श्रीकृष्ण ने कालिया नाग को यमुना छोड़ने पर किया विवश
महादेव गजपुर में चल रही रासलीला में वृंदावन के कलाकारों ने शानदार प्रस्तुति दी। सुंदर झांकी से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। श्रीकृष्ण ने कालिया नाग को यमुना छोड़ने पर विवश करने का सजीव मंचन दिखाया तो दर्शक जय कन्हैया लाल के जयघोष करने को विवश हुए।
सिद्धार्थनगर : महादेव गजपुर में चल रही रासलीला में वृंदावन के कलाकारों ने शानदार प्रस्तुति दी। सुंदर झांकी से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। श्रीकृष्ण ने कालिया नाग को यमुना छोड़ने पर विवश करने का सजीव मंचन दिखाया तो दर्शक जय कन्हैया लाल के जयघोष करने को विवश हुए।
कलाकारों ने दिखाया कि कालिया नाग पन्नग जाति का नागराज था। वह पहले रमण द्वीप में निवास करता था। लेकिन पक्षीराज गरुड़ से शत्रुता हो जाने के कारण वह यमुना नदी में रहने लगा। उसके विष के प्रभाव यमुना नदी में फैलने लगा। श्रीकृष्ण उसके विष से परिचित थे। एक दिन अपने सखाओं के साथ गेंद खेलते हुए कृष्ण ने सखा की गेंद यमुना में फेंक दी। वह मित्र गेंद वापस लाने के लिए जिद करने लगा। सभी सखाओं के समझाने पर भी जब वह नहीं माना तो फिर कृष्ण कदंब के पेड़ पर चढ़ गए और यमुना में छलांग लगा दी। कालिया नाग को चेतावनी दी कि अब निर्दोष प्राणियों पर होने वाले अत्याचारों का समय समाप्त हो चुका है। तब नाग ने कृष्ण को एक साधारण बालक समझकर अपनी कुंडली में दबोच लिया। उन पर भयंकर विष की फुफकारें छोड़ने लगा, लेकिन उसको कोई असर नहीं दिखा। फिर कृष्ण उछलकर कालिया नग के फनों पर चढ़ गए और उस पर पैरों से प्रहार करने लगे। नर-नारियों ने देखा कि भगवान श्रीकृष्ण के एक हाथ में बांसुरी थी और दूसरे हाथ में वह गेंद थी, जिसे लेने वह यमुना में कूदे थे। इसके बाद कालिया नाग हमेशा के लिए यमुना नदी से दूर चला गया। इन्द्रजीत उपाध्याय, जगराम, कौशल, सूरज, राम निवास, अशर्फी लाल, कृष्णा, जग्गीलाल, सुनील, भागमन आदि उपस्थित रहे। श्रवण कुमार की कथा सुन भावुक हुए श्रद्धालु
चौखड़ा में चल रही प्राचीन रामलीला कार्यक्रम में मंगलवार की रात कलाकारों ने दिखाया कि श्रवण कुमार अपने माता पिता को तीर्थयात्रा पर ले जाते हैं। माता-पिता उनसे जल लाने के लिए कहते हैं। जब वह जल लेने के लिए जाते हैं तो शिकार को खोज कर रहे राजा दशरथ उन्हें मृग समझ कर मार देते हैं। सत्यता जानने के बाद स्वयं जल लेकर उनके माता-पिता के पास जाते हैं। सारा वृतांत बताते हैं। श्रवण कुमार के माता पिता राजा दशरथ को श्राप देते हैं कि तुम्हारी भी वही दशा होगी जो आज मेरी पुत्र वियोग में हुई। इधर राजा दशरथ गुरु वशिष्ट से पुत्र न होने की चिता जताते हैं। सलाह पर राजा दशरथ यज्ञ करते हैं। अग्नि देव प्रसन्न होकर उन्हें खीर देते हैं और कहते हैं कि ले जाओ अपने रानियों को खिला दो। इससे राजा को चार पुत्र होते हैं। जिनका नाम करण गुरु वशिष्ट करते हैं। इस मौके पर संजय उपाध्याय, अरुण कुमार सिंह, पप्पू सिंह, मंगल हलवाई, भारत यादव, जुगल किशोर, गोपाल, बजरंग मिश्रा, जयशंकर मिश्रा ,रामदेव, सुरेश, गुड्डू यादव, धर्मराज आदि उपस्थित रहे।