भाजपा के चक्रव्यूह में फंस कर रह गए बागी असलम
भूपेंद्र पांडेय श्रावस्ती लगातार तीन चुनाव में हार का सामना करने वाले मुहम्मद असलम राईनी
By JagranEdited By: Updated: Fri, 11 Mar 2022 09:00 PM (IST)
भूपेंद्र पांडेय, श्रावस्ती : लगातार तीन चुनाव में हार का सामना करने वाले मुहम्मद असलम राईनी ने बसपा के टिकट पर वर्ष 2017 में जीत का स्वाद तो चखा, लेकिन अगले ही चुनाव में वे एक बार फिर धड़ाम हो गए। बसपा से बगावत कर सपा का दामन थामा तो चुनाव लड़ने के लिए क्षेत्र भी बदल दिया, लेकिन वे इस बार भाजपा के चक्रव्यूह में फंस कर रह गए। मतगणना के 26वें चरण तक बढ़त बनाने के बाद उन्हें मिली हार चर्चा में है। वर्ष 2002 में बसपा के टिकट पर पहली बार सियासत में दांव आजमाने उतरे असलम राज परिवार के चंद्रमणि कांत सिंह से चुनाव हार कर दूसरे स्थान पर रह गए। 2007 में कांग्रेस की लहर में हाथ का साथ लेकर चुनावी वैतरणी पार करने की कोशिश की। इस बार बसपा के दद्दन मिश्र से मात्र 91 मतों से उन्हें शिकस्त मिली। 2012 के चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस के साथ मैदान में उतरे। इस बार सपा की इंद्राणी देवी ने बाजी मारी और असलम को दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा। वर्ष 2017 के चुनाव में दलित-मुस्लिम गठजोड़ के सहारे बसपा के टिकट से विधायक चुने गए। देवीपाटन मंडल की इकलौती भिनगा विधानसभा की सीट पर मिली जीत ने उनका राजनीतिक कद काफी बढ़ा दिया। चुनाव परिणाम आने के कुछ महीनों बाद ही वे मंच से भाजपा सरकार का गुणगान करते सुने गए। यहीं से उनकी पैतरेबाजी शुरू हो गई। कार्यकाल के अंतिम समय में राज्यसभा चुनाव में बसपा से बगावत कर उन्होंने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए। श्रावस्ती से टिकट लेकर मैदान में उतरे। रमजान को मटेरा से उम्मीदवार बनाया तो नाराज होकर उन्होंने पार्टी छोड़ दी। कांग्रेस के टिकट पर वे मैदान में उतर आए। भाजपा की मजबूत किलेबंदी के साथ रमजान की नाराजगी असलम को भारी पड़ी। कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर रमजान को कुल 4655 मत मिले। विजयी भाजपा के रामफेरन पांडेय को 98640 व मुहम्मद असलम राईनी को 97183 वोट मिले। मात्र 1457 मतों से शिकस्त मिलने के बाद कांग्रेस को मिले वोट पर चर्चा हो रही है।
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