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रेलवे का दोहरीकरण हो जल्द, जीएसटी की दरें हो समान

कोरोना और लाकडाउन में उद्योग धंधे काफी प्रभावित हो चुके हैं। जिले का रिम धुरा उद्योग प्रदेश में खास पहचान रखता है लेकिन इस उद्योग को लेकर उद्यमी निराश हैं। इसमें जीएसटी की दरें भी अलग-अलग हैं। आगामी बजट से उद्यमी जीएसटी की दरें समान होने की उम्मीद लगाए हैं।

By JagranEdited By: Updated: Sat, 09 Jan 2021 11:12 PM (IST)
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रेलवे का दोहरीकरण हो जल्द, जीएसटी की दरें हो समान

सुनिए वित्त मंत्री जी..

शामली: कोरोना और लाकडाउन में उद्योग धंधे काफी प्रभावित हो चुके हैं। जिले का रिम धुरा उद्योग प्रदेश में खास पहचान रखता है, लेकिन इस उद्योग को लेकर उद्यमी निराश हैं। इसमें जीएसटी की दरें भी अलग-अलग हैं। आगामी बजट से उद्यमी जीएसटी की दरें समान होने की उम्मीद लगाए हैं।

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केंद्रीय वित्त मंत्री से हमारी मांग है कि एमएसएमई पर विशेष ध्यान दें। कोरोना काल में आमदनी बहुत घट गई है। इसे बढ़ाने के लिए मजबूत कदम उठाए जाएं। टैक्स व नक्शे आदि में कोई तकनीकी दिक्कत हो तो उस पर ध्यान न देकर बैंकों योजनाओं में निश्चित तौर पर ऋण दिलाने के ठोस इंतजाम हो।

-अशोक मित्तल, अध्यक्ष आइआइए शामली

देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकार को उद्योगों को बढ़ावा देना चाहिए। इसके लिए एमएसएमई को मजबूत किया जाए। उद्योग लगाने के लिए ऋण दिया जाए, ताकि उद्यमी मजबूत तरीके से काम कर सके।

- अनुज गर्ग, महासचिव आइआइए शामली -----------------

रेल बजट कई सालों पहले स्वीकृत हो चुका है, लेकिन लागू आज तक लागू नहीं हो सका है। रेलवे लाइन का दोहरीकरण व शामली से लंबी दूरी की ट्रेन न चलने से उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। लखनऊ व जम्मू के लिए एक ट्रेन चलाई जानी चाहिए। वहीं पानीपत व शामली लाइन का कुछ नहीं हो सका है। जीएसटी की विसंगतियां भी दूर होनी चाहिए। इसमें टैक्स स्लैब एक ही रहना चाहिए।

- अंकित गोयल, अध्यक्ष शामली इंडस्ट्रियल एस्टेट, शामली ------------

वित्त मंत्री जी को बजट में सबसे पहले शामली के रिम धुरा उद्योग में ध्यान देना चाहिए। जीएसटी में रिम धुरा उद्योग में दो टैक्स स्लेब हैं, जबकि उप्र सरकार ने शामली का मुख्य उत्पाद मानते हुए इसे ओडीओपी योजना चिन्हित किया है। एक समान जीएसटी दरें होने से भ्रम की स्थिति नहीं रहेगी।

- अमित कुमार जैन, उद्यमी

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साल 2016 के रेल बजट में दिल्ली-शामली-सहारनपुर रेलमार्ग पर दोहरीकरण के लिए 1500 करोड़ के बजट पास किया गया था। रेलवे अधिकारियों द्वारा 1214 करोड़ का डीपीआर बनाकर रेलवे बोर्ड को भेजा था, लेकिन इसमें कोई कार्य नहीं हो सका है। रेलवे लाइन के दोहरीकरण न होने से उद्योगों पर काफी प्रभाव पड़ता है। यहां से माल देश में दूर दराज स्थानों पर भेजने लाने व ले जाने में दिक्कत है। वहीं यहां से लखनऊ, जम्मू आदि दूरस्थ स्थानों पर ट्रेन नहीं चल रही है। 2021 के बजट में डीपीआर की रकम पास हो और ट्रेनों का संचालन सुचारू हो।

- अनुज बंसल, उद्यमी

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