बुद्ध के घर से काशी के होटलों तक महकेगा काला नमक, इरी वाराणसी व सिद्धार्थनगर जिला प्रशासन ने बनाई ये योजना
काला नमक चावल को देश-विदेश में पहचान दिलाने के लिए जिला प्रशासन ने पहल शुरू कर दी है। इसके लिए वाराणसी गोरखपुर व कुशीनगर के जिला प्रशासन से पत्राचार कर सहयोग मांगा जाएगा। इरी वाराणसी व जिला प्रशासन ने काला नमक को पहचान दिलाने की योजना तैयार की है।
By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Tue, 29 Nov 2022 04:00 PM (IST)
सिद्धार्थनगर, जागरण संवाददाता। बुद्ध के घर कपिलवस्तु से लेकर काशी के होटलों तक काला नमक की महक फैलेगी। इसके लिए इरी (अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र) वाराणसी व जिला प्रशासन ने कार्ययोजना बनाई है। काला नमक चावल को देश व प्रदेश में पहचान दिलाने की पहल शुरू की है। पहले चरण में गोरखपुर, कुशीनगर और वाराणसी के जिला प्रशासन से पत्राचार करके सहयोग मांगा जाएगा। जिला विकास अधिकारी के स्तर से यह पत्र जारी होगा। इन शहरों के बड़े होटलों के मेन्यू में बासमती के साथ काला नमक चावल को भी शामिल किया जाएगा। एक जिला एक उत्पाद में काला नमक चावल चयनित है।
इरी व जिला प्रशासन की पहल पर शुरू होगा काम
इरी व जिला प्रशासन की पहल पर यह काम शुरू किया जाएगा। इरी की टीम ने जनपद का दौरा करने के बाद अधिकारियों से वार्ता की। काला नमक चावल के स्वाद से सभी को रुबरू कराने पर चर्चा की। पंजाब व हरियाणा की तर्ज पर होटलों में काला नमक चावल परोसने पर सभी ने सहमति जताई। पंजाब व हरियाणा के होटलों में वहां पर पैदा होने वाला बासमती चावल मिलता है।
बौद्ध पर्यटकों को ध्यान में रखकर तैयार हुई योजना
गौतम बुद्ध काल से काला नमक चावल का इतिहास मिलता है। बौद्धस्टि राष्ट्र में इस चावल को बुद्ध का प्रसाद के रूप में जाना जाता है। इरी की टीम ने इसे ध्यान में रखते हुए प्रस्ताव तैयार किया। बौद्ध पर्यटकों का बड़ा दल वाराणसी के सारनाथ में आता है। यह कुशीनगर में दर्शन करने के बाद गोरखपुर में विश्राम करते हैं। वहीं सिद्धार्थनगर के होटल संचालकों के साथ प्रशासन बैठक करने की तैयारी शुरू कर दी है। इरी की टीम इससे पहले काला नमक चावल के आटा से ब्रेड, कुकीज, बिस्कुट बनाने का प्रयोग कर चुका है। जिसे अपेक्षित सफलता भी मिली है।क्या कहते हैं वैज्ञानिक
वैज्ञानिक इरी वाराणसी डा. सौरभ बदोनी ने कहा कि वैज्ञानिक टीम के साथ सिद्धार्थनगर जनपद का दौरा किया। खेतों में तैयार फसल को भी देखा। काला नमक चावल में नैसर्गिक सुगंध है। यह चावल पकने के बाद मुलायम होता है और सुपाच्य भी है। इसका सेवन मधुमेह के रोगी भी कर सकते हैं। इन्हीं खूबियों को ध्यान में रखते हुए कार्ययोजना तैयार की गई है।
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