परिवहन निगम का सिद्धार्थनगर डीपो बसों के मामले में काफी गरीब है। बांसी रोडवेज से यात्रियों को जिला मुख्यालय भेजने के लिए उसके पास बसों का अकाल है। सुबह नौ बजे लेकर दोपहर दो बजे तक व शाम छह बजे के बाद रोडवेज की कोई बस ही नहीं है। चिलचिलाती धूप में यात्री परेशान हो रहे हैं और प्राइवेट वाहन चांदी काटते हैं।
जागरण संवाददाता, बांसी। परिवहन निगम का सिद्धार्थनगर डीपो बसों के मामले में काफी गरीब है। बांसी रोडवेज से यात्रियों को जिला मुख्यालय भेजने के लिए उसके पास बसों का अकाल है। सुबह नौ बजे लेकर दोपहर दो बजे तक व शाम छह बजे के बाद रोडवेज की कोई बस ही नहीं है।
चिलचिलाती धूप में यात्री परेशान हो रहे हैं और प्राइवेट वाहन चांदी काटते हैं।
बांसी में स्थापित परिवहन निगम का बस स्टेशन काफी पुराना है। इस पर इटवा, डुमरियागंज तहसील व जिला मुख्यालय के अलावा गोरखपुर, बस्ती, लखनऊ तक के यात्रियों का दबाव रहता है।
बस्ती, डुमरियागंज व इटवा के नौकरी पेशा व आम यात्री प्रतिदिन इस बस स्टेशन से जिला मुख्यालय को जाते हैं। अफसोस इन्हें जिला मुख्यालय पहुंचाने के लिए परिवहन निगम के सिद्धार्थनगर डीपो के पास बसें ही पर्याप्त नहीं है। लोग प्राइवेट साधन से 32 की जगह पचास से साठ रुपये किराया देकर मुख्यालय तक जाते हैं।
यात्री ने सुनाई आपबीती
अमरनाथ का कहना है कि हम कल ही बांसी में शाम को फंस गए। पांच यात्री और भी हमारे साथ थे। दो हजार रुपये एक बोलेरो वाले ने हम छह लोगों से जिला मुख्यालय छोड़ने का लिया। तनवीर ने कहा कि हम लोग व्यापारी हैं अक्सर जिला मुख्यालय जाना होता है।
यदि सुबह नौ बजे के बाद रोडवेज पर पहुंचते हैं तो कोई बस जिला मुख्यालय के लिए नहीं होती है।
पंत मोदनवाल का कहना था कि हमारा जिला मुख्यालय पर कलेक्ट्रेट के सामने होटल है। बस न मिलने से प्राइवेट वाहन का सहारा लेना पड़ता है। 32 रुपये की जगह वह सब पचास रुपये किराया वसूलते हैं। श्रीप्रकाश सिंह ने कहा कि परिवहन निगम को चाहिए कि वह तीन-चार बसे जिला मुख्यालय से बांसी के लिए चलाए।
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