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Siddharthnagar: डिप्टी सीएमओ ने DM से बताई वायरल वीडियो की सच्चाई, कहा- बंद अस्पतालों को नाम बदलकर खुलवाते CMO

जिलाधिकाकी से मुलाकात कर डिप्टी सीएमओ डा. बीएन चतुर्वेदी व डा. एमएम त्रिपाठी ने वायरल वीडियो की हकीकत को बताया। इस दौरान सीएमओ पर कार्यालय से कई महत्वपूर्ण पत्रावली गायब करने व सीज अस्पतालों को खोलवाने का आरोप भी लगाया। दोनों ने कई दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा कि बंद अस्पतालों को खुलवाने के लिए सीएमओ ने उन पर भी दबाव डाला।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Sun, 10 Sep 2023 04:48 PM (IST)
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डिप्टी सीएमओ ने डीएम से बताई प्रसारित वीडियो की सच्चाई। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
सिद्धार्थनगर, जागरण संवाददाता। सौदेबाजी से संबंधित प्रसारित वीडियो के मामले में डिप्टी सीएमओ डा. बीएन चतुर्वेदी व डा. एमएम त्रिपाठी ने जिलाधिकारी से मुलाकात की है। दोनों चिकित्सकों ने प्रसारित वीडियो की सच्चाई से उन्हें अवगत कराया। दोनों ने सीएमओ डा. विनोद कुमार अग्रवाल पर सीधा आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि गलत तरीके से संचालित हो रहे अस्पतालों को वे बंद कराते थे और सीएमओ उन अस्पतालों को खुलवाते थे। उन्होंने बताया कि खुद का बचाव करने के लिए सीएमओ ने आफिस से कई पत्रावालियां गायब करवा दी है। दोनों ने कई दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा कि बंद अस्पतालों को खुलवाने के लिए सीएमओ ने उन पर भी दबाव डाला, लेकिन उन्होंने हस्ताक्षर नहीं किया।

नाम बदलकर खुलवा दिया अस्पताल

उन्होंने बताया कि सीएमओ ने उनके विरुद्ध तहरीर दी है। उन्हें परेशान करके वह मामले पर पर्दा डालना चाहते थे। दोनों चिकित्सकों ने बताया कि अवध हास्पिटल एक वर्ष पहले सील किया गया था। पूर्व सीएमओ ने संचालक के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराने के लिए निर्देशित किया था, लेकिन वर्तमान सीएमओ उनके आदेश को ही दबा गए और नाम बदलकर अस्पताल को खुलवा दिया।

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दोनों चिकित्साधिकारी निजी अस्पताल संचालक से नवीनीकरण के नाम पर वसूली करने का वीडियो प्रसारित होने के बाद सीएमओ की ओर से एसपी को दिए तहरीर से नाराज हैं। डा. चतुर्वेदी ने आरोप लगाया कि अवध हास्पिटल का पंजीकरण नाम बदल कर एएच हास्पिटल से किया गया। इसके प्रबंधक, सीएमओ और उनके अलावा इस प्रकरण से किसी का कोई लेना-देना नहीं है। मार्च-अप्रैल में सीएमओ ने इसका नोडल अधिकारी नामित करते हुए कहा था कि यहां बहुत अनियमितताएं हैं।

सीएमओ ने संचालक से मिलने के लिए कहा था। सीएमओ व संचालक आपस में लेनदेन को लेकर मुलाकात करते थे। एक लाख तो दूसरी बार 50 हजार रुपये दिए। जिसे उन्होंने खुद सीएमओ तक पहुंचाया था। यह सारे काम सीएमओ की दबाव में किये गए थे। डिप्टी सीएमओ डा. एमएम त्रिपाठी ने कहा कि मेरा इस प्रकरण से कोई लेना-देना नहीं है। अस्पतालों व अल्ट्रासाउंड पंजीकरण से पहले जांच की रिपोर्ट सीएमओ कार्यालय से गायब हो चुकी है। सीएमओ के निर्देश पर कई अस्पताल का सील तोड़कर संचालन किया जा रहा है। डीएम ने कहा कि एक से दो दिन के भीतर जांच पूरी हो जाएगी। जिसका भी दोष होगा उसके विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

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