उत्तरकाशी में टनल में फंसे श्रावस्ती के मजदूर, सुरक्षित होने का VIDEO देख राहत महसूस कर रहा परिवार
मोतीपुर कला गांव में एक जगह एकत्र पुरुष और महिलाएं टनल में फंसे गांव के बेटों का वीडियो और वाकी-टाकी से बात को सुनकर थोड़ा आश्वस्त हो गए। 12 नवंबर को इनके टनल में फंसे होने की सूचना मिली तो गांव में दीपावली की खुशी गायब हो गई। नौ दिनों से टनल में फंसे मजदूरों के परिवार भरपेट भोजन नहीं कर रहे हैं।
By Jagran NewsEdited By: Nitesh SrivastavaUpdated: Wed, 22 Nov 2023 07:39 PM (IST)
भूपेंद्र पांडेय, श्रावस्ती । उत्तराखंड के उत्तरकाशी में यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर टनल निर्माण में मजदूरी करने गए राम सुंदर, संतोष, सत्यदेव, राममिलन, अंकित और महेश के बारे में मोबाइल फोन पर जानकारी मिलते ही इनके परिवारीजन और करीबियों के चेहरों पर मुस्कान लौटने लगी।
मोतीपुर कला गांव में एक जगह एकत्र पुरुष और महिलाएं टनल में फंसे गांव के बेटों का वीडियो और वाकी-टाकी से बात को सुनकर थोड़ा आश्वस्त हो गए।
इन थारू परिवारों को अब उत्तरकाशी की टनल में फंसे बेटों के सलामत घर लौटने की आस है। परिवार का भरण-पोषण करने के लिए सिरसिया क्षेत्र के मोतीपुर कला गांव के युवक यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर टनल निर्माण में मजदूरी कर रहे थे। टनल भूस्खलन से करीब 57 मीटर धंस गई। छहों दीपावली के दिन से इसमें फंसे हैं।
12 नवंबर को इनके टनल में फंसे होने की सूचना मिली तो गांव में दीपावली की खुशी गायब हो गई। नौ दिनों से टनल में फंसे मजदूरों के परिवार भरपेट भोजन नहीं कर रहे हैं। बेटों की सलामती की चिंता परिवार को खाए जा रही है। सरकार का प्रयास सराहनीय रामसुंदर की पत्नी ने बताया कि एक-एक दिन पहाड़ की तरह कट रहा है। बच्चे भी पापा के लिए बेचैन हैं। वीडियो देखा है। आवाज भी सुनी है, लेकिन सामने से देख कर ही मन को तसल्ली मिलेगी।
मासूम बच्चों के साथ चिंता में डूबीं राम सुंदर की पत्नी शीला (बाएं) व मां धनपति (दाएं)- जागरण
संतोष की मां विदेशनी बताती हैं कि बेटों को सलामत बाहर निकालने के लिए सरकार का प्रयास सराहनीय है, लेकिन कब बच्चे घर आएंगे यह सवाल परेशान कर रहा है। सिर्फ आवाज सुन लेना और वीडियो देख लेना काफी नहीं है। 85 वर्षीय दादी चैनी पोते के बारे में बात करने लगीं तो उनकी आंखें भर आईं। उन्होंने बताया कि ऐसा जानती तो पोते को बाहर नहीं जाने देती। किसी ने देवी को प्रसाद तो किसी ने ब्रह्मदेव के पास कथा सुनने की मन्नत मांगी है। ढांढस बंधा रहे मौके पर डटे परिवार के सदस्य अंकित के पिता सीताराम, राम सुंदर के पिता मनीराम, जय प्रकाश के पिता गन्नू, संतोष के भाई अशोक व बहनोई विष्णू, सत्यदेव के भाई महेश व राममिलन उत्तरकाशी में डटे हैं। मोतीपुरकला गांव में परिवार के सदस्य के वापस लौटने की आस देख रही संतोष की पत्नी अनारकली (दाएं) के साथ मां विदेशनी (मध्य में) व दादी चैनी (बाएं)- जागरण
मौके की स्थिति से परिवार को अवगत कराते हुए ढांढस बंधा रहे हैं। राज्य समन्वयक के तौर पर मौके पर मौजूद अरुण कुमार मिश्र ने बताया कि 40 मीटर तक खोदाई हो चुकी है। मजदूरों तक खाद्य सामग्री पहुंच रही हैं। सभी स्वस्थ हैं। बहुत जल्द खोदाई पूरी होगी और सभी को सुरक्षित घर लेकर लौटेंगे।
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मौके की स्थिति से परिवार को अवगत कराते हुए ढांढस बंधा रहे हैं। राज्य समन्वयक के तौर पर मौके पर मौजूद अरुण कुमार मिश्र ने बताया कि 40 मीटर तक खोदाई हो चुकी है। मजदूरों तक खाद्य सामग्री पहुंच रही हैं। सभी स्वस्थ हैं। बहुत जल्द खोदाई पूरी होगी और सभी को सुरक्षित घर लेकर लौटेंगे।