88000 ऋषियों की तपस्थली है नैमिषारण्य 252 किमी दूरी है 84 कोसी परिक्रमा की 88 किमी है लखनऊ से नैमिषारण्य की दूरी।
By JagranEdited By: Updated: Mon, 11 Jul 2022 10:13 PM (IST)
निर्मल पांडेय, सीतापुर : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नैमिषारण्य को सजाने-संवारने के निर्देश दिए हैं। सुविधाजनक पर्यटन पैकेज तैयार करने को कहा है। 88 हजार ऋषियों की तपोस्थली में अब समग्र विकास होगा। यही नहीं, मुख्यमंत्री ने मिश्रिख नगर पालिका परिषद के सीमा विस्तार की कार्ययोजना भी डीएम से मांग ली है। नैमिषारण्य के कुंडों में वर्ष भर स्वच्छ जल की उपलब्धता रहे। यह भी तय करने को कहा है। मां ललिता देवी मंदिर के सुंदरीकरण के लिए भी कहा है। 84 कोसी परिक्रमा मार्ग के विकास के लिए भी मुख्यमंत्री ने कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने यहां तक कहा है कि यदि जमीन की जरूरत पड़ती है तो अधिग्रहण की योजना बनाएं। मुख्यमंत्री के इन निर्देशों के बाद नैमिषारण्य में साधु-संतों व आम नागरिकों को उम्मीद बढ़ गई है कि अब नैमिषारण्य भी अयोध्या, काशी, मथुरा की तरह से विकसित होगा। रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।
मुख्यमंत्री ने दिए सुझाव, बना रहे हैं मास्टर प्लान : डीएम
चित्र-11 एसआइटी-45- डीएम अनुज सिंह ने बताया, शनिवार को मुख्यमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिग में नैमिष क्षेत्र के विकास के लिए कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए हैं। उनके सामने हमने मास्टर प्लान प्रस्तुत किया था। प्रस्तुतीकरण देखने के बाद मास्टर प्लान में अन्य कई बिदु भी शामिल करने का मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया है। इनमें जैसे सुरक्षा, यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था और लखनऊ से कनेक्टिविटी आदि शामिल हैं। कार्ययोजना बना रहे हैं।
नैमिषारण्य का महत्व जानें पुराणों में गोमती तट पर बसी इस धर्मनगरी का जिक्र सतयुग से है। इस धर्मनगरी में ही सृष्टि के प्रथम पुरुष मनु व सतरूपा ने साधना की। यहीं पर महर्षि वेदव्यास ने वेद-पुराणों की रचना की। सृष्टि के सृजन के बाद की तमाम अनूठी गाथाओं को नैमिष सहेजे है।
ये हैं दर्शनीय स्थल चक्रतीर्थ, मां ललिता देवी मंदिर, हनुमान गढ़ी, मनु सतरूपा मंदिर, व्यास गद्दी, अक्षय वट, सूत गद्दी, त्रिशक्ति धाम, नारदानंद आश्रम, पांडव किला, रुद्रावर्त, काली शक्तिपीठ व महर्षि दधीचि की तपोस्थली मिश्रिख। नैमिषारण्य की 84 कोसी परिक्रमा का महत्म्य: 84 कोसी (252 किमी) परिक्रमा का आध्यात्मिक-पौराणिक महत्व है। बताते हैं कि ये परिक्रमा 84 लाख योनियों से मुक्ति देती है। प्रभु श्रीराम ने अयोध्यावासियों संग परिक्रमा की थी। परिक्रमा मार्ग में सीतापुर में सात और हरदोई में चार, कुल 11 पड़ाव हैं। परिक्रमा हर वर्ष फाल्गुन मास की प्रतिपदा से शुरू होती है। 15 दिवसीय इस परिक्रमा का समापन पूर्णिमा को मिश्रिख में दधीचि आश्रम पर होता है। 84 कोसी परिक्रमा के 11 पड़ाव: कोरौना, हर्रैया, नगवा कोथावां, गिरधरपुर उमरारी, साकिन गोपालपुर, देवगवां, मंडरुआ, जरिगवां, नैमिषारण्य, कोल्हुआ बरेठी, मिश्रिख।
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