Madurai Train Fire: पर्दे में चलता था किचन, किसी को नहीं थी जाने की अनुमति; हादसे से बचे लोगों ने बताई सच्चाई
Madurai train fire निजी पार्टी कोच में संचालित कोच में तरह-तरह के व्यंजन पकाए जाते थे। यात्रियों को नाश्ते में ब्रेड पकौड़ा हलवा चाय काफी आदि परोसी जाती थी। खाने में पूड़ी सब्जी दाल चावल आदि की व्यवस्था रहती थी। अधिकांश सामग्री कोच संचालित किचेन में ही पकाई जाती थी। कभी-कभार ही पैकेट बंद भोजन बाहर से मंगाया जाता था। यह सिलसिला हादसा होने तक चलता रहा।
Madurai train fire: जगदीप शुक्ल, सीतापुर | मदुरै हादसे के शिकार तीर्थयात्री शुरुआत से ही मौत के साए में थे। कोच में आठ बर्थ और शौचालय को मिलाकर संचालित किए जा रहे अवैध किचेन में ज्वलनशील पदार्थों की भरमार थी। घटना के बाद कोच से सिलेंडर और स्टोव निकला तब इसकी जानकारी हो पाई।
वैसे ट्रैवेल एजेंसी संचालक किसी को किचेन में घुसने नहीं देते थे और उसमें पर्दा भी डाल रखा था। यह बातें हादसे से बचकर घर लौटे यात्रियों ने जागरण से साझा करते हुए बताईं।
भसीन ट्रैवेल एजेंसी के संचालक हरीश भसीन 17 अगस्त को सीतापुर, लखनऊ, हरदोई और जनपदों के लगभग 65 यात्रियों को लेकर निजी पार्टी कोच से रामेश्वरम की यात्रा के लिए रवाना हुए थे। उन्होंने टूर पैकेज में नाश्ता और भोजन देने की भी सुविधा दी थी। इसके लिए उन्होंने कोच में ही एक अवैध किचेन बना रखा था।
किचेन में गैस सिलेंडरों के साथ ही एक बड़ा स्टोव भी था। हादसे से किसी तरह बचकर घर वापस आए शास्त्रीनगर मुहल्ले के आनंद प्रकाश त्रिपाठी औ उनकी पत्नी रजत रेखा त्रिपाठी ने बताया कि आग बुझने के बाद कोच से दो सिलेंडर और एक बड़ा स्टोव निकाले गए।
सीतापुर : मदुरै हादसे के बाद घर लौटे शास्त्री नगर के आनंद प्रकाश त्रिपाठी, रजत रेखा त्रिपाठी व नाती श्वेतार्क शुक्ल : जागरण
स्टोव की आवाज सुनकर यात्रियों ने कई बार किचेन में जाने की कोशिश की थी, लेकिन संचालक अपने कुछ कर्मचारियों के अलावा वहां किसी को जाने नहीं देता था। किचेन इलाके में पर्दा पड़ा था। रोटी गोदाम के धीरज गुप्ता ने बताया कि हादसे के बाद उन्होंने प्लेटफार्म पर सिलेंडर देखे थे।
नाश्ते में मिलते थे तरह-तरह के व्यंजन
निजी पार्टी कोच में संचालित कोच में तरह-तरह के व्यंजन पकाए जाते थे। यात्रियों को नाश्ते में ब्रेड पकौड़ा, हलवा, चाय, काफी आदि परोसी जाती थी। खाने में पूड़ी, सब्जी, दाल, चावल आदि की व्यवस्था रहती थी। अधिकांश सामग्री कोच संचालित किचेन में ही पकाई जाती थी।
कभी-कभार ही पैकेट बंद भोजन बाहर से मंगाया जाता था। यह सिलसिला हादसा होने तक चला, लेकिन न तो रेलवे के अधिकारियों और न हीं यात्रियों ने इस ओर ध्यान दिया।
अब रेलवे पीट रहा लकीर
हादसे के बाद रेलवे जांच के नाम पर लकीर पीट रही है। जीआरपी के अधिकारी यात्रियों के घर पहुंचकर बयान दर्ज कर रहे हैं। सोमवार को रोटी गोदाम मुहल्ले के धीरज गुप्त के घर जीआरपी के अधिकारी पहुंचे और हादसे की जानकारी ली। उन्होंने किचेन में मौजूद ज्वलनशील पादार्थों के बारे में भी पूछताछ की।