गरीबों की प्यास पर सरकार का ताला
जागरण संवाददाता, शामली : नगर पालिका परिषद ने मोटी रकम खर्च कर शहर में प्याऊ बनवाए, लेकि
जागरण संवाददाता, शामली : नगर पालिका परिषद ने मोटी रकम खर्च कर शहर में प्याऊ बनवाए, लेकिन अब गरीबों की प्यास पर Þताला' लगा दिया गया है। जी हां, शहर के सभी प्याऊ की टोंटी निकालकर पाइप पर डाट कस दी गई है, इससे गरीबों का तो हलक सूख ही रहा है, साथ ही अन्य लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लोग सवाल भी खड़े कर रहे हैं कि जब डाट ही लगानी थी तो जनता का पैसा खर्च कर इन्हें बनवाया ही क्यों गया।
गर्मी चरम पर है। स्थिति ये है कि पसीना सूख नहीं रहा और हलक पानी गटकने के कुछ देर बाद फिर सूख जाता है। लोगों का गला तर करने के लिए शहर में दो दर्जन से अधिक स्थानों पर प्याऊ बने हैं। गर्मी प्रचंड होने से पहले तो कुछ में पानी मिल जाता है। क्योंकि, इनमें से अधिकांश की स्थिति भी ठीक नहीं है। कहीं प्याऊ की ¨सक में गंदगी है तो कहीं मोटी काई की परत जमी है।
गर्मी बढ़ी तो सभी प्याऊ को दुरुस्त करने के बजाय उन टोंटी को भी बंद कर दिया गया, जिनसे गरीब अपनी प्यास बुझा लिया करते थे। राह चलते सभी वर्ग के लोग भी इनका इस्तेमाल करते थे। लेकिन, अब तो अगर लोग घर से बाहर हैं तो जेब ढीली कर पानी की बोतल ही खरीदनी पड़ रही है, लेकिन यह दिहाड़ी-मजदूरी करने वाले के बसकी बात नहीं है, लेकिन मजबूरी में उसे भी ऐसा करना पड़ रहा है।
------------------
तो इसलिए दी जा रही सजा
नगर पालिका ने सिर्फ इसलिए प्याऊ के मुंह बंद कर दिए, क्योंकि कुछ लोग अव्यवस्था फैला रहे थे। जैसे पानी पिया और टोंटी बंद नहीं की। किसी ने टोंटी को तोड़ दिया या चुरा लिया। लेकिन, इसकी सजा सभी को नहीं दी जा सकती। नगर पालिका ये भी कर सकता था कि ऐसी टोंटी लगवा देता, जो कुछ पानी निकलने के बाद खुद बंद हो जाती है। व्यवस्था ऐसी भी हो सकती थी कि कोई टोंटी चुरा न सके। जैसे मजबूत जाली लगा देना देना। लेकिन, नगर पालिका को पानी बंद करना ही सही लगा। जबकि, लोगों को तो आस ये थी कि इस मर्तबा ठंडे पानी की व्यवस्था की जाएगी।
-------------
बोले लोग
नगर पालिका का ये अच्छा तरीका नहीं है। सक्षम लोग तो खरीदकर भी पानी पी सकते हैं, लेकिन गरीबों के लिए तो प्याऊ ही सहारे थे।
-घनश्याम पारछा इस वक्त प्याऊ की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। पानी बचाने के और भी तरीके हैं। सभी प्याऊ पर पानी समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
-रजत गोयल
----------------
इन्होंने कहा
प्याऊ की टोंटी को लोग खुला छोड़ देते थे, जिससे पानी बर्बाद होता था। असामाजिक तत्व टोंटी चोरी भी करते थे। ऐसे में जहां प्याऊ की जरूरत नहीं है, वहां डाट लगाई है। कुछ स्थानों पर डाट हटा दी गई, जहां प्याऊ की ज्यादा आवश्यकता है।
- अंजना बंसल, चेयरमैन, नगर पालिका परिषद शामली।