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लाखों हो गए खर्च, फिर भी ऐतिहासिक गोसाई तालाब सूखा

जलालाबाद में प्राचीन गोसाई तालाब पानी के बिना सूखकर मैदान बन चुका है। लाखों खर्च होने के बाद तालाब का सौंदर्यीकरण कार्य पूर्ण नहीं हो सका। वहीं रजवाहा से तालाब तक नाला झाड़ियां उग जाने से बंद हो चुका है। सूखे होने पर तालाब से जुड़ी धार्मिक मान्यताओं की आस्था को ठेस पहुंच रही है।

By JagranEdited By: Updated: Tue, 30 Nov 2021 10:17 PM (IST)
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लाखों हो गए खर्च, फिर भी ऐतिहासिक गोसाई तालाब सूखा

शामली, जागरण टीम। जलालाबाद में प्राचीन गोसाई तालाब पानी के बिना सूखकर मैदान बन चुका है। लाखों खर्च होने के बाद तालाब का सौंदर्यीकरण कार्य पूर्ण नहीं हो सका। वहीं, रजवाहा से तालाब तक नाला झाड़ियां उग जाने से बंद हो चुका है। सूखे होने पर तालाब से जुड़ी धार्मिक मान्यताओं की आस्था को ठेस पहुंच रही है।

कस्बे के पूर्वी दिशा छोर पर नदी पुल से आगे उत्तरी दिशा की ओर हसनपुर लुहारी संपर्क मार्ग किनारे पर ऐतिहासिक गोसाई तालाब स्थित है। इस तालाब के बारे में बताया जाता है कि राजा कारक के समय जब जलालाबाद, मनुहार खेड़ा के नाम से जाना जाता था, तब इसकी खुदाई कराई गई थी। आज भी चूना से निर्मित स्नानागार तालाब के पश्चिमी छोर पर बने हैं। मौजूद प्राचीन स्नानागार तालाब की ऐतिहासिकता का प्रमाण देते हैं। इस तालाब की ऐतिहासिकता के सौंदर्यीकरण व पर्यटन क्षेत्र में लाने के लिए तत्कालीन विधायक राव अब्दुल वारिस ने विधानसभा में प्रश्न किया था। उन्हीं के प्रयास से शासन स्तर पर इसके सौंदर्यीकरण की फाइल स्वीकृत हुई।

सन् 2016 में नगरीय तालाब पोखर संरक्षण योजना में चयनित कराने में तत्कालीन विधायक वर्तमान प्रदेश सरकार में कैबिनेट गन्ना मंत्री सुरेश राणा का प्रयास रहा। डीएस कंस्ट्रक्शन कंपनी थानाभवन को इसके सौंदर्यीकरण कराने का करोड़ों का टेंडर नगर पंचायत के माध्यम से दिया गया। पहली व दूसरी किस्त जारी कर दी गई। जिसके द्वारा तालाब की खुदाई, समतलीकरण, चहारदीवारी कार्य कराया गया। परंतु चहारदीवारी कार्य अगली किस्त जारी न होने से अधर में लटका है। पांच वर्ष से अधिक समय से तालाब सूखकर मैदान बना है। तालाब भूमि क्रिकेट व पशु चराने का स्थल बना है। इसका कंठ सूखा होने के पीछे हसनपुर लुहारी के राधा स्वामी सत्संग के निकट से रजवाहा गोसाई तालाब तक नाला से जोड़ा गया है। इस नाला के द्वारा तालाब में पानी आता है।

नाला की सफाई की जिम्मेदारी जलालाबाद देहात में थाना भवन विकास कार्यालय के अंतर्गत आती है। सभासद नाजिम मलिक ने बताया कि तालाब पोखर संरक्षण योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है। लाखों का धन बेतरतीब खर्च कर दिया गया है। समाज सेविका रीना गुप्ता ने बताया कि ऐतिहासिक तालाब से धार्मिक मान्यता व आस्था का संबंध है। हिदू रीति रिवाज अंतर्गत विवाह में महिलाएं तालाब की पूजा-अर्चना करने यहां पर आती हैं। सभासद राजेश सैनी ने बताया कि ऐतिहासिक गोसाई तालाब में त्वचा संबंधी बीमारियों से निजात पाने के लिए स्नान किए जाने की परंपरा रही है। आज भी दूरदराज से त्वचा की बीमारियों से पीड़ित यहां पर स्नान करने पहुंचते हैं। परंतु वह तालाब के सूख जाने पर निराश होकर वापस लौट जाते हैं।

समाजसेवी राशिद चौधरी ने बताया कि ऐतिहासिक गोसाई तालाब कस्बे के प्राचीन होने के प्रमाण का साक्ष्य है। प्राचीन स्नानागार आज भी प्राचीनता की गवाही दे रहे हैं। कस्बे में कहीं ऐसा स्थान नहीं है जहां पर कस्बावासी व आने वाले मेहमान भ्रमण कर सके। इसके सौंदर्य करण के पीछे भी यही मंशा है की तालाब ऐसा स्थान बन सके जहां पर लोग सुबह शाम घूम सके। योग व्यायाम तालाब किनारे कर सके।

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