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बचकर चलें, जान ले लेंगी यहां की सड़कें- तीन वर्ष में यहां हो चुकी हैं 160 मार्ग दुर्घटनाएं

सिद्धार्थनगर में बीते तीन वर्ष में पांच से अधिक मार्ग दुर्घटनाएं हुई हैं। पुलिस ने इस वर्ष मई के पहले 11 स्पाट चिन्हित किया था। दोबारा ब्लैक स्पाट चिन्हित किया गया तो यह संख्या बढ़कर 28 पहुंच गयी।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Updated: Wed, 26 Oct 2022 12:12 AM (IST)
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सिद्धार्थनगर की जर्जर सड़कें लोगों की जान ले रही हैं। - प्रतीकात्मक तस्वीर

जागरण संवाददाता, सिद्धार्थनगर। मार्ग दुर्घटना रोकने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है, पर जिले में 28 ऐसी जगह हैं। जहां वाहन दुर्घटना में सर्वाधिक मृत्यु हो रही है। इसे ब्लैक स्पाट के तौर पर चिन्हित किया जा चुका है। यह ऐसी जगह हैं, जहां तीन वर्ष में पांच से अधिक मार्ग दुर्घटनाएं हुई हैं। पुलिस ने इस वर्ष मई के पहले 11 स्पाट चिन्हित किया था। दोबारा ब्लैक स्पाट चिन्हित किया गया तो यह संख्या बढ़कर 28 पहुंच गयी।

ब्लैक स्पाट ले रहे राहगीरों की जान

अप्रैल माह में पुलिस ने अभियान चलाकर सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाए जाने के लिए क्षेत्राधिकारी यातायात अखिलेश वर्मा की देखरेख में हाट स्पाट चिन्हित किया था। उन्होंने 17 नए ब्लैक स्पाट चिन्हित किए हैं। ब्लैक स्पाट उसे कहते हैं जहां पर विगत तीन वर्ष में सर्वाधिक मार्ग दुर्घटनाएं हुई हों। साथ ही 10 लोगों की जान गई हो। चिन्हित स्थलों पर 160 से अधिक दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। इसमें 90 लोगों को जान गंवानी पड़ी है। उपरोक्त सभी 24 स्थलों पर दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र के बोर्ड लगाने, गति सीमा बोर्ड लगाने, लिंक रोड पर स्पीड ब्रेकर बनवाने, कैट आई, सोलर ब्लिंकर, सफेद पट्टी, जेबरा क्रासिंग तथा फुटपाथ को सड़क के बराबर कराए जाने के लिए पीडब्ल्यूडी व एनएचआई को पत्र लिखा गया है, पर स्थिति जस की तस बनी हुई है। आज भी इन स्थानों पर संकेतक नहीं लगाए गए।

इन खामियों से होती है दुर्घटनाएं

बार-बार सड़क दुर्घटनाएं होने के कारण सड़क के फुटपाथ का सड़क के बराबर ना होना , तीव्र मोड़,लिंक रोड का मिलना और ओवर स्पीड का होना रहता है।

तीन स्थानों पर लगाया है संकेतक

चिन्हित 28 स्थलों में से सिर्फ मधवापुर मोड़, मड़वा मोड, परासिया विशुनपुर ब्लैक स्पाट पर संबंधित विभाग की ओर से दुर्घटना बहुल क्षेत्र के संकेतक बोर्ड व अन्य उपाय किए गए हैं, जबकि पकड़ी चौराहा, उसकी, सूपाराजा, सोनवल, करौंदा मसिना, परसा भदवरिया, जोगिया, सनई, परसा महापात्र, गड़ाकुल, जिगिनियहवा, इटवा कस्बा, तिलौली, सोनखर, महोखवा, करही और पननी में दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र होने के बावजूद जरूरी उपाय नहीं किया गया है।

यह भी गंवा चुके हैं जान

जोगिया कस्बे के व्यापारी रहे कन्हैया जयसवाल, मसिना निवासी रहे बुझारत,छांगुर प्रसाद,सैयद अली आदि भी इसी स्थल के आसपास हुई जगह पर जान गंवा चुके हैं, जहां सात लोगों की जान अप्रैल माह में मसिना के पास मार्ग दुर्घटना में जा चुकी है।

यह हो चुके हैं घायल

जोगिया गांव के निवासी रजनीकांत यादव और मसिना गांव के निवासी भग्गन प्रजापति इसी स्थल पर घायल हो चुके हैं। संयोग ठीक रहा कि सभी की जान बच गई।

मार्ग दुर्घटना रोकने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। अप्रैल में नए हाट स्पाट चिन्हित किये गए हैं। सभी स्थानों पर दुर्घटना रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। खामियों को दूर कराया जाएगा। - देवी गुलाम, सीओ यातायात।

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