देवदेवेश्वर में बनेगा मियावाकी वन, पंचवटी और नवग्रह वाटिका
देवदेवेश्वर में बनेगा मियावाकी वन और पंचवटी और नवग्रह वाटिका
By JagranEdited By: Updated: Wed, 24 Aug 2022 12:23 AM (IST)
देवदेवेश्वर में बनेगा मियावाकी वन, पंचवटी और नवग्रह वाटिका
जितेंद्र अवस्थी, सीतापुरनैमिष के अरण्य स्वरूप को वापस लाने में जुटा वन विभाग देवदेवेश्वर में मियावाकी तर्ज पर वन की स्थापना करेगा। इसका प्रस्ताव भेजा जा चुका है। स्वीकृति मिलने के बाद काम भी जल्द शुरू हो जाएगा। मियावाकी वन के लिए भूमि चिह्नित कर विभाग ने प्रारंभिक तैयारियां भी शुरू दी हैं। प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) बृजमोहन शुक्ला ने बताया कि नैमिषारण्य को हरा-भरा बनाने की योजना तैयार कर प्रस्ताव मुख्यालय भेज दिया गया है। स्वीकृति मिलते ही काम शुरू कर दिया जाएगा।
यह है मियावाकी तकनीक :
मियावाकी तकनीक में आधे से एक फीट की दूरी पर पौधे रोपे जाते हैं। जीवामृत और गोबर खाद का इस्तेमाल किया जाता है। इस तकनीक में पौधे पास-पास लगाए जाते हैं। इससे मौसम का असर नहीं पड़ता और गर्मियों के दिनों में भी पौधे के पत्ते हरे बने रहते हैं। पौधों का विकास भी तेज गति से होता है।हरिशंकरी, नवग्रह और पंचवटी वाटिका बनेगी :
डीएफओ ने बताया कि देवदेवेश्वर में हरिशंकरी, नवग्रह और पंचवटी वाटिका भी बनाई जाएगी। इसका प्रस्ताव भी भेजा गया है। हरिशंकरी वाटिका में पीपल, पाकड़ और बरगद का पौधा एक साथ रोपा जाता है। नैमिषारण्य में भी हरिशंकरी का रोपण किया गया है। जिले में कई अन्य स्थानों पर भी यह वाटिका तैयार की गई है।नवग्रह और पंचवटी में रोपे जाते हैं ये पौधे :पंचवटी में पीपल, अशोक, बरगद, बेल और आंवला के पौधे रोपे जाते हैं। यह वाटिका पांच पौधों से तैयार होगी। पौधे, दिशाओं के अनुसार लगाए जाएंगे। नवग्रह वाटिका में कुश, पीपल, लटजीरा, शमी, आख, गूलर, दूब, खैर और ढाक का पौधा लगाया जाएगा। पौधों की प्रजाति ग्रह के अनुसार है। पीपल को गुरु माना गया है। शनि के लिए शमी और केतु के लिए कुश को रोपण होगा।
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