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पैर के निशान से पहचान गई मां, फिर रो पड़ा आसमां; 20 साल पहले एक महिला ले आई थी मेरठ- करवाती थी गंदा काम

शामली का एक गांव निवासी अपनी पत्नी और दो बेटियों के साथ साल 2004 में बनारस रेलवे स्टेशन के पास फूल बेचने का कार्य किया करता था। एक दिन दोनों बेटियां उनसे बिछड़ गई। काफी तलाश किया लेकिन बेटियों का कोई सुराग नहीं लग सका। अब सोशल मीडिया की सहायता से 20 साल बाद बेटी वापस लौटी है तो मां के आंसूं निकल पड़े।

By Jagran News Edited By: Aysha Sheikh Updated: Sun, 07 Jul 2024 01:40 PM (IST)
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रोती हुई लड़की की प्रतीकात्मक तस्वीर ।

आकाश शर्मा, बिडौली (शामली)। दर्द का कोई अंत नहीं। किस्मत की कोई माया नहीं जानता। बचपन के सुनहरे दिन सिर्फ सात साल की उम्र में मां-बाप का हाथ बिछड़ते ही दुर्दिन में बदल गए। वेश्यावृत्ति के भंवर में फंसकर जिंदगी पत्थर बन गई। किस्मत ने फिर खेल दिखाया। 27 साल की उम्र में सोशल मीडिया के जरिए एक युवक के संपर्क में आई जिसने उसे मां से मिला दिया।

मां ने जल्दी से बेटी का पैर चेक किया। निशान मिलते ही जोर से रोने लगी और फट पड़ा देखने वालों का कलेजा। किस्मत से 27 साल की उम्र में ही न जाने क्या-क्या रंग दिखा दिए। सात साल की उम्र में बनारस रेलवे स्टेशन पर माता-पिता से बिछड़ी तो एक मुस्लिम महिला अपने साथ मेरठ ले आई।

घर का कार्य कराया। वेश्यावृत्ति कराना शुरू कर दिया। हर रोज असहनीय उत्पीड़न झेला। 15 साल बाद जब वो महिला जयपुर गई तो घर से निकलने का मौका मिला। इस दौरान वह दिल्ली चली गई और वहां नौकरी करते हुए अपना पालन-पोषण कर रही थी। इस बीच परिवार की तलाश भी उसने पूरी कर ली। आज 20 साल बाद उसकी परिवार से मुलाकात हुई।

2004 में बनारस में मां-बाप से बिछड़ी

झिंझाना थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी व्यक्ति अपनी पत्नी और दो बेटियों के साथ साल 2004 में बनारस रेलवे स्टेशन के पास फूल बेचने का कार्य किया करता था। एक दिन अधिक भीड़ होने के दौरान दोनों बेटी एक सात वर्षीय और दूसरी 12 वर्षीय उनसे बिछड़ गई। स्वजन ने काफी तलाश किया, थाने में रिपोर्ट भी दर्ज कराई, लेकिन बेटियों का कोई सुराग नहीं लग सका।

इसके बाद स्वजन गांव में लौट गए और उम्मीद खो चुके थे कि अब कभी बेटियां मिलेंगी। सात वर्षीय बिटिया को जानकारी थी कि झिंझाना क्षेत्र की निवासी है और वह अपने स्वजन से मिलना चाहती थी। पिछले एक साल से युवती झिंझाना क्षेत्र में इंटरनेट मीडिया के माध्यम से अपने स्वजन को तलाश रही थी, लेकिन कभी कोई संपर्क नहीं हो सका।

भाजपा नेता बने सूत्रधार

दस दिन पहले उसका संपर्क फेसबुक के माध्यम से ही शामली निवासी एक भाजपा नेता विवेक से हुआ। युवती ने भाजपा नेता को बताया कि वह झिंझाना क्षेत्र की निवासी है। उसने अपने घर के आसपास की पहचान भी बताई। इसके बाद भाजपा नेता ने झिंझाना क्षेत्र के सभी गांवों में इसकी पड़ताल कराई। तब जाकर नेता विवेक का संपर्क युवती के स्वजन से हुआ।

इसके बाद युवती शुक्रवार रात शामली पहुंची और स्वजन से मिली। इसके बाद मां ने कहा कि बिटिया के पैर पर चोट का निशान था। यदि आपके पैर पर निशान है तो आप हमारी ही बेटी। युवती ने निशान दिखाया। जिसके बाद दोनों मां बेटी का खुशी का ठिकाना नहीं था। 24 घंटे परिवार के साथ रहने के बाद युवती पांच दिन बाद वापस घर लौटने की बात कहकर दिल्ली रवाना हो गई।

लाकडाउन में घर से हुई थी फरार

युवती ने बताया कि उस मुस्लिम महिला की बेटी का निकाह जयपुर में हुआ था। उसकी बेटी गर्भवती थी। इस दौरान वह महिला घर में छोड़कर अपनी बेटी से मिलने गई थी। उस समय लाकडाउन का दौर था। वह मेरठ स्थित महिला के घर से निकली और ट्रेन में बैठकर दिल्ली चली गई। वहां जाकर उसने कभी किसी कंपनी तो कभी किसी स्थान पर नौकरी की। आज तक वह दिल्ली में रह रही है। उसने कभी पढ़ाई नहीं की।

पांच साल बाद ही हो गई थी बड़ी बेटी की मौत

स्वजन ने बताया कि बनारस में बिछड़ने के बाद पास के ही एक शहर में 12 वर्षीय बिटिया को कोई ले गया था। वहां उससे नृत्य कराया जाता था। बुखार होने के कारण साल 2009 में उसकी मौत हो गई थी।

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