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Lok Sabha Election 2024 : कभी थे साथ अब करेंगे दो-दो हाथ, सीतापुर सीट पर दिलचस्प है मुकाबला- यह है अहम वजह

कांग्रेस प्रत्याशी राकेश राठौर ने भी अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बसपा से ही की थी। उन्हें भी पहले चुनाव में राजेश वर्मा की तरह सपा प्रत्याशी से शिकस्त मिली थी। 2007 में सीतापुर सदर से बतौर बसपा प्रत्याशी मैदान में उतरे राकेश राठौर को 41849 मत मिलने के बावजूद सपा प्रत्याशी राधेश्याम जायसवाल से 1867 मतों से चुनाव हार गए थे।

By Jagdeep Shukla Edited By: Mohammed Ammar Updated: Tue, 09 Apr 2024 12:58 AM (IST)
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Lok Sabha Election 2024 : कभी थे साथ अब करेंगे दो-दो हाथ

कहा जाता है कि राजनीति में कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता। यह बात सीतापुर संसदीय क्षेत्र में सच साबित हो रही है। इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के प्रत्याशी पूर्व में एक साथ बसपा में रह चुके हैं। अबकी बार दोनों ही आमने-सामने होंगे।

बसपा से राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले भाजपा प्रत्याशी राजेश वर्मा और कांग्रेस प्रत्याशी राकेश राठौर ने राजनीति का रुख भांपते हुए बसपा से किनारा किया। राजेश वर्मा ने दिल्ली की राह आसान बनाने के लिए भाजपा को चुना तो लखनऊ के लिए राकेश राठौर ने भी इसी दल में पनाह ली। राजेश जहां दो बार 2014 और 2019 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर संसद पहुंचे तो 2017 में राकेश राठौर भी सीतापुर सदर से इसी दल से विधायक चुने गए।

वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में टिकट कटा तो वह सपाई हो गए। 2023 के नगर निकाय चुनाव में टिकट न मिलने पर वह चुनाव बाद कांग्रेसी हो गए। कभी एक साथ रहने वाले राजेश और राकेश अब एक-दूसरे से दो-दो हाथ करने को चुनावी मैदान में हैं। दोनों दलों के प्रत्याशियों के राजनीतिक करियर पर जगदीप शुक्ल की रिपोर्ट

बसपा में हार से शुरू हार पर सिमटी राजेश की पारी भाजपा प्रत्याशी राजेश वर्मा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1996 में बसपा से की थी। उन्होंने बेहटा (अब सेउता) विधानसभा क्षेत्र से बसपा प्रत्याशी के रूप में किस्मत आजमाई, लेकिन उन्हें सपा के महेंद्र कुमार सिंह से शिकस्त मिली।

इसके बाद वह वर्ष 1999 व 2004 में बसपा से सांसद चुने गए। 2009 में पार्टी ने उन्हें धौरहरा से मैदान में उतारा जहां कांग्रेस के प्रत्याशी रहे जितिन प्रसाद ने पराजित किया। इसके बाद वह 2013 में भाजपा में शामिल हो गए और 2014 से लगातार दो बार सांसद चुने जाने के बाद तीसरी बार चुनाव मैदान में हैं।

पहले चुनाव में राकेश को भी मिली हार

कांग्रेस प्रत्याशी राकेश राठौर ने भी अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बसपा से ही की थी। उन्हें भी पहले चुनाव में राजेश वर्मा की तरह सपा प्रत्याशी से शिकस्त मिली थी। 2007 में सीतापुर सदर से बतौर बसपा प्रत्याशी मैदान में उतरे राकेश राठौर को 41,849 मत मिलने के बावजूद सपा प्रत्याशी राधेश्याम जायसवाल से 1,867 मतों से चुनाव हार गए थे। इस चुनाव में राधेश्याम जायसवाल को 43,716 मत मिले थे।

वर्ष 2013 में भाजपा में शामिल हुए और 2017 के विधानसभा चुनाव में राधेश्याम जायसवाल को शिकस्त देकर अपनी पिछली हार का हिसाब चुकता किया। बयानों के चलते पार्टी ने उनका 2022 में टिकट काटा तो वह साइकिल पर सवार हो गए। 2023 में सीतापुर नगर पालिका चेयरमैन पद के लिए पत्नी नीलकमल राठौर की दावेदारी की। सिंबल न मिलने पर निर्दल चुनाव लड़वाया और 12 हजार से अधिक मत हासिल किए।

बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए और प्रदेश महासचिव की जिम्मेदारी मिली। अब लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने उन्हें प्रत्याशी बनाया है। एक साथ भाजपा में शामिल हुए थे राजेश-राकेश बसपा में ही नहीं भाजपा में भी राजेश वर्मा व राकेश राठौर वर्ष 2013 में साथ-साथ शामिल हुए। भाजपा ने भी दोनों को मौका दिया। राजेश को 2014 व 2019 में लोकसभा भेजा तो 2017 में राकेश राठौर को विधानसभा में प्रतिनिधित्व का मौका दिया।

कुल मतदाता -17,47,932

महिला -8,18,167

पुरुष - 9,29,689

युवा - 8,39,531

अन्य-76

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