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नेपाल सीमा पर तेजी से बढ़ रही मदरसों की संख्या, तीन वर्षों में 25 फीसदी की दर से हो रही बढ़ोतरी; ISI कर रही फंडिंग

नेपाल सीमा के 15 किलोमीटर के दायरे में मदरसों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इन मदरसों से अब हिंदू विरोधी स्वर भी उठना शुरू हो गए हैं। पाल के मधेश क्षेत्र को बीते तीन माह में इन्हीं अराजकतत्वों के चलते सांप्रदायिक हिंसा व तनाव से जूझना पड़ा है। आईएसआई नेपाल में तबलीगी जमातों की यात्राएं भी आयोजित करा रहा है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां भी इसे लेकर चौकन्नी हैं।

By Jagran NewsEdited By: Jeet KumarUpdated: Sun, 22 Oct 2023 06:45 AM (IST)
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मदरसों के जरिये नेपाली मुसलमानों में प्रभाव बढ़ा रही आईएसआई

जितेन्द्र पाण्डेय, सिद्धार्थनगर। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई मदरसों के जरिये नेपाल के मुसलमानों में अपना प्रभाव बढ़ा रही है। वह इसके लिए नेपाल के मदरसों को फंडिंग भी कर रही हैं। पिछले तीन वर्षों में नेपाल सीमा के 15 किलोमीटर के भीतर बढ़ीं मदरसों की संख्या को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। इन मदरसों से अब हिंदू विरोधी स्वर भी उठना शुरू हो गए हैं।

भारतीय सुरक्षा एजेंसियां चौकन्नी

नेपाल के मधेश क्षेत्र को बीते तीन माह में इन्हीं अराजकतत्वों के चलते सांप्रदायिक हिंसा व तनाव से जूझना पड़ा है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां भी इसे लेकर चौकन्नी हैं। वह सीमाई क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने में जुट गई हैं। नेपाल की पांच प्रतिशत से अधिक आबादी मुसलमानों की है। इनमें से करीब 97 प्रतिशत भारत के अधिक आबादी वाले राज्यों उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा से लगे तराई क्षेत्र में रहते हैं।

सीमा-पार पारिवारिक संबंध व्यापक हैं। इसमें मुस्लिम आबादी का एक बड़ा हिस्सा कृषि और छोटे व्यापार में लगा हुआ है। 1990 के दशक में भारत-नेपाल सीमा के दोनों किनारों पर सऊदी अरब और इस्लामिक संगठनों की वित्तीय सहायता के चलते मस्जिदों और मदरसों की बढ़ी। यह क्रम जारी रहा।

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50 से अधिक नई मस्जिदों और मदरसों का निर्माण हो गया

1991 से 1995 तक नेपाल के सीमाई जिले रूपनदेही, कपिलवस्तु, बांके और बर्दिया में 50 से अधिक नई मस्जिदों और मदरसों का निर्माण हो गया। आईएसआई भी तराई में मस्जिदों और मदरसों के निर्माण के वित्तपोषण में शामिल हो गई। सऊदी अरब, इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक और मुस्लिम वर्ल्ड लीग द्वारा काठमांडू में पाकिस्तान के दूतावास के माध्यम से इस तरह के निर्माण के लिए धन भेजने के उदाहरण भी मीडिया में सार्वजनिक हो चुके हैं।

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आईएसआई नेपाल में तबलीगी जमातों की यात्राएं भी आयोजित करा रहा है। आईएसआई की इन गतिविधियों के चलते नेपाल के जमात-ए-मिल्ली-ए-इस्लामिया (जेएमआई), नेपाल इस्लामिक युवा संघ (एनआईवाईएस) और नेपाल मुस्लिम इत्तेहाद संघ (एनएमआईएस) जैसे महत्वपूर्ण मुस्लिम संगठनों के साथ संरक्षक जैसे संबंध स्थापित करने में मिल चुकी है।

आईएसआई अब इन संबंधों का उपयोग भारत से सटे नेपाल के सीमाई क्षेत्र में सांप्रदायिक हिंसा में करने लगी है। अगस्त माह में कोशी के धरान में, सितंबर में सर्लाही जिले के मलंगवा व अक्टूबर में बांके जिले के नेपालगंज में हिंसक घटनाएं हुईं।

तीन वर्षों में 43 प्रतिशत की दर से बढ़ रहे मदरसे

पुलिस और सुरक्षा बल के जवान सीमा इस पार व उस पार के मदरसों की गतिविधियों का आकलन करने में जुट गए हैं। भारत-नेपाल की सीमा में 15 किलोमीटर के दायरे में इस बीच तीन सालों में बढ़ी मदरसों की संख्या से भी अफसर चौकन्ने हैं। सितंबर 2018 में नेपाल सीमा से सटे भारतीय क्षेत्र के 15 किलोमीटर के दायरे में मदरसों की संख्या 501 थी। वहीं सितंबर 2021 में मदरसों की संख्या बढ़कर 623 हो गई है। ऐसी स्थिति नेपाल में भी है। वहां 43 प्रतिशत की दर से मदरसों की संख्या में इजाफा हो रहा है।

ग्रामीणों से संवाद की डोर मजबूत कर रही पुलिस

मदरसों में मिल रही लगातार संदिग्ध गतिविधियों के इनपुट पर सक्रिय हुए पुलिस व सुरक्षा बल ने आपरेशन कवच चलाने का निर्णय लिया गया है। इस अभियान के तहत नेपाल से सटे उत्तर प्रदेश के 570 किलोमीटर के सीमावर्ती इलाके में पुलिस व सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के जवानों ने संयुक्त गश्त शुरू कर दी है। दोनों सुरक्षा एजेंसियां आपस में सूचनाओं का आदान-प्रदान कर रही हैं। ग्रामीणों के साथ बैठककर सुरक्षा एजेंसियां आपस में संवाद कर रही हैं। ताकि उनके साथ बेहतर सामंजस्य बनाकर एक-एक गतिविधियों पर निगाह रखी जा सके।

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मदरसों में मिला था आतंकी छोटू को संरक्षण

नेपाल सीमा से आतंकियों का गहरा रिश्ता रहा है। महराजगंज जिले की सोनौली सीमा से पूर्व में मुंबई बम धमाकों के आरोपित याकूब मेनन व टाइगर मेनन नेपाल भागने में कामयाब हुए थे। 5 मार्च 2010 को इंडियन मुजाहिद्दीन का खास सदस्य सलमान उर्फ छोटू सिद्धार्थनगर के बढ़नी बार्डर से पकड़ा गया था। छोटू की गिरफ्तारी के दौरान यह बातें प्रकाश में आई थीं कि उसे नेपाल सीमा के किसी मदरसे में पनाह मिली थी। मदरसों में आतंकियों को संरक्षण मिलने की बातें सामने आ चुकी हैं। वर्ष 2010 में ही बब्बर खालसा ग्रुप के खास सदस्य माखन सिंह भी बढ़नी से पकड़ा गया था।