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झोपड़ी में रहने वाली महिलाओं पर लाखों का लोन, बैंककर्मी पहुंचे तो हुआ चौंकाने वाला खुलासा; घरवालों के भी उड़े होश

यूपी के सिद्धार्थनगर में हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां भूमिहीन और झोपड़ी में रहने वाली महिलाओं के नाम पर लाखों रुपए का लोन हो गया और उन्‍हें पता ही नहीं चला। इन मह‍िलाओं के घर जब बैंक वाले कर्जा वसूली के लिए पहुंचे तो इनके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। पुलिस में शिकायत करने के बाद मामले की जांच शुरू हुई।

By jitendra n pandey Edited By: Vinay Saxena Updated: Tue, 25 Jun 2024 11:18 AM (IST)
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बैंक वाले कर्जा वसूली के लिए पहुंचे तो मह‍िलाओं के पैरों तले खिसक गई जमीन।- सांकेत‍िक तस्‍वीर

जागरण संवाददाता, सिद्धार्थनगर। यूपी के सिद्धार्थनगर में बर्डपुर ब्लॉक की रहने वाली महिलाओं को पता ही नहीं कि उनके नाम पर लाखों रुपए का कर्जा है। यह महिलाएं भूमिहीन और झोपड़ी में रहती हैं। बर्डपुर नंबर 11 के टोला पिपरी की रहने वाली पूनम पत्नी मनोज के घर जब बैंक वाले कर्जा वसूली के लिए पहुंचे तो इनके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई।

पूनम के नाम पर 30 से 35 हजार रुपए के 15 लोन हैं। इसी गांव की मंहती पत्नी उदयराज के नाम पर नौ माइक्रो फाइनेंस बैंकों से लोन ले लिया गया है। पुलिस में शिकायत करने के बाद मामले की जांच शुरू हुई। जांच में सामने आया कि दो किलोमीटर के दायरे में स्थित चार गांव की 16 महिलाओं के नाम पर लोन निकाल लिया गया है और इन्हें पता भी नहीं है।

राष्ट्रीकृत बैंकों की भी भूमिका संदिग्ध

इस प्रकरण में राष्ट्रीकृत बैंकों की भी भूमिका संदिग्ध है। लोन का पैसा खाता में आने के बाद महिलाओं को पता भी नहीं चला और दो से तीन बार में पूरा पैसा निकल गया। ठगी का शिकार हुई महिलाओं ने इसकी शिकायत जब पुलिस से की तो पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर इस प्रकरण में बरगदही गांव की अनीता व सीएचसी संचालक सोमनाथ को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया।

पुलिस का दावा है कि आरोपित महिला ही बहला-फुसला कर खाता खुलवाती थी। सीएचसी संचालक के यहां से बिना खाताधारक के आए ही रुपए निकलता था।

ऐसे बनाते हैं महिलाओं को ठगी का शिकार

ग्रामीण महिला को स्वयं सहायता समूह गठित कर योजना का लाभ देने का प्रलोभन दिया जाता है। इसके बाद संबंधित महिला के नाम पर पहले राष्ट्रीयकृत बैंक में खाता खोलते हैं। खाता खुलने के बाद माइक्रो फाइनेंस कंपनी से उसके नाम पर ऋण भी निकाल लिया जाता है। एक-एक महिला के नाम पर 15-15 माइक्रो फाइनेंस बैंकों से ऋण निकाला जाता है। पुलिस ने माइक्रो फाइनेंस कंपनी से पूछा है कि किस आधार पर स्वयं सहायता समूह का ऋण स्वीकृत किया। जबकि एक नाम पर पहले ऋण हो जाता है तो दूसरी कंपनी पूरी तरह से पड़ताल करने के बाद ही अग्रिम कार्रवाई करती है। ऋण लेने वाले की बाजार और बैंक में साख की जांच भी की जाती है।

पुलिस ने मांगा जमानतदार और केवाइसी से संबंधित प्रपत्र

मामले की जांच कर रहे पुरानी नौगढ़ पुलिस चौकी के प्रभारी अनूप मिश्रा ने बताया कि पुलिस ने माइक्राे फाइनेंस कंपनी से खाता खोलते समय जमा सभी प्रपत्रों को उपलब्ध कराने के लिए कहा है। जमानतदारों के नाम की भी सूची मांगी है। सूची मिलने के बाद जमानतदारों का मिलान किया जाएगा।

वहीं राष्ट्रीयकृत बैंक से खाता के जमानतदार और केवाइसी (नो योर कस्टमर) से संबंधित प्रपत्र भी उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है। अभी तक राष्ट्रीयकृत बैंक की पांच शाखा ने प्रपत्र उपलब्ध करा दिए हैं। दो बैंक शाखा से पत्रावली नहीं मिली है। पांच बैंक से इन महिलाओं के नाम करीब 35 लाख रुपये का लोन कराने के बाद निकाल लिया गया है। इस रकम के बढ़ने की पूरी संभावना है।

इस प्रकरण में ग्रामीण महिलाओं ने शिकायत दर्ज कराई थी। मामले की विवेचना कर रहे एसआइ को निर्देशित किया गया है कि पूरी पारदर्शिता के साथ जांच करें। इस मामले में किसी की भी संलिप्तता मिलती है, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।-  प्राची सिंह,  पुलिस अधीक्षक

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