अब राशन कार्ड के लिए ई-केवाईसी कराने के लिए अपने गाँव जाने की जरूरत नहीं है। आप जहाँ काम कर रहे हैं वहीं की नजदीकी सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान पर जाकर ई-केवाईसी करा सकते हैं। ई-केवाईसी के दौरान राशन कार्ड के मुखिया की ओर से मोबाइल नंबर और राशन कार्ड में मुखिया से संबंध आदि की जानकारी भी देनी होगी।
जागरण संवाददाता, सीतापुर। रोजी-रोटी के लिए गांव को छोड़कर दूसरे प्रदेशों में काम करने वाले लोगों को राशन कार्ड का ई-केवाइसी (eKYC) कराने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। अब उन्हें अपना काम छोड़कर सिर्फ ई-केवाइसी के लिए अपने गांव आने की जरूरत नहीं है। वह जहां काम कर रहे हैं, वहीं की नजदीकी सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान पर जाकर ई-केवाइसी करा सकते हैं।
जिला पूर्ति अधिकारी अखिलेश श्रीवास्तव ने बताया कि अब उपभोक्ता अपनी सुविधा के मुताबिक कोटेदार से संपर्क कर ई- केवाइसी करा सकेंगे। बस उन्हें नजदीकी राशन के दुकान पर जाना है। राशन कार्ड की ई-केवाईसी करने के लिए जरूरी दस्तावेज में धारक के पास राशन कार्ड नंबर व आधार होना अनिवार्य है, ताकि बायोमेट्रिक वेरीफिकेशन (मशीन में अंगुली लगाना या पुतलियों का प्रिंट लिया जाना) किया जाएगा।
यह प्रक्रिया होने के बाद ई-केवाइसी डाटा विभागीय सर्वर पर संकलित कराया जाएगा। जिन लाभार्थियों का बायोमीट्रिक (अधिकतम 4 प्रयास, जिसमें तीन प्रयास फिंगर प्रिंट तथा अंतिम प्रयास आइरिस सम्मिलित है) एक दिन में असफल होते हैं, उन्हें ई-केवाईसी के लिए अग्रिम तीन माह में कभी भी दोबारा बायोमेट्रिक करने का विकल्प रहेगा।
उन्होंने बताया कि प्रदेश के ऐसे लाभार्थी हैं जो किसी अन्य प्रदेश में ई-केवाईसी करते हैं तथा अन्य प्रदेशों के लाभार्थी, जो इस प्रदेश में ई-केवाइसी के लिए बायोमेट्रिक करते हैं। उनके ई-केवाइसी डाटा का सत्यापन और अपडेशन भारत सरकार की ओर निर्गत निर्देशों के अधीन होगा।
ई-केवाईसी अभियान के दौरान राशनकार्ड के मुखिया की ओर से मोबाइल नंबर और राशनकार्ड में मुखिया से संबंध आदि की जानकारी भी देनी होगी। सत्यापन के दौरान ऐसे लाभार्थी जो अन्य प्रदेशों में निवास कर रहे हैं, उनकी ई-केवाइसी उसी प्रदेश में ही की जा सकेगी। ई-केवाइसी के लिए उनको अपने राज्य में आने की कोई बाध्यता नहीं है।
जिले के पांच लाख लोगों की दौड़ बचेगी
जिले में साढ़े आठ लाख के करीब पात्र गृहस्थी और अन्त्योदय कार्ड धारक हैं। इनमें 33 लाख से अधिक यूनिट हैं। इनमें से करीब पांच लाख लोग हरियाणी, दिल्ली, लुधियाना समेत उत्तराखंड के औद्योगिक नगरों में प्रवास करके काम करते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर ई-केवाइसी की सुविधा मिलने से उन्हें घर की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी।
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