'...तो दिलचस्प हो जाएगा यूपी की इस सीट पर चुनावी मुकाबला', सपा-बसपा के पत्ते खुलने का हर कोई कर रहा इंतजार
बसपा सांंसद अचानक से सांसद राम शिरोमणि का पार्टी से निष्कासन होने के बाद सपा से उनकी निकटता की चर्चा शुरू हो गई है। हालांकि उन्होंने सपा से निकटता को खारिज करते हुए बदले माहौल में विकल्प ढूंढने की बात स्वीकार की है। अब सियासी गलियारे में चर्चा है कि बसपा के रिक्त स्थान को कौन भरेगा। विकल्पों में बड़े स्थानीय नाम लिए जा रहे हैं।
जागरण संवाददाता, श्रावस्ती। लोकसभा चुनाव के मुहाने पर बसपा सांंसद राम शिरोमणि वर्मा का पार्टी से निष्कासन होने के बाद टिकट को लेकर बनी स्थिरता अब रिक्तता में बदल गई है। बसपा किस पर अपना दांव लगा सकती है, यह चर्चा जोर पकड़ने लगी है। जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए सपा और बसपा के पत्ते खुलने का हर कोई इंतजार कर रहा है। भूपेंद्र पांडेय की रिपोर्ट...
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में अंबेडकरनगर जिले से आए राम शिरोमणि वर्मा भाजपा उम्मीदवार दद्दन मिश्र को पांच हजार 320 मतों से हराकर सांसद चुने गए थे। इस चुनाव में जातीय समीकरणों की जुगलबंदी काम आई। सांसद चुने जाने के बाद से क्षेत्र से गायब रहने के कारण राम शिरोमणि वर्मा की लोकप्रियता में कमी आई थी। अपने समीकरण मजबूत करने के लिए उन्होंने नए दांव चलने शुरू किए।
भाजपा ने उम्मीदवार घोषित कर कयासों पर लगाया विराम
भाजपा से उनकी निकटता की भी चर्चा शुरू हुई। इसी बीच भाजपा ने साकेत मिश्र को अपना उम्मीदवार घोषित कर कयासों पर विराम लगा दिया। इसके बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि राम शिरोमणि वर्मा दूसरी बार लोकसभा चुनाव में हाथी की सवारी करते नजर आ सकते हैं। इसे ध्यान में रखकर भाजपा और सपा अपनी जमीन तैयार कर रही थी। जातीय समीकरण भी इसी आधार पर साधे जा रहे थे।बसपा के रिक्त स्थान को कौन भरेगा?
अचानक से सांसद राम शिरोमणि का पार्टी से निष्कासन होने के बाद सपा से उनकी निकटता की चर्चा शुरू हो गई है। हालांकि, उन्होंने सपा से निकटता को खारिज करते हुए बदले माहौल में विकल्प ढूंढने की बात स्वीकार की है। अब सियासी गलियारे में चर्चा है कि बसपा के रिक्त स्थान को कौन भरेगा। विकल्पों में बड़े स्थानीय नाम लिए जा रहे हैं। इस आधार पर सपा और बसपा का टिकट आया तो श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र का मुकाबला काफी रोचक हो जाएगा।
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