर वहां से सुरक्षित निकाला तथा आगे के लिए रवाना किया।खाैफनाक था मंजर
रवि ने बताया कि केदारनाथ में मंजर इतने खतरनाक थे कि सभी लोग भगवान से एक दूसरे के सकुशल होने की प्रार्थना करते रहे। उसे अपने 13 वर्षीय भाई वंश की बहुत ज्यादा चिंता सता रही थी लेकिन स्थानीय लोगों व एनडीआरएफ की टीम ने उनका हौसला बढ़ाया तथा सभी लोगों को सकुशल वहां से बाहर निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया दिया। वे शुक्रगुजार हैं।
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आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।मलबे में लोगों दबे देखा तो मन दुखी
युवाओं ने बताया कि केदारनाथ त्रासदी को उन्होंने अपनी आंखों से देखा। कई लोग तो पहाडों से गिरे पत्थरों के नीचे दफन हो गए। एनडीआरएफ की टीम ने कई लोगों को मलबे से बाहर निकालकर आनन-फानन में हेलिकाप्टर के माध्यम से अस्पतालों के लिए भेजा जिनमें कई लोगों की हालत तो बेहद चिंताजनक दिख रही थी, पता नहीं वे जिंदा बचे होंगे या नहीं लेकिन लोगों को मलबे के नीचे दबता देखकर उनका मन बेहद विचलित रहा। हालात ऐसे थे कि कोई भी अपनी जान जोखिम में नहीं डालना चाह रहा था। ऐसे में स्थानीय लोग व एनडीआरएफ की टीम ने देवदूतों का काम किया। जान की परवाह किए बिना मलबे में दबे लोगों को बाहर निकालने के लिए दिन रात जुटी रही।जिंदा देखा तो ईश्वर का शुक्रिया
केदारनाथ में आई त्रासदी की खबर पर स्वजन का रो-रोकर बुरा हाल था। युवाओं से संपर्क का प्रयास किया लेकिन हीं हो पाया। रवि, वंश, अंकित, सोनू, विपिन, व कारगिल का कुछ भी पता न चलने पर स्वजन चिंता में डूबे थे लेकिन केदारनाथ से बाहर निकलने के बाद युवाओं ने सकुशल होने की जानकारी दी। इसके बाद परिवार में खुशियां छा गई। युवा घर पहुंचे तो स्वजन ने उन्हें गले लगा लिया।